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हरदोई: गोशालाएं होने के बावजूद भी खुले में घूम रहे आवारा पशु

उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में आवारा पशु लोगों के लिए परेशानी का सबब बन रहे हैं. जिले में 78 अस्थाई और स्थाई गोशालाएं होने के बावजूद भी निराश्रित और टैग लगे पशु (आश्रित) पशु घूम रहे हैं.

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आवारा पशु.
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Published : Feb 23, 2020, 5:17 AM IST

हरदोई: जिला मुख्यालय से लेकर शहरी और ग्रामीण इलाकों तक आवारा पशुओं का कब्जा है. पुलिस थानों में भी आवारा जानवर अपना डेरा डाले हुए हैं. जिला मुख्यालय से लेकर पुलिस थानों में भी भारी संख्या में ये आवारा पशु अपना जमावड़ा लगाए बैठे रहते हैं. पूर्व में यहां करीब 78 स्थाई और अस्थाई पशु आश्रय स्थलों का निर्माण कराया गया था. कैमरे में कैद ये तस्वीरें इन पशु आश्रेेय स्थलों और गौशालाओं की जमीनी हकीकत से रूबरू करा रही हैं.

खुले में घूम रहे टैग लगे पशु.

जिले में आए दिन किसी न किसी क्षेत्र से आवारा जानवरों के आक्रामक होने से लोगों के घायल होने की सूचनाएं प्राप्त हो ही जाती हैं. जिले में आज भी आवारा पशुओं की समस्या जस की तस बनी हुई है. यहां हाल ही में इन जानवरों को आश्रय देने के लिए करीब 78 स्थाई और अस्थाई आश्रय स्थलों का निर्माण कराया गया था, जिससे कि इन निराश्रित पशुओं को आश्रय दिया जा सके.

सड़कों और सरकारी कार्यालयों में जमाए डेरा
कई महीने बीत जाने के बाद भी आलम जस का तस बना हुआ है और आज भी ये जानवर सड़कों पर और सरकारी कार्यालयों और पुलिस थानों में अपना डेरा जमाए हुए हैं. कैमरे में कैद ये तस्वीरें जिला मुख्यालय में मौजूद कलेक्ट्रेट परिसर, कचहरी और जिले के कोतवाली शहर और बघौली थाने की हैं. इसी के साथ शहर के अन्य रिहायशी इलाकों और ग्रामीण क्षेत्रों में भी आलम यही है.

इसे भी पढ़ें- 23 फरवरी को अयोध्या आएंगे सीएम योगी, मुख्यमंत्री बनने के बाद होगा 19 वां दौरा

ये आवारा पशु किसानों की फसलें बर्बाद करने के साथ ही सड़क हादसों को दावत दे रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार महज कागजों पर गोशालाओं का संचालन कर अपनी पीठ थपथपाने का काम करने में लगे हुए हैं. वहीं टैग किये हुए जानवर भी सड़कों पर और सरकारी विभागों में देखने को मिल रहे हैं. इन पशुओं को गोशालाओं में ले जाकर इनकी टैगिंग कराई जा चुकी है, जिससे ये प्रमाणित होता है कि ये निराश्रित पशु आश्रित हैं. बावजूद इसके जिले में हर जगह अब ये टैग किये हुए पशु देखने को मिल रहे हैं.

हरदोई जिला बहुत बड़ा जिला है. जिले में करीब 25 हजार निराश्रित आवारा पशु हैं. इन पशुओं के लिए जिले में 74 स्थानों पर जगह चिन्हित कर अस्थाई पशु आश्रय स्थल बनाए गए हैं.
बीएन चतुर्वेदी, पशु चिकित्सा अधिकारी

हरदोई: जिला मुख्यालय से लेकर शहरी और ग्रामीण इलाकों तक आवारा पशुओं का कब्जा है. पुलिस थानों में भी आवारा जानवर अपना डेरा डाले हुए हैं. जिला मुख्यालय से लेकर पुलिस थानों में भी भारी संख्या में ये आवारा पशु अपना जमावड़ा लगाए बैठे रहते हैं. पूर्व में यहां करीब 78 स्थाई और अस्थाई पशु आश्रय स्थलों का निर्माण कराया गया था. कैमरे में कैद ये तस्वीरें इन पशु आश्रेेय स्थलों और गौशालाओं की जमीनी हकीकत से रूबरू करा रही हैं.

खुले में घूम रहे टैग लगे पशु.

जिले में आए दिन किसी न किसी क्षेत्र से आवारा जानवरों के आक्रामक होने से लोगों के घायल होने की सूचनाएं प्राप्त हो ही जाती हैं. जिले में आज भी आवारा पशुओं की समस्या जस की तस बनी हुई है. यहां हाल ही में इन जानवरों को आश्रय देने के लिए करीब 78 स्थाई और अस्थाई आश्रय स्थलों का निर्माण कराया गया था, जिससे कि इन निराश्रित पशुओं को आश्रय दिया जा सके.

सड़कों और सरकारी कार्यालयों में जमाए डेरा
कई महीने बीत जाने के बाद भी आलम जस का तस बना हुआ है और आज भी ये जानवर सड़कों पर और सरकारी कार्यालयों और पुलिस थानों में अपना डेरा जमाए हुए हैं. कैमरे में कैद ये तस्वीरें जिला मुख्यालय में मौजूद कलेक्ट्रेट परिसर, कचहरी और जिले के कोतवाली शहर और बघौली थाने की हैं. इसी के साथ शहर के अन्य रिहायशी इलाकों और ग्रामीण क्षेत्रों में भी आलम यही है.

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ये आवारा पशु किसानों की फसलें बर्बाद करने के साथ ही सड़क हादसों को दावत दे रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार महज कागजों पर गोशालाओं का संचालन कर अपनी पीठ थपथपाने का काम करने में लगे हुए हैं. वहीं टैग किये हुए जानवर भी सड़कों पर और सरकारी विभागों में देखने को मिल रहे हैं. इन पशुओं को गोशालाओं में ले जाकर इनकी टैगिंग कराई जा चुकी है, जिससे ये प्रमाणित होता है कि ये निराश्रित पशु आश्रित हैं. बावजूद इसके जिले में हर जगह अब ये टैग किये हुए पशु देखने को मिल रहे हैं.

हरदोई जिला बहुत बड़ा जिला है. जिले में करीब 25 हजार निराश्रित आवारा पशु हैं. इन पशुओं के लिए जिले में 74 स्थानों पर जगह चिन्हित कर अस्थाई पशु आश्रय स्थल बनाए गए हैं.
बीएन चतुर्वेदी, पशु चिकित्सा अधिकारी

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