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हाथरस: जल संरक्षण को लेकर कृषि विभाग ने चलाया 'जल शक्ति अभियान'

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Published : Aug 9, 2019, 9:54 PM IST

उत्तर प्रदेश के हाथरस में जल संरक्षण को लेकर 'जल शक्ति अभियान' चलाया जा रहा है. जनशक्ति अभियान को सार्थक बनाने के लिए जिले के कृषि अधिकारी गांव-गांव जाकर लोगों को जल संरक्षण के तरीके बता रहे हैं.

जल संचय करने के लिए चलाया जा रहा 'जल शक्ति अभियान'.

हाथरस: 'जल है तो कल है' इस स्लोगन को सार्थक बनाने के लिए एक जुलाई से 15 सितंबर तक 'जल शक्ति अभियान' चलाया जा रहा है. जल संचयन के लिए जिलाधिकारी ने जहां ग्राम प्रधानों से जल संरक्षण के लिए काम करने को कहा है. वहीं कृषि अधिकारी भी गांव-गांव जाकर जल संरक्षण के तरीके ग्रामीणों को बता रहे हैं.

जल संचय करने के लिए चलाया जा रहा 'जल शक्ति अभियान'.

जल शक्ति अभियान बता रहा जल संचयन के तरीके-

  • केंद्र और प्रदेश की सरकारों का इन दिनों जल संचयन पर खासा जोर है.
  • हाथरस जिले में इन दिनों जल शक्ति अभियान चलाया जा रहा है.
  • अभियान एक जुलाई से शुरू हुआ था और 15 सितंबर तक चलेगा.
  • जल शक्ति अभियान में पानी को बर्बाद होने से रोकने के तरीके बताये जा रहे हैं.
  • किसानों को कम पानी खर्च कर ज्यादा पैदावार के बारे में जागरुक किया गया.
  • पानी की बर्बादी रोकने के लिए खेत की अच्छे से मेंड़ बंदी करने के लिए किसानों से कहा गया.

इसे पढ़ें- वृक्षारोपण महाकुंभ: बोले योगी, प्रकृति के लिए वरदान होंगे 22 करोड़ पौधे

कृषि निदेशक ने बतायी पानी की उपयोगिता-
उप कृषि निदेशक एचएन सिंह ने बताया लोगों को जल की बर्बादी रोकने के लिए जागरूक किया जा रहा है. आज पीने योग्य पानी बहुत कम बचा है उसे कैसे बचाया जा सकता है. बिना बात पानी बर्बाद न होने दें. वह नये तरीके से सिंचाई करेंगे तो 40 से 50 प्रतिशत पानी की बचत कर सकते हैं.

एक जुलाई से 15 सितंबर तक जल शक्ति अभियान चलाया जा रहा है. जिसके लिए ग्राम प्रधानों से जल संरक्षण के स्ट्रेक्चर बनाने की अपील की है. उपलब्ध बजट से सरकारी बिल्डिंग ऑफर रेन वाटर स्ट्रक्चर बनवा रहे हैं. हमारा प्रयास है कि अन्य स्रोतों से भी इन्हें बनवाया जाए.
-प्रवीण कुमार, जिलाधिकारी

हाथरस: 'जल है तो कल है' इस स्लोगन को सार्थक बनाने के लिए एक जुलाई से 15 सितंबर तक 'जल शक्ति अभियान' चलाया जा रहा है. जल संचयन के लिए जिलाधिकारी ने जहां ग्राम प्रधानों से जल संरक्षण के लिए काम करने को कहा है. वहीं कृषि अधिकारी भी गांव-गांव जाकर जल संरक्षण के तरीके ग्रामीणों को बता रहे हैं.

जल संचय करने के लिए चलाया जा रहा 'जल शक्ति अभियान'.

जल शक्ति अभियान बता रहा जल संचयन के तरीके-

  • केंद्र और प्रदेश की सरकारों का इन दिनों जल संचयन पर खासा जोर है.
  • हाथरस जिले में इन दिनों जल शक्ति अभियान चलाया जा रहा है.
  • अभियान एक जुलाई से शुरू हुआ था और 15 सितंबर तक चलेगा.
  • जल शक्ति अभियान में पानी को बर्बाद होने से रोकने के तरीके बताये जा रहे हैं.
  • किसानों को कम पानी खर्च कर ज्यादा पैदावार के बारे में जागरुक किया गया.
  • पानी की बर्बादी रोकने के लिए खेत की अच्छे से मेंड़ बंदी करने के लिए किसानों से कहा गया.

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कृषि निदेशक ने बतायी पानी की उपयोगिता-
उप कृषि निदेशक एचएन सिंह ने बताया लोगों को जल की बर्बादी रोकने के लिए जागरूक किया जा रहा है. आज पीने योग्य पानी बहुत कम बचा है उसे कैसे बचाया जा सकता है. बिना बात पानी बर्बाद न होने दें. वह नये तरीके से सिंचाई करेंगे तो 40 से 50 प्रतिशत पानी की बचत कर सकते हैं.

