हाथरसः पद्मश्री काका हाथरसी की हास्य व्यंग की कविताओं और हींग की महक से जाना-पहचाना जाने वाला हाथरस इस साल 2020 में एक दलित युवती से हुई दरिंदगी से देश ही नहीं विदेशों में भी चर्चित रहा. हाथरस के लोग चाहते हैं की यह जो दाग लगे हैं, वह हटें और हमारी जो छवि है वह वापस लौटे.
क्या है पूरा मामला
14 सितंबर 2020 को हाथरस में चंदपा कोतवाली इलाके के एक गांव में दलित युवती के साथ दरिंदगी हुई थी. इस मामले में एक-एक कर सभी चारों आरोपी पकड़ कर जेल भेज दिए गए थे. 29 सितंबर को इलाज के दौरान युवती की दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मौत हुई थी. उसके शव का अंतिम संस्कार भी विवादों में रहा था. बाद में इस मामले को लेकर देश में जमकर राजनीति हुई थी.
CBI ने कोर्ट में दाखिल की चार्जशीट
14 अक्टूबर को इस मामले की जांच सीबीआई ने शुरू की थी. सीबीआई ने दो महीने की अपनी जांच पड़ताल के बाद 18 दिसंबर को चार्जशीट हाथरस कोर्ट में दाखिल की थी. जिसमें अंतिम बयान को आधार माना गया था. हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में इस चर्चित मामले से संबंधित ऑडियो 16 जनवरी को संबंधित वकील और पक्षकारों को दिखाए जाने का निर्णय हुआ है. ताकि वह अपना पक्ष अदालत में पेश कर सकें.
वापस लौटे हाथरस की पुरानी छवि
साहित्यकार विद्या सागर विकल का कहना है कि हाथरस की विदेशों तक जो पहचान बनी है. वह कारोबारी क्षेत्र में हींग की खुशबू की वजह से और साहित्य के क्षेत्र में काका हाथरसी की कविताओं की वजह से बनी है. इस साल दलित युवती के साथ जो कांड हुआ, उससे हाथरस की छवि खराब हुई है. इससे हमारी खुशनुमा और खुशबूनुमा तस्वीरें कहीं ना कहीं धुंधली हुईं हैं. विद्या सागर विकल का कहना है कि हम यह कामना करते हैं, कि इस पर यह जो दाग लगा है, वह हटे और हमारी जो वास्तविक छवि थी वह लौटे.
'समाज और देश पर दाग नहीं होते अच्छे'
दाग कोई भी हो, कैसा भी हो, अच्छा नहीं होता. साहित्यकार विद्या सागर विकल का कहना है कि दाग चाहे कपड़ों पर हो, किसी के शरीर पर हो, समाज पर हो, या देश पर, वो अच्छा नहीं होता है. इसलिए हाथरस के लोग चाहते हैं कि उनकी वास्तविक छवि वापस लौटे.