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जालौन: चारा-पानी और न बैठने की जगह, गौशालाओं में बदहाल स्थिति में हैं गोवंश - जालौन में गौशाला

जालौन में गौशालाओं की स्थिति खराब हो रही है. कदौरा ब्लाक के ग्राम बारा में बनी अस्थाई गौशाला की हालत बद से बदतर हो चुकी है. यहां बारिश के चलते गायों का बुरा हाल हो गया है. बारिश और धूप से बचने के लिए टीन शेड तक नहीं लगवाए गए हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि फसलों का भी नुकसान हो रहा है.

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गौशाला में खड़ी गायें.
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Published : Sep 24, 2020, 4:07 PM IST

जालौन: योगी सरकार ने अन्ना जानवरों के संरक्षण के लिए बड़े स्तर पर गौशालाओं का निर्माण कराया, जिससे किसानों की फसलों को बर्बाद होने से बचाया जा सके. मौजूदा हालात में जिले के अंदर अधिकतर गौशालाओं की स्थिति बदहाल बनी हुई है. कदौरा ब्लाक के ग्राम बारा में बनी अस्थाई गौशाला की हालत बद से बदतर हो चुकी है. यहां बारिश के चलते गायों का बुरा हाल हो गया है.

बारिश और धूप से बचने के लिए टीन शेड तक नहीं लगवाए गए हैं. किसानों का आरोप है गौशालाओं में जानवरों के खाने पीने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है. जिले में गोवंशों के संरक्षण के लिए 575 ग्राम सभाओं में अस्थाई गौशालाओं का निर्माण कराया गया है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता के चलते गौशालाओं की स्थिति बद से बदतर होती चली जा रही है.

कदौरा ब्लाक के ग्राम बारा में बनी अस्थाई गौशाला 2400 स्क्वायर फीट में बनी है. कटीली तार लगाकर घेराबंदी कर दी गई है. गौशाला में 60 से अधिक गोवंशों का संरक्षण किया हुआ है, लेकिन इस समय गोवंशों की हालत खराब हो चुकी है. गोवंशों के बैठने के लिए न ही कोई उचित व्यवस्था है और धूप व बारिश से बचाव के लिए न ही किसी प्रकार का निर्माण कराया गया है.

स्थानीय लोगों के मुताबिक गोवंशों के लिए खाने पीने की व्यवस्था न होने के कारण उन्हें सुबह गौशाला से बाहर कर दिया जाता है. शाम होते ही गोवंश वापस गौशाला में बंद कर दिए जाते हैंं. गोवंश संचालकों की लापरवाही और प्रशासन की उदासीनता के चलते फसलों की रखवाली के लिए किसानों को दिन-रात खेत पर ही अपना समय व्यतीत करना पड़ता है.

स्थानीय किसान रामवीर सिंह ने बताया हम लोग बड़ी मुश्किल से खेतों में फसलों को उगा पाते हैं. अन्ना जानवरों की वजह से फसलों को चौपट होने में समय नहीं लगता है, क्योंकि गौशालाओं में गोवंशों का संरक्षण नहीं हो पा रहा है.

मुख्य विकास अधिकारी प्रशांत श्रीवास्तव ने बताया कि गोवंश के संरक्षण के लिए शासन और प्रशासन लगातार कार्य कर रहा है. ग्राम सभा में बनी अस्थाई गौशालाओं ग्राम वासियों की सहभागिता बहुत जरूरी है. फिर भी प्रशासन गोवंशों के संरक्षण के लिए चारा-पानी और अन्य सुविधाओं के लिए लगातार प्रयासरत रहता है, जिससे किसानों को किसी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े.

जालौन: योगी सरकार ने अन्ना जानवरों के संरक्षण के लिए बड़े स्तर पर गौशालाओं का निर्माण कराया, जिससे किसानों की फसलों को बर्बाद होने से बचाया जा सके. मौजूदा हालात में जिले के अंदर अधिकतर गौशालाओं की स्थिति बदहाल बनी हुई है. कदौरा ब्लाक के ग्राम बारा में बनी अस्थाई गौशाला की हालत बद से बदतर हो चुकी है. यहां बारिश के चलते गायों का बुरा हाल हो गया है.

बारिश और धूप से बचने के लिए टीन शेड तक नहीं लगवाए गए हैं. किसानों का आरोप है गौशालाओं में जानवरों के खाने पीने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है. जिले में गोवंशों के संरक्षण के लिए 575 ग्राम सभाओं में अस्थाई गौशालाओं का निर्माण कराया गया है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता के चलते गौशालाओं की स्थिति बद से बदतर होती चली जा रही है.

कदौरा ब्लाक के ग्राम बारा में बनी अस्थाई गौशाला 2400 स्क्वायर फीट में बनी है. कटीली तार लगाकर घेराबंदी कर दी गई है. गौशाला में 60 से अधिक गोवंशों का संरक्षण किया हुआ है, लेकिन इस समय गोवंशों की हालत खराब हो चुकी है. गोवंशों के बैठने के लिए न ही कोई उचित व्यवस्था है और धूप व बारिश से बचाव के लिए न ही किसी प्रकार का निर्माण कराया गया है.

स्थानीय लोगों के मुताबिक गोवंशों के लिए खाने पीने की व्यवस्था न होने के कारण उन्हें सुबह गौशाला से बाहर कर दिया जाता है. शाम होते ही गोवंश वापस गौशाला में बंद कर दिए जाते हैंं. गोवंश संचालकों की लापरवाही और प्रशासन की उदासीनता के चलते फसलों की रखवाली के लिए किसानों को दिन-रात खेत पर ही अपना समय व्यतीत करना पड़ता है.

स्थानीय किसान रामवीर सिंह ने बताया हम लोग बड़ी मुश्किल से खेतों में फसलों को उगा पाते हैं. अन्ना जानवरों की वजह से फसलों को चौपट होने में समय नहीं लगता है, क्योंकि गौशालाओं में गोवंशों का संरक्षण नहीं हो पा रहा है.

मुख्य विकास अधिकारी प्रशांत श्रीवास्तव ने बताया कि गोवंश के संरक्षण के लिए शासन और प्रशासन लगातार कार्य कर रहा है. ग्राम सभा में बनी अस्थाई गौशालाओं ग्राम वासियों की सहभागिता बहुत जरूरी है. फिर भी प्रशासन गोवंशों के संरक्षण के लिए चारा-पानी और अन्य सुविधाओं के लिए लगातार प्रयासरत रहता है, जिससे किसानों को किसी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े.

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