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मृदा स्वास्थ्य दिवस पर कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को दी ये खास जानकारी - Hathras latest news

मिट्टी के जैविक गुणों में कमी आने की वजह से उसकी उपज क्षमता में कमी आ रही है. यह चिंता का विषय है. मिट्टी का मृदा परीक्षण कराकर उसकी उर्वरा शक्ति को बचाए रखने के लिए जैविक उर्वरक का कैसे प्रयोग किया जाए, किस खेत में कौन सी फसल की पैदावार की जाए. कुछ ऐसी जानकारी विश्व मृदा दिवस पर हाथरस जिले के गांव अहवरनपुर में कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को दी.

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कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को दी जानकारी
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Published : Dec 5, 2019, 11:52 PM IST

हाथरस: मिट्टी के जैविक गुणों में कमी आने की वजह से उसकी उपज क्षमता में कमी आ रही है. यह चिंता का विषय है. इसी के चलते कृषि वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसी जानकारी विश्व मृदा दिवस पर हाथरस जिले के गांव अहवरनपुर में किसानों को दी.

कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को दी जानकारी
  • विश्व भर में हर साल 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य किसानों को मिट्टी की महत्ता के बारे में जागरूक करना है.
  • हाथरस में विश्व मृदा दिवस के अवसर पर गांव है अहवरनपुर में कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा शिविर लगाया गया, जिसमें कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को समझाया कि वह अपने खेत की मृदा को कैसे स्वस्थ रख सकते हैं. इसके साथ ही उन्हें अपने खेत की मिट्टी की जांच कराने की बात बताई.
  • कृषि वैज्ञानिक केंद्र हाथरस के अध्यक्ष व वरिष्ठ वैज्ञानिक श्योराज सिंह ने बताया कि मृदा परीक्षण से किसान को पता चलेगा कि उसकी मिट्टी में किन-किन पोषक तत्वों की कमी है. उन्होंने कहा कि बदलते जल वायु परिवर्तन के कारण मिट्टी बीमार होती जा रही है.
  • मिट्टी के जैविक गुणों में कमी आने की वजह से मिट्टी की उपजाऊ क्षमता में गिरावट आ रही है.
  • जमीन की उर्वरा शक्ति को बचाए रखने के लिए किसान जैविक उर्वरकों का प्रयोग करें. इससे जमीन की उर्वरा शक्ति बनी रहती है और पैदावार भी अच्छी होती है. उन्होंने बताया कि किसान अपने खेत की मिट्टी की जांच कराएं ताकि उनकी आय दोगुनी हो सके.
  • वहीं शिविर में उपस्थित किसानों ने बताया कि इसके माध्यम से उन्हें काफी लाभ हो रहा है. उन्हें मृदा के स्वास्थ्य से जुड़ी तमाम जानकारियां दी गई हैं. मृदा स्वास्थ्य परीक्षण महत्वपूर्ण है. इससे किसानों को पता लगता है कि उन्हें अपने खेत में किस- किस खाद का कितना-कितना प्रयोग करना है. किस खेत में कौन सी फसल की पैदावार करनी है.
  • यदि किसान मृदा परीक्षण कराने के साथ ही खेत में पोषक तत्वों की कमी के हिसाब से उर्वरकों का प्रयोग करेंगे तो निश्चित ही उनकी पैदावार बढ़ेगी और पैदावार बढ़ेगी तो उनकी आमदनी भी बढ़ेगी.

हाथरस: मिट्टी के जैविक गुणों में कमी आने की वजह से उसकी उपज क्षमता में कमी आ रही है. यह चिंता का विषय है. इसी के चलते कृषि वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसी जानकारी विश्व मृदा दिवस पर हाथरस जिले के गांव अहवरनपुर में किसानों को दी.

कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को दी जानकारी
  • विश्व भर में हर साल 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य किसानों को मिट्टी की महत्ता के बारे में जागरूक करना है.
  • हाथरस में विश्व मृदा दिवस के अवसर पर गांव है अहवरनपुर में कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा शिविर लगाया गया, जिसमें कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को समझाया कि वह अपने खेत की मृदा को कैसे स्वस्थ रख सकते हैं. इसके साथ ही उन्हें अपने खेत की मिट्टी की जांच कराने की बात बताई.
  • कृषि वैज्ञानिक केंद्र हाथरस के अध्यक्ष व वरिष्ठ वैज्ञानिक श्योराज सिंह ने बताया कि मृदा परीक्षण से किसान को पता चलेगा कि उसकी मिट्टी में किन-किन पोषक तत्वों की कमी है. उन्होंने कहा कि बदलते जल वायु परिवर्तन के कारण मिट्टी बीमार होती जा रही है.
  • मिट्टी के जैविक गुणों में कमी आने की वजह से मिट्टी की उपजाऊ क्षमता में गिरावट आ रही है.
  • जमीन की उर्वरा शक्ति को बचाए रखने के लिए किसान जैविक उर्वरकों का प्रयोग करें. इससे जमीन की उर्वरा शक्ति बनी रहती है और पैदावार भी अच्छी होती है. उन्होंने बताया कि किसान अपने खेत की मिट्टी की जांच कराएं ताकि उनकी आय दोगुनी हो सके.
  • वहीं शिविर में उपस्थित किसानों ने बताया कि इसके माध्यम से उन्हें काफी लाभ हो रहा है. उन्हें मृदा के स्वास्थ्य से जुड़ी तमाम जानकारियां दी गई हैं. मृदा स्वास्थ्य परीक्षण महत्वपूर्ण है. इससे किसानों को पता लगता है कि उन्हें अपने खेत में किस- किस खाद का कितना-कितना प्रयोग करना है. किस खेत में कौन सी फसल की पैदावार करनी है.
  • यदि किसान मृदा परीक्षण कराने के साथ ही खेत में पोषक तत्वों की कमी के हिसाब से उर्वरकों का प्रयोग करेंगे तो निश्चित ही उनकी पैदावार बढ़ेगी और पैदावार बढ़ेगी तो उनकी आमदनी भी बढ़ेगी.
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एंकर- मिट्टी के जैविक गुणों में कमी आने की वजह से उसकी उपजाऊ क्षमता में कमी आ रही है यह चिंता का विषय है।मिट्टी का मृदा परीक्षण कराकर उसकी उर्वरा शक्ति को बचाए रखने के लिए जैविक उर्वरक का कैसे प्रयोग किया जाए,किस खेत मे कौन सी फसल की पैदावार की जाए।कुछ ऐसी जानकारी विश्व मृदा दिवस पर हाथरस जिले के गांव अहवरनपुर में कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को दी


Body:वीओ1- विश्व भर में हर साल 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाया जाता है ।इस दिवस को मनाने का उद्देश्य किसानों को मिट्टी की महत्ता के बारे में जागरूक करना है। हाथरस में विश्व मृदा दिवस के अवसर पर गांव है अहवरनपुर में कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा शिविर लगाया गया।जिसमें कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को समझाया कि वहअपने खेत की मृदा को कैसे स्वस्थ रख सकते हैं। इसके साथ ही उन्हेंअपने खेत की मिट्टी की जांच कराने की बात बताई ।कृषि वैज्ञानिक केंद्र हाथरस के अध्यक्ष व वरिष्ठ वैज्ञानिक श्योराज सिंह ने बताया कि मृदा परीक्षण से किसान को पता चलेगा कि उसकी मिट्टी में किन-किन पोषक तत्वों की कमी है। उन्होंने कहाकि बदलते जलवायु परिवर्तन के कारण मिट्टी बीमार होती जा रही है। मिट्टी के जैविक गुणों में कमी आने की वजह से मिट्टी की उपजाऊ क्षमता में गिरावट आ रही है ।जमीन की उर्वरा शक्ति को बचाए रखने के लिए किसान जैविक उर्वरकों का प्रयोग करें। इससे जमीन की उर्वरा शक्ति बनी रहती है और पैदावार भी अच्छी होती है। उन्होंने बताया कि किसान अपने खेत की मिट्टी की जांच कराएं ताकि उनकी आय दोगुनी हो सके। वहीं शिविर में उपस्थित किसानों ने बताया कि इसके माध्यम से उन्हें काफी लाभ हो रहा है ।उन्हें मर्दा के स्वास्थ्य से जुड़ी तमाम जानकारियां दी गई हैं। किसानों ने बताया कि मृदा स्वास्थ्य परीक्षण महत्वपूर्ण है इससे किसानों को पता लगता है कि उन्हें अपने खेत में किस- किस खाद का कितना-कितना प्रयोग करना है। किस खेत में कौन सी फसल की पैदावार करनी है।
बाईट1- रामगोपाल- किसान
बाईट2- नत्थी लाल शर्मा -किसान
बाईट3-श्योराज सिंह


Conclusion:वीओ2- यदि किसान मृदा परीक्षण कराने के साथ ही खेत में पोषक तत्वों की कमी के हिसाब से उर्वरकों का प्रयोग करेंगे तो निश्चित ही उनकी पैदावार बढ़ेगी और पैदावार बढ़ेगी तो उनकी आमदनी भी बढ़ेगी।

अतुल नारायण
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