हाथरस: ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के सहायक कोच पीयूष दुबे ने कहा कि उनका लक्ष्य अगले ओलंपिक में मेडल के कलर बदलने का होगा. पीयूष जिले में अपने पैतृक गांव रसमई आए हुए थे. उनका क्षेत्र की जनता ने भव्य स्वागत किया. जैसे ही पीयूष अपने क्षेत्र की सीमा में पहुंचे वहां पहले से ही मौजूद क्षेत्र की जनता ने गाजे-बाजे, ढोल-नगाड़ों के साथ पगड़ी पहनाकर उनका स्वागत किया. इस मौके पर माताओं-बहनों ने उनका तिलक कर अभिनंदन भी किया. अपने लोगों के बीच पहुंचकर पीयूष बेहद खुश दिखाई दिए.
मीडिया से बातचीत में उन्होंने बताया है कि भारतीय हॉकी टीम इस बार ओलंपिक में सिर्फ भाग लेने ही नहीं, बल्कि मेडल जीतने की मानसिकता के साथ गई थी और वह कर भी दिखाया. उन्होंने एक सवाल के जवाब में बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न केवल जीत के बाद ही उनसे फोन पर बात की, बल्कि भारत आने से पहले वहां टूर्नामेंट में जितने भी मैच खेले, उन मैचों के दौरान और बाद में पूरी टीम से लगातार संपर्क में रहे. जिस दिन हमने मैच जीता, उस दिन प्रधानमंत्री जी ने मुझसे बात भी की और बधाई भी दी. यह हमारे लिए अविस्मरणीय क्षण थे. पीयूष ने बताया कि प्रधानमंत्री जी ने एक बहुत महत्वपूर्ण बात कही थी कि जब तक ओलंपिक में हॉकी में मेडल नहीं आता है, तब तक भारत को ऐसा लगता है कि मैडम आया ही नहीं है.
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उन्होंने युवाओं को संदेश दिया कि खेल एक ऐसी विधा है जो व्यक्ति का संपूर्ण विकास करती है. उन्होंने युवाओं के माता-पिता से भी यह अपेक्षा की कि वह अपने बच्चों को सपोर्ट में डालें, क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व में भारत के खेल का भविष्य बहुत उज्ज्वल है. पीयूष की चाची ऊषा ने बताया कि पीयूष को चाय पीने का बहुत शौक था. उनके चाचा अक्सर उनसे चाय पीने के लिए मना करते थे. तब उन्होंने अपने चाचा से कहा कि आप बीड़ी नहीं पिएंगे तो मैं चाय छोड़ दूंगा. तभी से उन्होंने चाय पीना छोड़ दी.