हरदोई: जिले के 19 विकास खंडों में 1305 ग्राम पंचायतें मौजूद हैं. प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक या दो सरकारी तालाब हैं. इनमें से अधिकांश तालाब या तो सूखे पड़े हैं या उनके ऊपर दबंगों का कब्जा है. दबंग इन तालाबों को पाटकर इनका अस्तित्व मिटाने का काम कर रहे हैं. मगर जिम्मेदार ग्राम सचिव, बीडीओ और ग्राम प्रधान का इस तरफ ध्यान नहीं है. इस उदासीनता का सीधा प्रभाव जिले में मौजूद करीब 15 हजार निराश्रित पशुओं के ऊपर पड़ रहा है. जानवरों का गर्मी से हाल बेहाल है और उन्हें पीने के लिए पानी कहीं भी नहीं मिल रहा है.
जिले में 25 हजार से अधिक निराश्रित आवारा पशु मौजूद हैं. मगर इनमें से अधिकांश को पशु आश्रय स्थलों में आश्रय मिलने के बाद इनकी संख्या लगभग 15 हजार हो गई है. ये पशु आज भी निराश्रित हैं और गर्मी के मौसम में तालाब एक मात्र ऐसी जगह होती हैं, जहां इन जानवरों को गर्मी में राहत मिलती है. मगर जिले में मौजूद अधिकांश तालाब बदहाल और सूखे पड़े हुए हैं.
ज्यादातर तालाबों पर अवैध कब्जा
वहीं ग्रामीण इलाकों में मौजूद ज्यादातर तालाबों पर अवैध कब्जा है. जिले की एक समाज सेविका ने इस पर आक्रोश व्यक्त किया और तालाबों को विकसित करने की मांग जिला प्रशासन और सरकार से की, ताकि जल संरक्षण के साथ ही आवारा जानवरों को सहूलियत मिल सके. समाज सेवी रीता सिंह ने कहा कि हर वर्ष पानी के अभाव में तमाम जानवर दम तोड़ देते हैं. मगर कोई भी इस तरफ ध्यान नहीं देना चाहता है.
जल्द ही तालाबों को संरक्षण किया जाएगा
जिलाधिकारी पुलकित खरे ने भविष्य में इन तालाबों को मनरेगा के तहत संरक्षित किए जाने का दावा किया है. साथ ही प्रवासी मजदूरों को तालाबों के संरक्षण का काम सौंप कर इन्हें विकसित करने की बात कही है. उन्होंने कहा कि जल्द ही इन तालाबों को विकसित कर आवारा जानवरों को सहूलियत प्रदान करने के साथ ही तालाबों का संरक्षण किया जाएगा. इसके लिए रणनीति तैयार कर ली गई है. बदहाल, सूखे और कब्जा किए गए तालाबों को चिन्हित कर कार्रवाई किए जाने के दिशा निर्देश जारी कर दिए गए हैं.