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तालिबानियों ने उड़ाई हींग की महक...बढ़ सकते हैं दाम

अफगानिस्तान में चल रहे घटनाक्रम के कारण हाथरस में हींग के कारोबार पर असर पड़ने लगा है. क्योंकि हींग बनाने कच्चा माल अफगानिस्तान से आता है. ऐसे में जिले के हींग कारोबारी चिंतित हैं.

अफगानिस्तान की स्थिति का प्रभाव हाथरस में हींग कारोबार पर.
अफगानिस्तान की स्थिति का प्रभाव हाथरस में हींग कारोबार पर.
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Published : Aug 19, 2021, 5:57 PM IST

हाथरसः अफगानिस्तान (Afghanistan) में हो रही हिंसा और तालीबान (Taliban) के कब्जे ने जहां कई देशों की नींद उड़ा रखी है. वहीं, जिले की हींग (Asafoetida) की महक भी उड़ने लगी है. कारोबारियों का कहना है कि अफगानिस्तान में पैदा हुए हालात के चलते हींग के दाम बढ़ने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है. क्योंकि हींग बनाने के लिए कच्चा माल अफगानिस्तान से ही आता है.

अफगानिस्तान की स्थिति का प्रभाव हाथरस में हींग कारोबार पर.
बता दें कि हींग कारोबार (Asafoetida Business) हाथरस जिले में 'एक जिला एक उत्पाद' में भी शामिल है. हाथरस में बनी हींग विदेशों तक खाने में अपना जायका बिखेरती है, वह भी चुटकी भर. यहां बनी हींग के लिए दूध (रेजीन) अफगानिस्तान, तजाकिस्तान, कजाकिस्तान, ईराक आदि देशों से आता है. जिसे खाने लायक हाथरस में बनाने का काम होता है. हाथरस में बनी हुई हींग जहां देश के कोने-कोने में जाती है, वहीं विदेशों में भी इसका तड़का लगता है. जिले में हींग की करीब 15 बड़ी फैक्ट्री हैं. इसके अलावा कुटीर उद्योग के रूप में भी इसे बनाने का काम होता है. इस कारोबार से करीब ढाई हजार मजदूर जुड़े हुए हैं. जिले में हींग कारोबार का टर्नओवर 50 करोड़ से अधिक का बताया जाता है.
कारोबारी राजेश अग्रवाल बताते हैं कि अफगानिस्तान की स्थिति का प्रभाव हींग कारोबार करने वालों पर खासा पड़ा है. वहां से हींग का आयात हम लोग नहीं कर पा रहे हैं. इस वजह से हमें बहुत दिक्कतें आ रही हैं. हींग की कीमतों में 10 से 15 फीसदी का उछाल आ चुका है, जल्दी ही और बढ़ने की संभावना है. यदि महीने, डेढ़ महीने तक यही स्थिति बनी रहीं, कच्चा माल नहीं आया तो हम लोगों का काम ठप हो सकता है.
हींग के एक और कारोबारी बांके बिहारी अग्रवाल ने बताया कि अफगानिस्तान से भारी मात्रा में हींग का कच्चा माल आता है. अफगानिस्तान के घटना क्रम पर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है. उन्होंने कहा कि जब तक गवर्नमेंट की स्थिति स्पष्ट नहीं हो जाती कि तालिबान के साथ व्यापारिक रिश्ते रहेंगे क्या रहेंगे? तब तक कुछ कहना मुश्किल है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में हींग सप्लाई पर सीधा प्रभाव पड़ रहा है, जिससे कीमतों में उछाल आएगा. उन्होंने बताया कि अफगानिस्तान से आने वाले प्रोडक्ट पर ड्यूटी नहीं लगती है, जबकि दूसरे देशों से आने वाले माल पर ड्यूटी देनी पड़ती है. अफगानिस्तान में चल रहे घटना क्रम को देखते हुए हींग कारोबारियों की अलग-अलग राय जरूर है, लेकिन इतना तय है कि जल्दी ही हालात नहीं सुधरे तो हींग की कीमत में बेहताशा वृद्धि हो सकती है.

इसे भी पढ़ें-अफगानिस्तान में फंसा जौनपुर का लाल, परिवार ने सरकार से सकुशल भारत लाने की लगाई गुहार

बता दें कि हींग एक ऐसा पदार्थ है, जो आपको हर भारतीय रसोई में मसालों के बीच आसानी से मिल जाएगा. सब्जी हो या दाल का तड़का, हींग ने अपनी अलग जगह बना ली है. हींग पाचन, पेट दर्द, जलन आदि के लिए बेहद उपयोगी है. भारत में हींग की भारी मात्रा में खपत होने के बावजूद इसकी खेती यहां नहीं होती. इसकी खेती मुख्य रूप से ईरान, अफगानिस्तान, बलूचिस्तान में होती है. हींग के दो प्रकार होते है-काला और सफेद, जिसमें से सफेद हींग (हीरा हींग) का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है.

