हाथरस: चंदपा थाना क्षेत्र में हुई गैंगरेप की घटना में पीड़ित युवती ने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में 29 सितंबर को दम तोड़ दिया. पीड़िता की मौत के बाद पुलिस मंगलवार देर रात शव को लेकर उसके गांव पहुंची. यहां ग्रामीणों के हंगामे के बाद पुलिस ने चोरी छिपे उसका अंतिम संस्कार कर दिया. पीड़िता के घरवाले उसके शव की मांग करते रहे, लेकिन पुलिस ने किसी को भी वहां जाने नहीं दिया. ईटीवी भारत से बात करते हुए पीड़िता के पिता ने कहा कि उनको पुलिस ने घर में बंद कर दिया था. वह अपनी बेटी का अंतिम संस्कार भी नहीं कर पाए.
कब क्या हुआ था
बीती 14 सितंबर को हाथरस के कोतवाली चंदपा थाना क्षेत्र में 19 साल की एक लड़की अपनी मां और भाई के साथ पशुओं के लिए चारा लेने गई थी. कहा जा रहा है कि गांव के ही चार लड़के उसपर बुरी नजर रखे हुए थे. आरोप है कि मौका मिलते ही एक लड़का संदीप उसे जबरन खेत में खींच कर दूसरे छोर पर लेकर गया. जहां उसके तीन साथी पहले से मौजूद थे. चारों लोगों ने उसके साथ रेप किया. जब आरोपियों ने लड़की के विरोध के तेवर देखे तो उन्होंने उसकी जान लेने की कोशिश की. चारों लड़कों ने उसे इतना मारा कि उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गई. आरोपियों ने उसका गला तक दबा दिया, जिससे गैंगरेप पीड़िता की जीभ भी कट गई और वह बेहोश हो गई. बेहोशी के बाद आरोपी उसे मरा समझकर खेत में ही छोड़ गए.
परिजन पीड़िता को जिला अस्पताल लेकर गए, जहां से प्राथमिक उपचार के बाद उसे अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया. आनन-फानन में परिवारवाले उसे अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज ले आए. जब उसे होश आया तो उसने इशारों में अपने साथ हुई दरिंदगी बयां की. हालत गंभीर होने और जीभ कटी होने के चलते वह कुछ बोल नहीं सकी.
संवेदनहीन बनी रही पुलिस
इतने गंभीर हालात होने के बाद भी पुलिस की संवेदनहीनता इतनी कि उन्होंने पीड़िता के साथ हुई गैंगरेप की घटना को गंभीरता से नहीं लिया. पुलिस पीड़िता के बयान का इंतजार कर रही थी, जो कटी जीभ के कारण मुमकिन ही नहीं था. जुल्म की इस खबर से जब लोगों में आक्रोश बढ़ने लगा तब पुलिस ने दर्ज केस में रेप की धाराएं जोड़ीं और आरोपियों को गिरफ्तार किया.
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चंदपा थाना क्षेत्र के गांव में 19 वर्षीय युवती पर हुए कातिलाना हमले के संदर्भ में धारा 307 और 325 एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था. एफआईआर में नामजद आरोपी को गिरफ्तार कर उसे जेल भेजा गया था. पीड़िता के विवेचक और उसके परिवारवालों के बयान के आधार पर समुचित धाराओं की बढ़ोतरी की गई है और अन्य अभियुक्तों के नाम सामने लाए गए हैं.
प्रकाश कुमार, एडिशनल एसपी
सफदरजंग हॉस्पिटल में तोड़ा दम
जिंदगी की उम्मीद में पीड़िता लगातार मौत के करीब जा रही थी. 28 सितंबर को अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने भी पीड़िता की खराब होती हालत देखकर हाथ खड़े कर दिए. इसके बाद प्रशासन पीड़िता को लेकर दिल्ली के सफदरजंग हॉस्पिटल पहुंच गया. वहां इलाज के दौरान, बेबस लड़की को जो भी दिखाई दे रहा था, उसे इशारों में ही अपनी दर्द भरी दास्तां बता रही थी. आखिरकार 29 सितंबर की सुबह हाथरस की बेटी दरिंदों से मिले दर्द के सामने हार गई. सांस ने शरीर का साथ छोड़ दिया.
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किसी को नहीं मिला कंधा देने का मौका
मौत के बाद पुलिस ने इंसाफ देने का नायाब रास्ता ढूंढ़ा. मौत के बाद पुलिस लाश लेकर उसके गांव पहुंची. लाश के साथ पहुंची तमाम फोर्स और खाकी वर्दी वाले आला अफसरों ने रात करीब पौने 3 बजे उसका अंतिम संस्कार कर दिया. अंतिम यात्रा के दौरान उसके साथ एक बार फिर नाइंसाफी हुई. पुलिस ने परिजनों को कंधा देने का मौका तक नहीं दिया. पीड़िता के घर में उसका भाई था, पिता थे, लेकिन किसी ने मुखाग्नि नहीं दी. जब उसका शरीर जल रहा था तब सैकड़ों की संख्या में पुलिस इलाके को घेरे खड़ी थी, ताकि कोई उसके नजदीक न जा सके. गांव वाले दूर खड़े थे. मीडिया को भी पास जाने की इजाजत नहीं थी. वह भी दूर से चिता की तस्वीरें ले रहे थे.
परिजनों के सहयोग और अनुमति से मृतका का अंतिम संस्कार करा दिया गया है. पूरे गांव और पूरे शहर में शांति व्यवस्था बनी हुई है, किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं आई है.
-प्रेम प्रकाश मीणा, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट
मृतका के परिजनों द्वारा लगाए गए सारे आरोप गलत हैं. परिवारीजनों को समय दिया गया था. मृतका का अंतिम संस्कार परिजनों ने ही किया है.
प्रवीण कुमार, जिलाधिकारी
सोशल मीडिया पर हुआ विरोध
बुधवार सुबह 30 सितंबर को लड़की का शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया. इस खबर पर कांग्रेस नेता राहुल-प्रियंका समेत तमाम नेता ट्विटर पर विरोध जता चुके हैं. सभी को अब सिर्फ न्याय का इंतजार है. अब देखना है कि दोषियों को सजा कब मिलेगी. हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कठोर कार्रवाई के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात की है.
सीएम योगी ने परिजनों से की बात
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले को लेकर पीड़िता के पिता से बात की. उन्होंने बेटी को न्याय दिलाने का पूरा भरोसा दिया. मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन कर दिया गया है. सात दिन में एसआईटी आपनी रिपोर्ट सौंपेगी. सीएम योगी ने परिजनों को 25 लाख रुपये मुआवजा और एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी देने का भरोसा दिया है.