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सरकारी स्कूल में बच्चों को मिल रही शाही भोजन थाली, क्या है इसका राज - Jalaun government school

सोशल मीडिया पर वायरल हो रही सरकारी स्कूल की शाही भोजन की थाली... जाने इस रिपोर्ट में कैसे और कहां मिल रहा है बच्चों के यह खाना...

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जालौन
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Published : Sep 8, 2022, 8:30 PM IST

जालौन: इन दिनों सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है. जिसमें एक सरकारी स्कूल का बच्चा शाही भोजन की थाली लिए दिखाई दे रहा. फोटो में देखा जा सकता है कि बच्चे के हाथ मटर-पनीर की सब्जी,पूड़ी, सेब, आइसक्रीम और मिल्क शेक है. यह तस्वीर यूपी के जालौन जिले के बेसिक शिक्षा परिषद के सरकारी स्कूल की है. बच्चों को मिड-डे मील में दी जाने वाली इस शाही थाली(Shahi thali in mid day meal) की हकीकत जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम पहुंची मलकपुरा गांव के सरकारी स्कूल में...

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सरकारी स्कूल में मिलने वाला खाना

वायरल फोटो में दिखाई दे रहे बच्चे राज ने बताया कि मीड-डे मील हमको रोजाना दिया जाता है. लेकिन, महीने में एक या 2 दिन मीड-डे मील के खाने में पनीर की सब्जी, पूड़ी, सेब और आइसक्रीम शेक दिया जाता है. उच्च प्राथमिक मलिकपुरा विद्यालय में तैनात प्रधानाध्यापक ने बताया कि बच्चों को यह भोजन ग्रामप्रधान अमित के सहयोग से दिया जा रहा है.बच्चों को मीड-डे मील में सरकार के बजट के अनुसार ही खाना दिया जाता है. लेकिन, ग्रामप्रधान अमित ने गुजरात के शिक्षा मॉडल(Gujarat Education Model) में दिए जाने वाली तिथि भोजन योजना से सीख ली. ग्रामप्रधान ने जिलाधिकारी को इस योजना का संज्ञान देते हुए बच्चों के मिड-डे मील में में खाने की नई चीजे जोड़ने का काम किया है. इसके तहत बच्चों को महीने में दो या तीन दिन शाही भोजन थाली दी जाती है. इसका उल्लेख स्कूल के रजिस्टर में भी किया गया है.

शाही थाली की पड़ताल


मलकपुरा गांव प्रधान अमित ने बताया कि शिक्षा में बच्चों को अच्छी सुविधाएं मिले. इसके लिए हम निरंतर प्रयास करते रहते हैं. बच्चों की स्कूल आने और पढ़ने में रूचि बढे़ इसके लिए मैने गुजरात सरकार की तिथि भोजन योजना को चुना है. इसमें बच्चों को दो या तीन तीन शाही थाली भोजन दिया जाता है. यह मिड-डे मील में बन रहे भोजन से बिल्कुल अलग है. इसके लिए बच्चे स्कूल आने और पढ़ने में उत्सुक रहते हैं.

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खाना खाते बच्चें

तिथि भोजन का इंतजाम गांव या समाज के किसी भी व्यक्ति द्वारा किया जाता है. ग्रामीण या कोई भी व्यक्ति जिसके यहां कोई खुशी, जन्मदिन या कोई खास उपलक्ष्य होता है. तो वह व्यक्ति बच्चों के मीड-डे मील में बनने वाले खाने में नई चीजे जोड़ देते है. इससे बच्चों को पोषक तत्वों से भरपूर भोजन मिल जाता है. कुछ नया खाने के लिए बच्चे भी उत्सुक रहते हैं. बच्चों के खाने और पढ़ाई में कोई कमी न हो इसके लिए सामूहिक प्रयास किया जा रहा है. शाही थाली को स्कूल में शुरू करने के लिए हमने जिलाधिकारी और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को लिखित में संज्ञान दिया. इसके बाद यह पहल शुरू की गई. इसको शुरू करने का मुख्य मकसद बच्चों में स्कूल आने की लालसा बढ़ें और आम दिनों से अलग भोजन बच्चों को मिले, बस यही है.

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जालौन का सरकारी सरकारी स्कूल


यह भी पढे़ं:विकास कार्यों का जायजा लेने निकले विधायक सौरभ श्रीवास्तव ने खाया मिड डे मील

सोशल मीडिया पर वायरल हो रही मलाकपुरा के उच्च प्राथमिक स्कूल में दी जा रही शाही भोजन की थाली की फोटो यह साबित करती है कि स्कूल में दिया जा रहा है यह भोजन भले ही महीने में एक या दो दिन दिया जाता है. लेकिन, इस छोटे से प्रयास से बच्चों में एक उत्साह देखने को मिलता है. साथ ही यह प्रयास हर प्रधान और जिम्मेदार प्रतिनिधि को अपने यहां पर करना चाहिए.