हाथरसः अफगानिस्तान (Afghanistan) में हो रही हिंसा और तालीबान (Taliban) के कब्जे ने जहां कई देशों की नींद उड़ा रखी है. वहीं, जिले की हींग (Asafoetida) की महक भी उड़ने लगी है. कारोबारियों का कहना है कि अफगानिस्तान में पैदा हुए हालात के चलते हींग के दाम बढ़ने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है. क्योंकि हींग बनाने के लिए कच्चा माल अफगानिस्तान से ही आता है.

अफगानिस्तान की स्थिति का प्रभाव हाथरस में हींग कारोबार पर.
बता दें कि हींग कारोबार (Asafoetida Business) हाथरस जिले में 'एक जिला एक उत्पाद' में भी शामिल है. हाथरस में बनी हींग विदेशों तक खाने में अपना जायका बिखेरती है, वह भी चुटकी भर. यहां बनी हींग के लिए दूध (रेजीन) अफगानिस्तान, तजाकिस्तान, कजाकिस्तान, ईराक आदि देशों से आता है. जिसे खाने लायक हाथरस में बनाने का काम होता है. हाथरस में बनी हुई हींग जहां देश के कोने-कोने में जाती है, वहीं विदेशों में भी इसका तड़का लगता है. जिले में हींग की करीब 15 बड़ी फैक्ट्री हैं. इसके अलावा कुटीर उद्योग के रूप में भी इसे बनाने का काम होता है. इस कारोबार से करीब ढाई हजार मजदूर जुड़े हुए हैं. जिले में हींग कारोबार का टर्नओवर 50 करोड़ से अधिक का बताया जाता है.
कारोबारी राजेश अग्रवाल बताते हैं कि अफगानिस्तान की स्थिति का प्रभाव हींग कारोबार करने वालों पर खासा पड़ा है. वहां से हींग का आयात हम लोग नहीं कर पा रहे हैं. इस वजह से हमें बहुत दिक्कतें आ रही हैं. हींग की कीमतों में 10 से 15 फीसदी का उछाल आ चुका है, जल्दी ही और बढ़ने की संभावना है. यदि महीने, डेढ़ महीने तक यही स्थिति बनी रहीं, कच्चा माल नहीं आया तो हम लोगों का काम ठप हो सकता है.
हींग के एक और कारोबारी बांके बिहारी अग्रवाल ने बताया कि अफगानिस्तान से भारी मात्रा में हींग का कच्चा माल आता है. अफगानिस्तान के घटना क्रम पर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है. उन्होंने कहा कि जब तक गवर्नमेंट की स्थिति स्पष्ट नहीं हो जाती कि तालिबान के साथ व्यापारिक रिश्ते रहेंगे क्या रहेंगे? तब तक कुछ कहना मुश्किल है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में हींग सप्लाई पर सीधा प्रभाव पड़ रहा है, जिससे कीमतों में उछाल आएगा. उन्होंने बताया कि अफगानिस्तान से आने वाले प्रोडक्ट पर ड्यूटी नहीं लगती है, जबकि दूसरे देशों से आने वाले माल पर ड्यूटी देनी पड़ती है. अफगानिस्तान में चल रहे घटना क्रम को देखते हुए हींग कारोबारियों की अलग-अलग राय जरूर है, लेकिन इतना तय है कि जल्दी ही हालात नहीं सुधरे तो हींग की कीमत में बेहताशा वृद्धि हो सकती है.

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बता दें कि हींग एक ऐसा पदार्थ है, जो आपको हर भारतीय रसोई में मसालों के बीच आसानी से मिल जाएगा. सब्जी हो या दाल का तड़का, हींग ने अपनी अलग जगह बना ली है. हींग पाचन, पेट दर्द, जलन आदि के लिए बेहद उपयोगी है. भारत में हींग की भारी मात्रा में खपत होने के बावजूद इसकी खेती यहां नहीं होती. इसकी खेती मुख्य रूप से ईरान, अफगानिस्तान, बलूचिस्तान में होती है. हींग के दो प्रकार होते है-काला और सफेद, जिसमें से सफेद हींग (हीरा हींग) का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है.

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