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धृतराष्ट्र अपने आयोग्य पुत्र को बनाना चाहते हैं राजा: अभिनेता सुरेंद्र पाल सिंह - हरदोई समाचार

उत्तर प्रदेश के हरदोई में टीवी और बॉलीवुड अभिनेता सुरेंद्र पाल सिंह पहुंचे. लोक निर्माण विभाग के निरीक्षण भवन में पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की राजनीति में महाभारत चल रही है. वहीं जेएनयू में छात्रों के प्रदर्शन पर कहा कि वहां पढ़ाई कम राजनीति ज्यादा हो रही है.

अभिनेता सुरेंद्र पाल सिंह.
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Published : Nov 22, 2019, 9:42 AM IST

हरदोईः बॉलीवुड और मशहूर टीवी कलाकार सुरेंद्र पाल सिंह गुरुवार को हरदोई पहुंचे. उन्होंने पत्रकार वार्ता के दौरान महाराष्ट्र की राजनीति पर तंज कसते हुए कहा कि महाराष्ट्र में इस समय महाभारत चल रही है. पुरानी महाभारत में धृतराष्ट्र पुत्र मोह में अंधे थे और इस महाभारत में भी धृतराष्ट्र पुत्र मोह में अंधे हैं. वहीं उन्होंने जेएनयू को विश्वविद्यालय नहीं बल्कि राजनीति का अखाड़ा करार दिया है. साथ ही बीएचयू में संस्कृत के विभागाध्यक्ष के पद पर तैनात फिरोज खान को लेकर मचे बवाल पर उन्होंने फिरोज खान का समर्थन किया है. उन्होने कहा कि अगर कोई ज्ञान रखता है तो लोगों को ज्ञान देने में क्या बुराई है.

अभिनेता सुरेंद्र पाल सिंह.
महाराष्ट्र में मची है महाभारतलोक निर्माण विभाग के निरीक्षण भवन में पत्रकार वार्ता के दौरान महाभारत में द्रोणाचार्य का किरदार निभाने वाले बॉलीवुड एवं टीवी कलाकार सुरेंद्र पाल सिंह ने वर्तमान समय में महाराष्ट्र की राजनीति को लेकर तंज कसा. उन्होंने कहा कि महाभारत में भी धृतराष्ट्र अपने पुत्र को राजा बनाना चाहते थे. इस महाभारत में भी धृतराष्ट्र अपने पुत्र को राजा बनाना चाहते हैं. उन्होंने कांग्रेस के साथ गठबंधन पर कहा कि कांग्रेस ने जब भी किसी के साथ मिलकर सरकार बनाई है तो टांग पकड़कर खींची है. मुझे नहीं लगता है कि यह महाभारत बहुत ज्यादा लंबी खिंचेगी. यह 6 महीने के लिए ही मुझे नजर आ रही है और 6 महीने से ऊपर नहीं टिकेगी. कहीं न कहीं फिर से टांग खींची जाएगी.

इसे भी पढ़ें- जेएनयू के दिव्यांग छात्र की मां का छलका दर्द, कहा- बढ़ी फीस वापस लेकर न्याय करे सरकार


जेएनयू के लिए मेरे दिल में कोई जगह नहीं
वहीं जेएनयू को लेकर उन्होंने कहा कि जेएनयू में तो पहले भी बवाल चलता ही था. मुझे लगता है कि वहां पर लोग पढ़ाई पर कम ध्यान देते हैं और राजनीति में ज्यादा ध्यान देते हैं. जेएनयू पढ़ाई का एक विश्वविद्यालय नहीं रहा. यह अब एक राजनीति का अखाड़ा बन गया है और ऐसी संस्थाओं के लिए मेरे दिल में न तो कोई जगह और न ही कोई सम्मान है.

