हाथरस: शासन और प्रशासन ने दूसरे राज्यों और शहरों से आने वाले मजदूरों को मनरेगा का जॉब कार्ड दिए जाने की योजना बनाई है, ताकि वह अपने गांव में ही रोजगार कर सकें. वहीं हाथरस जिले में नोएडा, गाजियाबाद सहित दूसरे शहरों और प्रदेशों से आए मजदूरों को उनके गांव में मनरेगा के तहत मजदूरी नहीं मिल पा रही है. आरोप है कि प्रधान अपने लोगों को काम दे रहा है. मुख्य विकास अधिकारी इस मामले में जांच की बात कह रहे हैं.
कोरोना संक्रमण के दौरान अपने घरों को लौटे प्रवासी मजदूरों को मनरेगा में प्राथमिकता पर काम मिलना चाहिए, लेकिन हाथरस जिले में प्रवासी मजदूरों की शिकायत है कि उन्हें काम नहीं मिल रहा है. यहां ग्राम पंचायत ठूलई के गांव हीरापुर में प्रवासी मजदूरों ने काम न मिलने पर विरोध किया है. यह सभी प्रवासी मजदूर हैं, जो लॉकडाउन में दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद से लौटे हैं. परिवार पालने के लिए अपने गांव में मनरेगा में मजदूरी करना चाहते हैं. वहीं काम नहीं मिलने पर इन्होंने विरोध जताया है. इनका कहना है कि उनके गांव में मनरेगा में चकरोड पर काम चल रहा है, लेकिन उन्हें काम नहीं दिया जा रहा है. उनके सामने खाने की दिक्कत आ खड़ी हुई है, लेकिन उनका न तो जॉब कार्ड बन रहा है और न ही राशन कार्ड. प्रवासी मजदूरों का कहना है कि गांव में प्रधान अपने लोगों को ही काम दे रहे हैं.
दरअसल, इस ग्राम पंचायत में अभी तक 40 प्रवासी मजदूर वापस लौटे हैं. इनमे से मनरेगा में कितनों को काम मिला है, यह ग्राम प्रधान की जानकारी में भी नहीं है. प्रधान जंगवीर सिंह का कहना है कि इन प्रवासियों को डीलर राशन नहीं दे रहा है. वहीं ग्राम पंचायत अधिकारी शिव कुमार का कहना है कि प्रवासी मजदूर ब्लॉक पर शिकायत लेकर गए थे. इन्हें तालाब पर काम पर लगाया गया है. वहां इन्होंने काम नहीं किया और कहा कि चकरोड पर काम करेंगे. जब चकरोड पर इन्हें लगाया गया तो इन्होंने काम नहीं किया, हो हल्ला मचाया. उधर जिले के मुख्य विकास अधिकारी आरबी भाष्कर ने बताया कि जिले में मनरेगा में 26,316 मजदूरों ने काम मांगा है. इनमे 8909 प्रवासी मजदूर हैं. हीरापुर में प्रवासी मजदूरों को काम नहीं दिए जाने के मामले में उन्होंने कहा कि यह अभी तक उनके संज्ञान में नहीं है. वह इसकी जांच की बात कह रहे हैं.