हाथरस: डिजिटल युग में अब आंगनबाड़ी केन्द्रों के लाभार्थियों का ब्यौरा भी डिजिटल किया जाएगा. इसका जिम्मा कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) संचालकों को सौंपा गया है. हाथरस जिले में बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के निदेशक की ओर से प्रदेश के सभी जिला कार्यक्रम अधिकारियों को दिशा निर्देश जारी किये गये हैं.
जिला कार्यक्रम अधिकारी डीके सिंह ने बताया कि जनपद के 1712 आंगनबाड़ी केन्द्रों के लाभार्थियों का ब्यौरा ऑनलाइन किया जाएगा. कॉमन सर्विस सेंटर संचालकों को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गयी है. सीएससी संचालक सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर जाकर वहां के रजिस्टरों की फोटो लेंगे. इस पर सभी लाभार्थियों का विवरण दर्ज होगा. फोटो लेने से पहले लाभार्थी सूची के हर पन्ने पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के हस्ताक्षर होना अनिवार्य है. उन्होंने बताया आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा सभी लाभार्थियों के पहचान पत्र के रूप में आधार कार्ड का नम्बर, राशन कार्ड का विवरण, मोबाइल नम्बर दर्ज करना होगा. लाभार्थी का मोबाइल नम्बर न होने पर उसके परिवार के किसी भी व्यक्ति का मोबाइल नम्बर दर्ज किया जाएगा.
डीपीओ ने बताया कि सभी बाल विकास परियोजना अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वह सुनिश्चित करें कि सूचना अपडेट हो रही है या नहीं. सभी मुख्य सेविकाओं को भी निर्देशित किया गया है कि वह आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से प्रारूप के अनुसार सूचना अपडेट कराएं, जिससे इस काम में कोई समस्या न आए. गर्भवती और धात्री महिलाओं, सात माह से तीन वर्ष तक के बच्चे, तीन साल से छह साल के बच्चे एवं स्कूल छोड़ चुकी किशोरियों के डाटा का डिजिटलीकरण किया जाएगा. जनपद में इस समय 1.81 लाख जन्म से 6 वर्ष के बच्चे और 41000 गर्भवती और धात्री महिलाएं आंगनबाड़ी केंद्रों पर पंजीकृत हैं.
उन्होंने बताया कि बाल विकास परियोजना अधिकारी और मुख्य सेविकाओं को निर्देश दिया गया है कि आरोग्य सेतु ऐप तथा संचारी रोग नियंत्रण एवं दस्तक अभियान पर जोर दें. आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से अधिक से अधिक लोगों से आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड कराने के साथ ही दस्तक अभियान में निष्ठापूर्वक दायित्व निभाने के लिये भी कहें. उन्होंने बताया ऑनलाइन सम्पर्क न होने पर मुख्य सेविका क्षेत्र का भ्रमण सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखकर करें. जरूरत पड़ने पर अलग-अलग समूहों की बैठक करें.
हाथरस: आंगनबाड़ी केंद्रों के लाभार्थियों का ब्यौरा होगा डिजिटल
उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में अब आंगनबाड़ी केन्द्र के लाभार्थियों का विवरण डिजिटल होगा. इसके तहत लाभार्थी का मोबाइल नंबर, आधार कार्ड की फोटो, राशन कार्ड का विवरण दर्ज कराना होगा.
हाथरस: डिजिटल युग में अब आंगनबाड़ी केन्द्रों के लाभार्थियों का ब्यौरा भी डिजिटल किया जाएगा. इसका जिम्मा कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) संचालकों को सौंपा गया है. हाथरस जिले में बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के निदेशक की ओर से प्रदेश के सभी जिला कार्यक्रम अधिकारियों को दिशा निर्देश जारी किये गये हैं.
जिला कार्यक्रम अधिकारी डीके सिंह ने बताया कि जनपद के 1712 आंगनबाड़ी केन्द्रों के लाभार्थियों का ब्यौरा ऑनलाइन किया जाएगा. कॉमन सर्विस सेंटर संचालकों को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गयी है. सीएससी संचालक सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर जाकर वहां के रजिस्टरों की फोटो लेंगे. इस पर सभी लाभार्थियों का विवरण दर्ज होगा. फोटो लेने से पहले लाभार्थी सूची के हर पन्ने पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के हस्ताक्षर होना अनिवार्य है. उन्होंने बताया आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा सभी लाभार्थियों के पहचान पत्र के रूप में आधार कार्ड का नम्बर, राशन कार्ड का विवरण, मोबाइल नम्बर दर्ज करना होगा. लाभार्थी का मोबाइल नम्बर न होने पर उसके परिवार के किसी भी व्यक्ति का मोबाइल नम्बर दर्ज किया जाएगा.
डीपीओ ने बताया कि सभी बाल विकास परियोजना अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वह सुनिश्चित करें कि सूचना अपडेट हो रही है या नहीं. सभी मुख्य सेविकाओं को भी निर्देशित किया गया है कि वह आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से प्रारूप के अनुसार सूचना अपडेट कराएं, जिससे इस काम में कोई समस्या न आए. गर्भवती और धात्री महिलाओं, सात माह से तीन वर्ष तक के बच्चे, तीन साल से छह साल के बच्चे एवं स्कूल छोड़ चुकी किशोरियों के डाटा का डिजिटलीकरण किया जाएगा. जनपद में इस समय 1.81 लाख जन्म से 6 वर्ष के बच्चे और 41000 गर्भवती और धात्री महिलाएं आंगनबाड़ी केंद्रों पर पंजीकृत हैं.
उन्होंने बताया कि बाल विकास परियोजना अधिकारी और मुख्य सेविकाओं को निर्देश दिया गया है कि आरोग्य सेतु ऐप तथा संचारी रोग नियंत्रण एवं दस्तक अभियान पर जोर दें. आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से अधिक से अधिक लोगों से आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड कराने के साथ ही दस्तक अभियान में निष्ठापूर्वक दायित्व निभाने के लिये भी कहें. उन्होंने बताया ऑनलाइन सम्पर्क न होने पर मुख्य सेविका क्षेत्र का भ्रमण सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखकर करें. जरूरत पड़ने पर अलग-अलग समूहों की बैठक करें.