बीएचयू के प्रोफेसर का किया समर्थन
बीएचयू में संस्कृत के विभागाध्यक्ष के पद पर फिरोज खान को लेकर मचे बवाल पर उन्होंने कहा कि प्रोफेसर साहब का उनका पूरा परिवार संस्कृत का काफी ज्ञान रखता है और मुझे ऐसा लगता है कि यदि कोई भी हिंदू, मुसलमान, सिख और ईसाई संस्कृत का ज्ञान रखता है. लोगों के लिए देने के लिए है कुछ तो इसमें कोई बुराई नहीं है, लेकिन लोग उसको धर्म से जोड़ रहे हैं तो यह गलत है, जो भी इंसान ज्ञानी है उससे ज्ञान लेना कोई गलत काम नहीं है. उन्होंने बताया कि महाभारत का सीरियल जिसके राइटर राही मासूम रजा थे. वह भी एक मुस्लिम थे. इन्होंने इतनी खूबसूरत महाभारत लिखी थी. इसे पूरे हिंदुस्तान ने पसंद किया था. इसलिए यह मेरा कहना है कि टैलेंट कोई भी हो किसी रूप में हो, उस टैलेंट को हमें सराहना चाहिए उसको पसंद करना चाहिए.

हरदोईः बॉलीवुड और मशहूर टीवी कलाकार सुरेंद्र पाल सिंह गुरुवार को हरदोई पहुंचे. उन्होंने पत्रकार वार्ता के दौरान महाराष्ट्र की राजनीति पर तंज कसते हुए कहा कि महाराष्ट्र में इस समय महाभारत चल रही है. पुरानी महाभारत में धृतराष्ट्र पुत्र मोह में अंधे थे और इस महाभारत में भी धृतराष्ट्र पुत्र मोह में अंधे हैं. वहीं उन्होंने जेएनयू को विश्वविद्यालय नहीं बल्कि राजनीति का अखाड़ा करार दिया है. साथ ही बीएचयू में संस्कृत के विभागाध्यक्ष के पद पर तैनात फिरोज खान को लेकर मचे बवाल पर उन्होंने फिरोज खान का समर्थन किया है. उन्होने कहा कि अगर कोई ज्ञान रखता है तो लोगों को ज्ञान देने में क्या बुराई है.

अभिनेता सुरेंद्र पाल सिंह.
महाराष्ट्र में मची है महाभारतलोक निर्माण विभाग के निरीक्षण भवन में पत्रकार वार्ता के दौरान महाभारत में द्रोणाचार्य का किरदार निभाने वाले बॉलीवुड एवं टीवी कलाकार सुरेंद्र पाल सिंह ने वर्तमान समय में महाराष्ट्र की राजनीति को लेकर तंज कसा. उन्होंने कहा कि महाभारत में भी धृतराष्ट्र अपने पुत्र को राजा बनाना चाहते थे. इस महाभारत में भी धृतराष्ट्र अपने पुत्र को राजा बनाना चाहते हैं. उन्होंने कांग्रेस के साथ गठबंधन पर कहा कि कांग्रेस ने जब भी किसी के साथ मिलकर सरकार बनाई है तो टांग पकड़कर खींची है. मुझे नहीं लगता है कि यह महाभारत बहुत ज्यादा लंबी खिंचेगी. यह 6 महीने के लिए ही मुझे नजर आ रही है और 6 महीने से ऊपर नहीं टिकेगी. कहीं न कहीं फिर से टांग खींची जाएगी.

इसे भी पढ़ें- जेएनयू के दिव्यांग छात्र की मां का छलका दर्द, कहा- बढ़ी फीस वापस लेकर न्याय करे सरकार


जेएनयू के लिए मेरे दिल में कोई जगह नहीं
वहीं जेएनयू को लेकर उन्होंने कहा कि जेएनयू में तो पहले भी बवाल चलता ही था. मुझे लगता है कि वहां पर लोग पढ़ाई पर कम ध्यान देते हैं और राजनीति में ज्यादा ध्यान देते हैं. जेएनयू पढ़ाई का एक विश्वविद्यालय नहीं रहा. यह अब एक राजनीति का अखाड़ा बन गया है और ऐसी संस्थाओं के लिए मेरे दिल में न तो कोई जगह और न ही कोई सम्मान है.

