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हाथरस: वाल्मीकि जयंती पर अफसरों ने की पूजा-अर्चना

हाथरस में महर्षि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर जिले के विभिन्न अफसरों ने मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चन किया. जिले में भगवान श्रीराम जी, हनुमान जी, वाल्मीकि जी के 21 मंदिरों को पूजा-पाठ के कार्यक्रमों के लिए चुना गया है.

मंदिर में पूजा-अर्चन करते अधिकारीगण.
मंदिर में पूजा-अर्चन करते अधिकारीगण.
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Published : Oct 31, 2020, 1:12 PM IST

हाथरस: जिले में महर्षि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर अफसरों ने मंदिरों में पूजा-पाठ की. यहां श्रीराम जी, हनुमान जी, वाल्मीकि जी के 21 मंदिरों को पूजा-अर्चना के कार्यक्रमों के लिए चुना गया है. इन सभी में महर्षि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर पूजा अर्चना के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. हाथरस के डीएम प्रवीण कुमार ने प्रसिद्ध मंदिर श्रीराम दरबार में पहुंचकर पूजा-अर्चना की. इस मौके पर सीडीओ आर.बी. भास्कर, नगर पालिका के चेयरमैन आशीष शर्मा भी मौजूद रहे.

पहली बार सरकारी स्तर पर मनाई गई वाल्मीकि जयंती

शनिवार को शरद पूर्णिमा है, आज के दिन ही रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि जी का जन्मदिन हुआ था. आज के दिन को वाल्मीकि जयंती के रूप में मनाया जाता है. यह पहला मौका है जब वाल्मीकि जयंती को सरकारी स्तर पर मनाया जा रहा है. महर्षि वाल्मीकि जयंती को भव्य रूप से मनाने के लिए मंदिरों में शुक्रवार शाम से ही तैयारियां शुरू हो गई थी. अब इन मंदिरों पर पूजा-अर्चना, अखंड रामायण आदि कार्यक्रम चल रहे हैं.

डीएम ने मंदिर श्रीराम दरबार पहुंचकर की पूजा-अर्चना

डीएम प्रवीण कुमार ने हाथरस के प्रसिद्ध मंदिर श्रीराम दरबार पहुंचकर पूजा-अर्चना की. डीएम ने बताया कि आदि कवि वाल्मीकि जी की जन्म जयंती है. इस मौके पर श्रीराम जी, हनुमान जी और वाल्मीकि जी के मंदिरों पर कार्यक्रम हो रहे हैं. जनपद में 21 मंदिरों में यह कार्यक्रम आयोजित कराए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि वाल्मीकि जी ने जो रामायण लिखी है, वह संस्कृत भाषा में है. इसलिए उसके पाठ के लिए विद्वान पंडित बाहर से भी बुलाए गए हैं.

कोविड-19 की वजह से नहीं निकल रहे हैं मेला और रथ यात्राएं

नगर पालिका के चेयरमैन आशीष शर्मा ने बताया कि ऐसा नहीं कि वाल्मीकि जयंती के मौके पर इस बार पहली बार यह पूजा-अर्चना हो रही है. उन्होंने कहा कि कोविड की वजह से इस बार मेला, रथ यात्रा नहीं निकाली जा सकती है. इसलिए यह कार्यक्रम मंदिरों में आयोजित किए जा रहे हैं.


कारण चाहे जो भी हो लेकिन इतना जरूर है कि अधिकांश मंदिर इस बार इस मौके पर मंदिरों में सजावट जरूर हुई है और मंदिरों में पूजा-पाठ रामायण आदि के कार्यक्रम चल रहे हैं. इससे पहले तक वाल्मीकि जयंती शोभा यात्रा समिति व अन्य हिंदू संगठनों की ओर से मनाई जाती थी.

हाथरस: जिले में महर्षि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर अफसरों ने मंदिरों में पूजा-पाठ की. यहां श्रीराम जी, हनुमान जी, वाल्मीकि जी के 21 मंदिरों को पूजा-अर्चना के कार्यक्रमों के लिए चुना गया है. इन सभी में महर्षि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर पूजा अर्चना के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. हाथरस के डीएम प्रवीण कुमार ने प्रसिद्ध मंदिर श्रीराम दरबार में पहुंचकर पूजा-अर्चना की. इस मौके पर सीडीओ आर.बी. भास्कर, नगर पालिका के चेयरमैन आशीष शर्मा भी मौजूद रहे.

पहली बार सरकारी स्तर पर मनाई गई वाल्मीकि जयंती

शनिवार को शरद पूर्णिमा है, आज के दिन ही रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि जी का जन्मदिन हुआ था. आज के दिन को वाल्मीकि जयंती के रूप में मनाया जाता है. यह पहला मौका है जब वाल्मीकि जयंती को सरकारी स्तर पर मनाया जा रहा है. महर्षि वाल्मीकि जयंती को भव्य रूप से मनाने के लिए मंदिरों में शुक्रवार शाम से ही तैयारियां शुरू हो गई थी. अब इन मंदिरों पर पूजा-अर्चना, अखंड रामायण आदि कार्यक्रम चल रहे हैं.

डीएम ने मंदिर श्रीराम दरबार पहुंचकर की पूजा-अर्चना

डीएम प्रवीण कुमार ने हाथरस के प्रसिद्ध मंदिर श्रीराम दरबार पहुंचकर पूजा-अर्चना की. डीएम ने बताया कि आदि कवि वाल्मीकि जी की जन्म जयंती है. इस मौके पर श्रीराम जी, हनुमान जी और वाल्मीकि जी के मंदिरों पर कार्यक्रम हो रहे हैं. जनपद में 21 मंदिरों में यह कार्यक्रम आयोजित कराए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि वाल्मीकि जी ने जो रामायण लिखी है, वह संस्कृत भाषा में है. इसलिए उसके पाठ के लिए विद्वान पंडित बाहर से भी बुलाए गए हैं.

कोविड-19 की वजह से नहीं निकल रहे हैं मेला और रथ यात्राएं

नगर पालिका के चेयरमैन आशीष शर्मा ने बताया कि ऐसा नहीं कि वाल्मीकि जयंती के मौके पर इस बार पहली बार यह पूजा-अर्चना हो रही है. उन्होंने कहा कि कोविड की वजह से इस बार मेला, रथ यात्रा नहीं निकाली जा सकती है. इसलिए यह कार्यक्रम मंदिरों में आयोजित किए जा रहे हैं.


कारण चाहे जो भी हो लेकिन इतना जरूर है कि अधिकांश मंदिर इस बार इस मौके पर मंदिरों में सजावट जरूर हुई है और मंदिरों में पूजा-पाठ रामायण आदि के कार्यक्रम चल रहे हैं. इससे पहले तक वाल्मीकि जयंती शोभा यात्रा समिति व अन्य हिंदू संगठनों की ओर से मनाई जाती थी.

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