एक जुलाई से 15 सितंबर तक जल शक्ति अभियान चलाया जा रहा है. जिसके लिए ग्राम प्रधानों से जल संरक्षण के स्ट्रेक्चर बनाने की अपील की है. उपलब्ध बजट से सरकारी बिल्डिंग ऑफर रेन वाटर स्ट्रक्चर बनवा रहे हैं. हमारा प्रयास है कि अन्य स्रोतों से भी इन्हें बनवाया जाए.
-प्रवीण कुमार, जिलाधिकारी

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एंकर- 'जल है तो कल है' इस स्लोगन को सार्थक बनाने के लिए एक जुलाई से 15 सितंबर तक 'जल शक्ति अभियान' चलाया जा रहा है ।जल संचयन के लिए जिलाधिकारी ने जहां ग्राम प्रधानों से जल संरक्षण के लिए काम करने को कहा है ।वहीं कृषि अधिकारी भी गांव-गांव जाकर जल संरक्षण के तरीके ग्रामीणों को बता रहे हैं।


Body:वीओ1- केंद्र और प्रदेश की सरकारों का इन दिनों जल संचयन पर जोर है। इसलिए इन दिनों जल शक्ति अभियान चलाया जा रहा है ।जो एक जुलाई से शुरू हुआ था और 15 सितंबर तक चलेगा। जनशक्ति अभियान को सार्थक बनाने के लिए जिले के कृषि अधिकारी गांव -गांव जाकर लोगों को जल संरक्षण के तरीके बता रहे हैं ।उन्हें बताया जा रहा है कि किस तरह से पानी को बर्बाद होने से रोकना है। उन्हें यह भी बताया जा रहा है कि ऐसी फसलों की पैदावार ज्यादा करें जिनको पानी की जरूरत ज्यादा है ।ग्रामीण भी इन बातों को समझ कर पानी की बर्बादी रोकने के प्रयासों में जुट गए हैं। ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने सीखा कि कैसे पानी कम खर्च करना है।पानी की बर्बादी रोकने के लिए खेत की अच्छे से मेंड़ बंदी करनी है।एक अन्य ग्रामीणों ने बताया कि आज हमने सीखा है, अब हम अभियान चलाएंगे लोगों को जागरूक करेंगे समझाएंगे कि किस तरह से पानी को बचाना है। वहीं एक ग्रामीण महिला राम बेटी ने बताया कि हमारी समझ में तो आ रहा है की पानी बचाना है।उन्होंने बताया कि पहले कुआ हुआ करता था वहां से पानी खींच कर लाते थे। तो दो लोटा की जगह एक ही लोटा पानी खर्च करते थे। अब तो एक बाल्टी खींचते हैं तो दो बाल्टी तो वैसे ही खिंचता है और फैलता है।
बाईट1-माधव सिंह-ग्रामीण
बाईट2-रामवीर-ग्रामीण
बाईट3-राम बेटी-महिला ग्रामीण


Conclusion:वीओ2- उप कृषि निदेशक एचएन सिंह ने बताया लोगों को जल की बर्बादी रोकने के लिए जागरूक किया जा रहा है।लोगों को समझाया जा रहा है कि वह कैसे पानी की बर्बादी को रोक सकते हैं।उन्होंने बतायाकि आज पीने योग्य पानी बहुत कम बचा है उसे कैसे बचाया जा सकता है। उन्होंने ग्रामीणों को बताया कि बिना बात पानी बर्बाद ना होने दें वह नई तरीके से सिंचाई करेंगे तो 40 से 50 प्रतिशत पानी की बचत कर सकते हैं। साथ ही उन्होंने ग्रामीणों को यह भी समझाया है कि कम पानी की खपत वाली फसलों को ज्यादा क्षेत्रफल में करें इससे भी पानी की बचत हो सकती है। जिला अधिकारी प्रवीण कुमार ने बताया कि 1 जुलाई से 15 सितंबर तक जल शक्ति अभियान चलाया जा रहा है जिसके लिए उन्होंने ग्राम प्रधानों से जल संरक्षण के स्ट्रेक्चर बनने की अपील की है। जिला अधिकारी ने बताया कि वह उपलब्ध बजट से सरकारी बिल्डिंग ऑफर रेन वाटर स्ट्रक्चर बनवा रहे हैं। उन्होंने बताया कि हमारा प्रयास है कि अन्य स्रोतों से भी इन्हें बनवाया जा रहा है।
बाईट4- एचएन सिंह- उप कृषि निदेशक, हाथरस
बाईट5- प्रवीण कुमार- जिलाधिकारी ,हाथरस
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