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विश्व कैंसर दिवस: इलाज से ज्यादा महत्वपूर्ण है जागरूकता

हर साल विश्व कैंसर दिवस 4 फरवरी को मनाया जाता है. भारत समेत दुनिया भर में लोग इस बीमारी से ग्रसित हैं. इस बारे में हाथरस के मुख्य चिकित्साधिकारी बताते हैं कि कैंसर में इलाज से ज्यादा महत्वपूर्ण जागरूकता है. इस बीमारी की चपेट में आने वाले मरीजों में यदि भय पैदा न हो तो वह और जीवन जी सकते हैं.

awareness in cancer is more important than cure
हाथरस के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉक्टर बृजेश राठौर. .
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Published : Feb 4, 2020, 3:59 AM IST

Updated : Feb 4, 2020, 7:00 AM IST

हाथरस: कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसका नाम सुनते ही लोगों में भय पैदा हो जाता है. यह एक ऐसी जानलेवा बीमारी है, जिससे सबसे ज्यादा लोगों की मृत्यु होती है. यह बीमारी पूरे विश्व में फैल चुकी है. इसकी चपेट में सबसे अधिक मरीज है. कैंसर की रोकथाम करने और जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 4 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है.

जानकारी देते मुख्य चिकित्साधिकारी.

सबसे पहले विश्व कैंसर दिवस वर्ष 1993 में जिनेवा, स्विट्जरलैंड में यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल द्वारा मनाया गया. इस दिवस को मनाने का प्राथमिक उद्देश्य कैंसर पीड़ित व्यक्तियों की संख्या को कम करना और इसके कारण होने वाली मृत्यु दर में कमी लाना, लोगों में कैंसर के लक्षणों को पहचानने के लिए प्रयास करना, उनमें जागरूकता बढ़ाना और लोगों को शिक्षित करना है.

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर बृजेश राठौर ने बताया कि कैंसर जैसी घातक बीमारी से बचने के लिए सावधानी व सतर्कता जरूरी है. इस बार की थीम 'मैं हूं और मैं रहूंगा' (आई एम एंड आई विल) है. कैंसर से बचाव के लिए इसके विभिन्न कारण और लक्षण के बारे में जानकारी होना आवश्यक है.

उन्होंने बताया कि कैंसर के कई प्रकार ऐसे होते हैं, जिन्हें बहुत देर से पता चलता है, जिससे इलाज में देरी होती है. इसके प्रति जागरूकता बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है. संभव है कि इस बीमारी की चपेट में आने वाले मरीजों में भय न पैदा हो तो वह और जीवन जी सकता हैं, जिससे इस बार की थीम 'मैं हूं और मैं रहूंगा' सफल होगी.

ये भी पढ़ें: हाथरस: 500 बाल स्वयंसेवकों ने निकाला पथ संचलन

हाथरस: कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसका नाम सुनते ही लोगों में भय पैदा हो जाता है. यह एक ऐसी जानलेवा बीमारी है, जिससे सबसे ज्यादा लोगों की मृत्यु होती है. यह बीमारी पूरे विश्व में फैल चुकी है. इसकी चपेट में सबसे अधिक मरीज है. कैंसर की रोकथाम करने और जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 4 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है.

जानकारी देते मुख्य चिकित्साधिकारी.

सबसे पहले विश्व कैंसर दिवस वर्ष 1993 में जिनेवा, स्विट्जरलैंड में यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल द्वारा मनाया गया. इस दिवस को मनाने का प्राथमिक उद्देश्य कैंसर पीड़ित व्यक्तियों की संख्या को कम करना और इसके कारण होने वाली मृत्यु दर में कमी लाना, लोगों में कैंसर के लक्षणों को पहचानने के लिए प्रयास करना, उनमें जागरूकता बढ़ाना और लोगों को शिक्षित करना है.

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर बृजेश राठौर ने बताया कि कैंसर जैसी घातक बीमारी से बचने के लिए सावधानी व सतर्कता जरूरी है. इस बार की थीम 'मैं हूं और मैं रहूंगा' (आई एम एंड आई विल) है. कैंसर से बचाव के लिए इसके विभिन्न कारण और लक्षण के बारे में जानकारी होना आवश्यक है.

उन्होंने बताया कि कैंसर के कई प्रकार ऐसे होते हैं, जिन्हें बहुत देर से पता चलता है, जिससे इलाज में देरी होती है. इसके प्रति जागरूकता बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है. संभव है कि इस बीमारी की चपेट में आने वाले मरीजों में भय न पैदा हो तो वह और जीवन जी सकता हैं, जिससे इस बार की थीम 'मैं हूं और मैं रहूंगा' सफल होगी.

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एंकर:- कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसका नाम सुनते ही लोगों में भय पैदा हो जाता है। यह एक ऐसी जानलेवा बीमारी है जिससे सबसे ज्यादा लोगों की मृत्यु होती है। यह बीमारी पूरे विश्व में फैल चुकी है, इस बीमारी की चपेट में सबसे अधिक मरीज है। इसकी रोकथाम करने और जागरूकता फैलाने के लिए हर साल चार फरवरी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है।


Body:वीओ:- सबसे पहले विश्व कैंसर दिवस वर्ष 1993 में जिनेवा, स्विट्जरलैंड में यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल के द्वारा मनाया गया। विश्व कैंसर दिवस की स्थापना यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल के द्वारा की गई। इस दिवस को मनाने का प्राथमिक उद्देश्य कैंसर पीड़ित व्यक्तियों की संख्या को कम करना और इसके कारण होने वाली मृत्यु दर में कमी लाना है। लोगों में कैंसर के लक्षणों को पहचानने के लिए प्रयास करना उनमें जागरूकता बढ़ाना और लोगों को शिक्षित करना है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी हाथरस डॉ. बृजेश राठौर ने बताया कि कैंसर जैसी घातक बीमारी से बचने के लिए सावधानी व सतर्कता जरूरी है। इस बार की थीम "मैं हूं और मैं रहूंगा (आई एम एंड आई विल)" है। इससे बचाव के लिए इसके विभिन्न कारण और लक्षण के बारे में जानकारी होना आवश्यक है। कैंसर के कई प्रकार ऐसे होते हैं जिन्हें बहुत देर से पता चलता है, जिससे इलाज में देरी होती है। उन्होंने बताया कि इसके प्रति जागरूकता बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है।

बाइट:- डॉ. बृजेश राठौर - मुख्य चिकित्सा अधिकारी, हाथरस


Conclusion:वीओ2-संभव है कि इस बीमारी की चपेट में आने वाले मरीजों में भय न पैदा हो तो वह और जीवन जी सकता हैं।जिससे इस बार की थीम "मैं हूं और मैं रहूंगा" सफल होगी।

अतुल नारायण
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Last Updated : Feb 4, 2020, 7:00 AM IST
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