हरदोई: जिला अस्पताल और अन्य जगहों पर मौजूद स्कैनिंग मशीनों से खतरनाक रेडिएशन निकलता है, जिनके दुष्प्रभाव बेहद घातक होते हैं. सीटी स्कैन और एक्स-रे मशीनों के आस-पास खड़े होने वाले लोग और कर्मचारियों पर इनसे निकलने वाले रेडिएशन का बुरा असर पड़ता है. इससे बचाव के लिए लेड लाइनिंग का इस्तेमाल जिले का स्वास्थ्य विभाग करने जा रहा है.
एक्स-रे और सीटी स्कैन मशीन का रेडिएशन बेहद खतरनाक
- जिले में 19 ब्लॉक स्थित हैं, जिनमें 19 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं.
- करीब 6 केंद्रों पर एक्स-रे की सुविधा दी जा रही है.
- जिला अस्पताल में एक्स-रे के साथ सीटी स्कैन की भी सुविधा मरीजों को मिल पा रही है.
- ये मशीनें लाभकारी प्रतीत होती हैं, लेकिन इनके काफी दुष्प्रभाव भी हैं.
मशीनों से निकलने वाला रेडिएशन मानव शरीर के लिए बेहद घातक साबित होता है. रेडिएशन से बचाव के लिए लेड लाइनिंग और लेड एप्रैन का इस्तेमाल किए जाने की रणनीति तैयार की गई है. इसके साथ ही कर्मचारियों को एक इलेक्ट्रॉनिक बैच भी दिया जाएगा, जिससे इन मशीनों के इर्द-गिर्द काम करने वाले लोगों की कार्य करने की क्षमता का आंकलन किया जाएगा. बैच के जरिए यह पता लग पाएगा कि कर्मचारी के ऊपर अब तक रेडिएशन का कितना असर हुआ है.
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रेडिएशन का असर एक हद से ज्यादा होने पर बैच ऑटोमैटिकली इंडिकेशन दे देता है. इसके बाद उस कर्मचारी को एक्स-रे या सीटी स्कैन कक्ष से कहीं और शिफ्ट कर दिया जाता है. हालांकि हरदोई में अब तक ऐसी कोई सुविधा नहीं थी, लेकिन बहुत जल्द ही यहां के एक्स-रे विभाग में लेड लाइनिंग और कर्मचारियों को बैच उपलब्ध कराए जाएंगे.
लेड लाइनिंग का काम शुरू हो गया है. एक से डेढ़ माह के भीतर काम पूरा कर लिया जाएगा. सीटी स्कैन कक्ष में पहले से लेड लाइन पड़ी हुई है. लेड एप्रैन और लेड ग्लास भी मौजूद हैं. लेड लाइनिंग के साथ ही एक्स-रे और सीटी स्कैन में काम करने वाले लोगों को इलेक्ट्रॉनिक बैच दिए जाएंगे. इससे मरीज, तीमारदार, कर्मचारी और डॉक्टरों को रेडिएशन के दुष्प्रभावों से बचाया जा सकेगा.
-एस के रावत, सीएमओ