जालौन : जिले की सीमा से होकर गुजरने वाली यमुना और सिंधु नदियां अब खतरे के निशान से ऊपर बह रहीं हैं. इन नदियों का पानी जनपद के कई गांवों में घुस गया है. जिसकी वजह से सैकड़ों गांव टापू में तब्दील हो चुके हैं. जिसे देखते हुए जिला प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य के लिए सेना को बुला लिया है.
जिला प्रशासन ने बाढ़ प्रभावित 100 से अधिक गांवों में फंसे लोगों को बचाने के लिए सेना को बुला लिया है और जिसके बाद मौके पर पहुंचे सेना के जवानों ने रेस्क्यू ऑपरेशन की कमान संभाल ली है. सेना ने अब तक 20 से अधिक गांव को खाली कराकर लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया है. साथ ही जिन गांव में हालात बेहतर हैं, वहां बोट के जरिए सूखी खाद्य सामग्री पहुंचाई जा रही है.
मंडालायुक्त-डीआईजी ने बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा
आपको बता दें कि जिले में बाढ़ का कहर अब भी जारी है. बाढ़ की चपेट में आए जनपद के सैकड़ों गांव टापू बन चुके हैं तो कई गांवों के संपर्क मार्ग टूट चुका है. वर्तमान में हालात यह है कि गांव, मोहल्लो से होता हुआ पानी अब हाईवे तक पहुंच गया हैं. इस बीच झांसी कमिश्नर डॉ. अजय शंकर पांडे और डीआईजी जोगिंदर सिंह बाढ़ प्रभावित गांवों में चलाए जा रहे राहत कार्य को जायजा लेने के लिए जालौन के रामपुरा पहुंचे. जहां उन्होंने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और ग्रामीणों से हालचाल भी जाना.
झांसी और ग्वालियर से बुलाए गए सेना के जवान
जिले के बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव कार्य के लिए सेना की ईएमई कोर के 97 जवान झांसी और ग्वालियर से बुलाए गए हैं. जो सारे संसाधनों के साथ लोगों की मदद करने में जुटे हुए हैं. सेना की तरफ से मेजर दीपंकर त्यागी ने बताया रामपुरा के बीहड़ क्षेत्र में यमुना और सिंधु नदी के उफान के चलते गांवों पानी में भर गया है. ऐसे में लोगों को रेस्क्यू कर वहां से बाहर निकाला जा रहा है. साथ ही एक बोट से खाद्य सामग्री भी जिला प्रशासन की तरफ से लोगों को पहुंचाई जा रही है. सेना के जवानों के साथ प्रशासन ने मेडिकल टीम भी उपलब्ध कराई है, जो बाढ़ प्रभावित इलाकों में नाव में जाकर बीमार लोगों को दवाइयां भी उपलब्ध करा रही है.
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