बीएचयू के प्रोफेसर का किया समर्थन
बीएचयू में संस्कृत के विभागाध्यक्ष के पद पर फिरोज खान को लेकर मचे बवाल पर उन्होंने कहा कि प्रोफेसर साहब का उनका पूरा परिवार संस्कृत का काफी ज्ञान रखता है और मुझे ऐसा लगता है कि यदि कोई भी हिंदू, मुसलमान, सिख और ईसाई संस्कृत का ज्ञान रखता है. लोगों के लिए देने के लिए है कुछ तो इसमें कोई बुराई नहीं है, लेकिन लोग उसको धर्म से जोड़ रहे हैं तो यह गलत है, जो भी इंसान ज्ञानी है उससे ज्ञान लेना कोई गलत काम नहीं है. उन्होंने बताया कि महाभारत का सीरियल जिसके राइटर राही मासूम रजा थे. वह भी एक मुस्लिम थे. इन्होंने इतनी खूबसूरत महाभारत लिखी थी. इसे पूरे हिंदुस्तान ने पसंद किया था. इसलिए यह मेरा कहना है कि टैलेंट कोई भी हो किसी रूप में हो, उस टैलेंट को हमें सराहना चाहिए उसको पसंद करना चाहिए.

Intro:स्लग--हरदोई पहुंचे बॉलीवुड कलाकार सुरेंद्रपाल सिंह बोले महाराष्ट्र की राजनीति में चल रही है महाभारत, पुरानी महाभारत में धृतराष्ट्र पुत्र मोह में हुआ था अंधा इस महाभारत में भी धृतराष्ट्र पुत्र मोह में अंधे

एंकर-- बॉलीवुड और मशहूर टीवी कलाकार सुरेंद्र पाल सिंह आज हरदोई पहुंचे और उन्होंने पत्रकार वार्ता के दौरान महाराष्ट्र की राजनीति पर तंज कसते हुए कहा कि महाराष्ट्र में इस समय महाभारत चल रही है पुरानी महाभारत में धृतराष्ट्र पुत्र मोह में अंधा था और इस महाभारत में भी धृतराष्ट्र पुत्र मोह में अंधा है तो वहीं उन्होंने जेएनयू को विद्यालय नहीं बल्कि राजनीति क्या अखाड़ा करार दिया है साथ ही बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में संस्कृत के विभागाध्यक्ष के पद पर तैनात फिरोज खान को लेकर मचे बवाल पर उन्होंने फिरोज खान का समर्थन किया है साथ ही कहा अगर कोई ज्ञान रखता है तो लोगों को ज्ञान देने में क्या बुराई है।


Body:vo--हरदोई जिले में लोक निर्माण विभाग के निरीक्षण भवन में पत्रकार वार्ता के दौरान महाभारत में द्रोणाचार्य का किरदार निभाने वाले बॉलीवुड एवं टीवी कलाकार सुरेंद्र पाल सिंह ने वर्तमान समय में महाराष्ट्र की राजनीति को लेकर तंज कसते हुए कहा कि--महाराष्ट्र की राजनीति के बारे में मैं यही कहना चाहूंगा कि इस समय महाराष्ट्र की राजनीति में भी महाभारत चल रही है उस समय पुरानी वाली महाभारत में भी धृतराष्ट्र जो अपने पुत्र को राजा बनाना चाहता था दुर्योधन को जिसमें योग्यता नहीं थी लेकिन फिर भी वह चाहता था कि मेरा बेटा राजा बने धृतराष्ट्र को कोई ज्ञान नहीं था किसी भी तरह का वह अंधे थे और उनको सब कुछ संजय बताता था और आज की महाभारत में भी वही हाल है पुत्र मोह में आकर महाभारत हो रही है उन दिनों उसमें भी एक संजय था इसमें भी एक संजय है क्योंकि उसमें धृतराष्ट्र को कुछ दिखता नहीं था और इसमें भी धृतराष्ट्र को कुछ दिख नहीं रहा वही संजय सब कुछ बता रहे हैं जैसा कि जगजाहिर है 70 साल का अंतराल काफी होता है कांग्रेस ने जब भी किसी के साथ मिलकर सरकार बनाई है तो टांग पकड़कर खींची है मुझे नहीं लगता है कि यह महाभारत बहुत ज्यादा लंबी खिंचेगी यह 6 महीने के लिए ही मुझे नजर आ रही है और 6 महीने से ऊपर नहीं टिकेगी कहीं ना कहीं फिर से टांग खींची जाएगी और फिर से सरकार गिरेगी और उसका हाल वैसा ही होगा जैसा महाभारत में हुआ था वैसा यहां पर भी मुझे दिख रहा है।

