हाथरस: 'जल है तो कल है' इस स्लोगन को सार्थक बनाने के लिए एक जुलाई से 15 सितंबर तक 'जल शक्ति अभियान' चलाया जा रहा है. जल संचयन के लिए जिलाधिकारी ने जहां ग्राम प्रधानों से जल संरक्षण के लिए काम करने को कहा है. वहीं कृषि अधिकारी भी गांव-गांव जाकर जल संरक्षण के तरीके ग्रामीणों को बता रहे हैं.
जल शक्ति अभियान बता रहा जल संचयन के तरीके-
- केंद्र और प्रदेश की सरकारों का इन दिनों जल संचयन पर खासा जोर है.
- हाथरस जिले में इन दिनों जल शक्ति अभियान चलाया जा रहा है.
- अभियान एक जुलाई से शुरू हुआ था और 15 सितंबर तक चलेगा.
- जल शक्ति अभियान में पानी को बर्बाद होने से रोकने के तरीके बताये जा रहे हैं.
- किसानों को कम पानी खर्च कर ज्यादा पैदावार के बारे में जागरुक किया गया.
- पानी की बर्बादी रोकने के लिए खेत की अच्छे से मेंड़ बंदी करने के लिए किसानों से कहा गया.
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कृषि निदेशक ने बतायी पानी की उपयोगिता-
उप कृषि निदेशक एचएन सिंह ने बताया लोगों को जल की बर्बादी रोकने के लिए जागरूक किया जा रहा है. आज पीने योग्य पानी बहुत कम बचा है उसे कैसे बचाया जा सकता है. बिना बात पानी बर्बाद न होने दें. वह नये तरीके से सिंचाई करेंगे तो 40 से 50 प्रतिशत पानी की बचत कर सकते हैं.
एक जुलाई से 15 सितंबर तक जल शक्ति अभियान चलाया जा रहा है. जिसके लिए ग्राम प्रधानों से जल संरक्षण के स्ट्रेक्चर बनाने की अपील की है. उपलब्ध बजट से सरकारी बिल्डिंग ऑफर रेन वाटर स्ट्रक्चर बनवा रहे हैं. हमारा प्रयास है कि अन्य स्रोतों से भी इन्हें बनवाया जाए.
-प्रवीण कुमार, जिलाधिकारी