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जालौन: स्कूल न होने की वजह से छात्राओं को छोड़नी पड़ती थी पढ़ाई, DM ने कराया दाखिला - Siddpura village of Jalaun

यूपी के जिले जालौन में डीएम ने पढ़ाई छोड़ चुकी छात्राओं का स्कूल में दोबारा दाखिला कराया है. दरअसल गांव में क्लास आठ तक का ही स्कूल होने की वजह से आगे की क्लास की पढ़ाई छात्राओं को छोड़नी पड़ती थी.

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पढ़ाई छोड़ चुकी लड़कियो को फिर कराया दाखिला
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Published : Jan 31, 2020, 4:42 AM IST

जालौन: जिले के गांव सिद्धपुरा की 55 ड्रॉपआउट छात्राओं का डीएम ने दोबारा स्कूल में दाखिला कराया है. दरअसल डीएम का उद्देश्य इन छात्राओं का शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ना है. वहीं डीएम डॉ. मन्नान अख्तर ने बालिकाओं को स्कूल बैग किताबें भेंटकर उन्हें स्कूल आने जाने के लिए साइकिल उपलब्ध कराने का आश्वासन भी दिया.

डीएम ने छात्राओं का दोबारा कराया दाखिला.

जिले के उरई मुख्यालय से 70 किलोमीटर दूर यमुना नदी के बीहड़ पट्टी में बसा गांव सिद्धपुरा और आसपास के इलाकों में रहने वाली लड़कियों की शिक्षा आठवीं तक हो पाती थी और आगे की क्लास की पढ़ाई स्कूल न हो जाने की वजह से मजबूरन छोड़नी पड़ती थी.

वहीं अब जिला प्रशासन ने सिद्धपुरा के स्कूल में ही शिक्षक उपलब्ध कराकर दसवीं तक की पढ़ाई शुरू कर दी है, जिससे लड़कियों को अपनी पढ़ाई पूरी करने में किसी प्रकार की कोई दिक्कत न हो.

पढ़ें: 'महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम' में शामिल हुईं ग्रामीण महिलाएं व छात्राएं

हम लोग सिद्धपुरा गए थे, तब पता चला था कि दसवीं तक का स्कूल नहीं होने की वजह से गांव की लड़कियां पढ़ाई छोड़ देती थीं. जिला प्रशासन की मदद से उच्च प्राथिमक स्कूल में 10वीं क्लास की कक्षाओं को शुरू किया गया है.
-डॉ. मन्नान अख्तर, डीएम

जालौन: जिले के गांव सिद्धपुरा की 55 ड्रॉपआउट छात्राओं का डीएम ने दोबारा स्कूल में दाखिला कराया है. दरअसल डीएम का उद्देश्य इन छात्राओं का शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ना है. वहीं डीएम डॉ. मन्नान अख्तर ने बालिकाओं को स्कूल बैग किताबें भेंटकर उन्हें स्कूल आने जाने के लिए साइकिल उपलब्ध कराने का आश्वासन भी दिया.

डीएम ने छात्राओं का दोबारा कराया दाखिला.

जिले के उरई मुख्यालय से 70 किलोमीटर दूर यमुना नदी के बीहड़ पट्टी में बसा गांव सिद्धपुरा और आसपास के इलाकों में रहने वाली लड़कियों की शिक्षा आठवीं तक हो पाती थी और आगे की क्लास की पढ़ाई स्कूल न हो जाने की वजह से मजबूरन छोड़नी पड़ती थी.

वहीं अब जिला प्रशासन ने सिद्धपुरा के स्कूल में ही शिक्षक उपलब्ध कराकर दसवीं तक की पढ़ाई शुरू कर दी है, जिससे लड़कियों को अपनी पढ़ाई पूरी करने में किसी प्रकार की कोई दिक्कत न हो.

पढ़ें: 'महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम' में शामिल हुईं ग्रामीण महिलाएं व छात्राएं

हम लोग सिद्धपुरा गए थे, तब पता चला था कि दसवीं तक का स्कूल नहीं होने की वजह से गांव की लड़कियां पढ़ाई छोड़ देती थीं. जिला प्रशासन की मदद से उच्च प्राथिमक स्कूल में 10वीं क्लास की कक्षाओं को शुरू किया गया है.
-डॉ. मन्नान अख्तर, डीएम

Intro:यमुना नदी के किनारे बसे रामपुरा की बीहड़ पट्टी के गांव सिद्धपुरा में जीआईसी स्कूल में शिक्षा की अलख जगाने के लिए 55 ड्रॉपआउट छात्राओं को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए उन्हें फिर से दाखिला कराया गया डीएम ने बालिकाओं को स्कूल बैग किताबें भेंट कर उन्हें स्कूल आने जाने के लिए साइकिल उपलब्ध कराने का आश्वासन भी दिया जिलाधिकारी डॉ मन्नान अख्तर ने कहा कि आज के दौर में महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी हिस्सेदारी दर्ज करा रही हैं ऐसे में प्रत्येक छात्रा को शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए ताकि वह अपने परिवार को आगे बढ़ाने का काम कर सके


Body:उरई मुख्यालय से 70 किलोमीटर दूर यमुना नदी के बीहड़ पट्टी में बसा गांव सिद्धपुरा और आसपास के इलाकों में रहने वाली लड़कियों की शिक्षा आठवीं तक हो पाती थी उसके आगे स्कूल ना हो जाने की वजह से पढ़ाई बंद कर देती थी जिला प्रशासन ने इस ओर ध्यान दिया तो बीहड़ पट्टी में शिक्षा की अलख जगाते हुए पढ़ाई छोड़ चुकी 55 लड़कियों को स्कूल में दाखिला करा कर उन्हें मुख्यधारा से जो भी लिया गया डीआईओएस भगवत पटेल ने कहा कि जिन बालिकाओं ने कक्षा 8 पास करने के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी और उन्हें स्कूल के अभाव में दूर जाकर पढ़ाई पढ़ने के लिए इजाजत नहीं मिल रही थी ऐसे में जिला प्रशासन ने सिद्ध पुरा में आठवीं स्कूल में शिक्षक उपलब्ध कराकर वहां दसवीं तक पढ़ाई शुरू कर दी है जिससे लड़कियों को अपनी पढ़ाई पूरी करने में किसी प्रकार की कोई दिक्कत ना हो इसके साथ ही प्रशासन ने बैग किताबें और साइकिल उपलब्ध कराने की बात कही है

बाइट डॉ मन्नान अख्तर डीएम


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