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हाथरस: लाॅकडाउल में रोजी-रोटी का संकट, पैदल ही गुरुग्राम से घर लौट रहा परिवार - lockdown latest news in hindi hathras

उत्तर प्रदेश के हाथरस में शुक्रवार को गुरुग्राम से पैदल चलकर एक गरीब परिवार पहुंचा. लाॅकडाउल होने के कारण इनके सामने रोजी- रोटी का संकट आ गया है. ऐसे में परिवार ने पैदल ही घर जाने का फैसला किया.

लाॅकडाउल में रोजी-रोटी का संकट
पैदल ही गुरूग्राम से घर वापस लौट रहा परिवार
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Published : Mar 27, 2020, 6:03 PM IST

हाथरस: कोरोना वायरस के संक्रमण को कम करने के लिए पूरे देश में 21 दिनों का लाॅकडाउल किया गया है. इस कारण दूसरे शहरों में काम कर रहे लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट आ गया है. ऐसे में गुरुग्राम में काम करने वाले फर्रुखाबाद निवासी विकास अपने परिवार के साथ गुरुवार को ही घर के लिए पैदल चल दिए.

पैदल ही गुरुग्राम से घर वापस लौट रहा परिवार.

शुक्रवार को करीब 175 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद हाथरस पहुंचे. अपने घर फर्रुखाबाद तक पहुंचने के लिए अभी इन्हें 250 किलोमीटर की दूरी और तय करनी है. वहीं लाॅकडाउल के दौरान गरीब लोगों को खना खिला रहे लोगों ने इन्हें जाते देख रोका और खाना खिलाया.

इन लोगों ने बताया कि वह गुरुग्राम में एक निजी कंपनी में काम करते हैं. कंपनी में पैसा कुछ दिन बाद मिलता है, लेकिन खर्च के पैसे नहीं होने के कारण घर के लिए पैदल चल पड़े हैं. विकास ने बताया कि रास्ते में कहीं पांच तो कहीं दस किलोमीटर तक के लिए वाहनों का सहारा मिल गया था. वहीं गरीब लोगों को खाना खिलाने के लिए निकले योगेंद्र मेहता ने बताया कि कल उन्होंने कुछ लोगों को खेत से गेहूं तोड़कर भूनकर खाते देखा था. तभी उन्होंने फैसला किया कि वह ऐसे लोगों को भोजन कराएंगे.

हाथरस: कोरोना वायरस के संक्रमण को कम करने के लिए पूरे देश में 21 दिनों का लाॅकडाउल किया गया है. इस कारण दूसरे शहरों में काम कर रहे लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट आ गया है. ऐसे में गुरुग्राम में काम करने वाले फर्रुखाबाद निवासी विकास अपने परिवार के साथ गुरुवार को ही घर के लिए पैदल चल दिए.

पैदल ही गुरुग्राम से घर वापस लौट रहा परिवार.

शुक्रवार को करीब 175 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद हाथरस पहुंचे. अपने घर फर्रुखाबाद तक पहुंचने के लिए अभी इन्हें 250 किलोमीटर की दूरी और तय करनी है. वहीं लाॅकडाउल के दौरान गरीब लोगों को खना खिला रहे लोगों ने इन्हें जाते देख रोका और खाना खिलाया.

इन लोगों ने बताया कि वह गुरुग्राम में एक निजी कंपनी में काम करते हैं. कंपनी में पैसा कुछ दिन बाद मिलता है, लेकिन खर्च के पैसे नहीं होने के कारण घर के लिए पैदल चल पड़े हैं. विकास ने बताया कि रास्ते में कहीं पांच तो कहीं दस किलोमीटर तक के लिए वाहनों का सहारा मिल गया था. वहीं गरीब लोगों को खाना खिलाने के लिए निकले योगेंद्र मेहता ने बताया कि कल उन्होंने कुछ लोगों को खेत से गेहूं तोड़कर भूनकर खाते देखा था. तभी उन्होंने फैसला किया कि वह ऐसे लोगों को भोजन कराएंगे.

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