सरकारी स्कूल की शाही थाली
सरकारी स्कूल की शाही थाली
यह भी पढे़ं:मिड डे मील में नमक रोटी देने पर सस्पेंड प्रिंसिपल से लिपटकर रोए स्कूली बच्चे

जालौन: इन दिनों सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है. जिसमें एक सरकारी स्कूल का बच्चा शाही भोजन की थाली लिए दिखाई दे रहा. फोटो में देखा जा सकता है कि बच्चे के हाथ मटर-पनीर की सब्जी,पूड़ी, सेब, आइसक्रीम और मिल्क शेक है. यह तस्वीर यूपी के जालौन जिले के बेसिक शिक्षा परिषद के सरकारी स्कूल की है. बच्चों को मिड-डे मील में दी जाने वाली इस शाही थाली(Shahi thali in mid day meal) की हकीकत जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम पहुंची मलकपुरा गांव के सरकारी स्कूल में...

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सरकारी स्कूल में मिलने वाला खाना

वायरल फोटो में दिखाई दे रहे बच्चे राज ने बताया कि मीड-डे मील हमको रोजाना दिया जाता है. लेकिन, महीने में एक या 2 दिन मीड-डे मील के खाने में पनीर की सब्जी, पूड़ी, सेब और आइसक्रीम शेक दिया जाता है. उच्च प्राथमिक मलिकपुरा विद्यालय में तैनात प्रधानाध्यापक ने बताया कि बच्चों को यह भोजन ग्रामप्रधान अमित के सहयोग से दिया जा रहा है.बच्चों को मीड-डे मील में सरकार के बजट के अनुसार ही खाना दिया जाता है. लेकिन, ग्रामप्रधान अमित ने गुजरात के शिक्षा मॉडल(Gujarat Education Model) में दिए जाने वाली तिथि भोजन योजना से सीख ली. ग्रामप्रधान ने जिलाधिकारी को इस योजना का संज्ञान देते हुए बच्चों के मिड-डे मील में में खाने की नई चीजे जोड़ने का काम किया है. इसके तहत बच्चों को महीने में दो या तीन दिन शाही भोजन थाली दी जाती है. इसका उल्लेख स्कूल के रजिस्टर में भी किया गया है.

शाही थाली की पड़ताल


मलकपुरा गांव प्रधान अमित ने बताया कि शिक्षा में बच्चों को अच्छी सुविधाएं मिले. इसके लिए हम निरंतर प्रयास करते रहते हैं. बच्चों की स्कूल आने और पढ़ने में रूचि बढे़ इसके लिए मैने गुजरात सरकार की तिथि भोजन योजना को चुना है. इसमें बच्चों को दो या तीन तीन शाही थाली भोजन दिया जाता है. यह मिड-डे मील में बन रहे भोजन से बिल्कुल अलग है. इसके लिए बच्चे स्कूल आने और पढ़ने में उत्सुक रहते हैं.

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खाना खाते बच्चें

तिथि भोजन का इंतजाम गांव या समाज के किसी भी व्यक्ति द्वारा किया जाता है. ग्रामीण या कोई भी व्यक्ति जिसके यहां कोई खुशी, जन्मदिन या कोई खास उपलक्ष्य होता है. तो वह व्यक्ति बच्चों के मीड-डे मील में बनने वाले खाने में नई चीजे जोड़ देते है. इससे बच्चों को पोषक तत्वों से भरपूर भोजन मिल जाता है. कुछ नया खाने के लिए बच्चे भी उत्सुक रहते हैं. बच्चों के खाने और पढ़ाई में कोई कमी न हो इसके लिए सामूहिक प्रयास किया जा रहा है. शाही थाली को स्कूल में शुरू करने के लिए हमने जिलाधिकारी और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को लिखित में संज्ञान दिया. इसके बाद यह पहल शुरू की गई. इसको शुरू करने का मुख्य मकसद बच्चों में स्कूल आने की लालसा बढ़ें और आम दिनों से अलग भोजन बच्चों को मिले, बस यही है.

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जालौन का सरकारी सरकारी स्कूल


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सोशल मीडिया पर वायरल हो रही मलाकपुरा के उच्च प्राथमिक स्कूल में दी जा रही शाही भोजन की थाली की फोटो यह साबित करती है कि स्कूल में दिया जा रहा है यह भोजन भले ही महीने में एक या दो दिन दिया जाता है. लेकिन, इस छोटे से प्रयास से बच्चों में एक उत्साह देखने को मिलता है. साथ ही यह प्रयास हर प्रधान और जिम्मेदार प्रतिनिधि को अपने यहां पर करना चाहिए.

सरकारी स्कूल की शाही थाली
सरकारी स्कूल की शाही थाली
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