vo--वही जेएनयू को लेकर उन्होंने कहा कि जेएनयू में तो पहले भी बवाल चलता ही था मुझे लगता है कि वहां पर लोग पढ़ाई पर कम ध्यान देते हैं और राजनीति में ज्यादा ध्यान देते हैं जेएनयू वही जगह है जहां देश विरोधी नारे लगे थे वही जेएनयू है जहां पर भारत माता का अपमान हुआ था यह वही जेएनयू है जहां पर आतंकवादियों की जय जयकार हुई थी मुझे नहीं लगता कि जेएनयू पढ़ाई का एक विद्यालय है जेएनयू एक राजनीति का अखाड़ा बन गया है और ऐसी संस्थाओं के लिए मेरे दिल में ना तो कोई जगह और ना ही कोई सम्मान है।
बाइट-- सुरेंद्र पाल सिंह बॉलीवुड एवं टीवी कलाकार


Conclusion:voc--वही बीएचयू में संस्कृत के विभागाध्यक्ष के पद पर फिरोज खान को लेकर मचे बवाल पर उन्होंने कहा कि--वहां पर जो विरोध हो रहा है दरअसल उनका परिवार जो है प्रोफेसर साहब का उनका पूरा परिवार संस्कृत का काफी ज्ञान रखता है और मुझे ऐसा लगता है कि यदि कोई भी हिंदू मुसलमान सिख ईसाई संस्कृत का ज्ञान रखता है और अगर उसके पास ज्ञान है और लोगों के लिए देने के लिए है कुछ तो इसमें कोई बुराई नहीं है लेकिन लोग उसको धर्म से जोड़ रहे हैं तो यह गलत है जो भी इंसान ज्ञानी है ज्ञानी से ज्ञान लेना कोई गलत काम नहीं है वह पढ़ा लिखा है जैसा कि मैंने सुना है कि वह फर्स्ट क्लास में उसने संस्कृत को पास किया है ऐसे लोगों से हम थोड़ा बहुत ज्ञान लें तो जैसा कि आप लोग सभी जानते हैं कि महाभारत हमारे जो पहला सीरियल बना था 20 साल पहले तो उसके राइटर राही मासूम रजा थे वह भी एक मुस्लिम थे जिन्होंने इतना खूबसूरत महाभारत लिखा था जिसे पूरे हिंदुस्तान ने पसंद किया था किसी भी तरह का कोई राजनीतिक षड्यंत्र नहीं रचा गया था और उनके ज्ञान को लोगों ने सराहा था बल्कि लोगों ने यह कहा था एक मुसलमान होकर इतना अच्छा लिख सकते हैं महाभारत के बारे में लोगों ने इस बात की प्रशंसा की थी इसलिए यह मेरा कहना है कि टैलेंट कोई भी हो किसी रूप में हो उस टैलेंट को हमें सराहना चाहिए उसको पसंद करना चाहिए।

आशीष द्विवेदी
हरदोई up
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