हाथरस: दिल्ली और आस-पास के इलाकों के साथ-साथ जिले की भी हवा जहरीली होती जा रही है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में भी यहां की वायु प्रदूषित बताई गई है. इसकी मुख्य वजह पराली और कूड़ा जलाना बताई जा रही है. हालांकि जनपद में अभी तक पराली जलाने का एक ही मामला सामने आया है.
जिले में हवा के प्रदूषित होने से लोगों को सांस लेने में भी तकलीफ होने लगी है. कृषि अधिकारी और वैज्ञानिक ग्रामीणों को पराली जलाने से होने वाले शारीरिक नुकसान और भूमि की उर्वरा शक्ति कम होने संबंधी जानकारी देने में जुटे हुए हैं.
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किसान रामबाबू शर्मा का कहना है कि पराली जलाने से किसान को कोई खास फायदा नहीं होता है. सिर्फ खेत आगे की फसल के लिए जल्दी तैयार हो जाता है. पराली जलाने से हवा तो प्रदूषित होती ही है. किसान को पराली जलाने का नुकसान भी झेलना पड़ता है. उसके खेत में जीवांश कार्बन जो जमीन के अंदर होते है वह खत्म हो जाता है. किसान चाहते हैं कि सरकार ऐसी विधि अपनाए, जिससे किसान का भी फायदा हो और प्रदूषण भी न हो.
कृषि उपनिदेशक एचएन सिंह का कहना है कि पराली जलाने पर जुर्माने का प्रावधान है. हालांकि जनपद में अभी तक पराली जलाने का एक ही मामला सामने आया है. वैसे धान की फसल की कटाई अधिकांश हाथों से होती है और उसका प्रयोग पशुओं के चारे में किया जाता है. इसलिए यहां का किसान फसल की पराली और अवशेष जलाता नहीं है.