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इस कुएं का पानी पीने से ठीक हो जाते हैं रैबीज के मरीज - Mahuapur Garhi Ashram

हरदोई में एक ऐसी जगह है, जहां रैबीज नाम की बीमारी का इलाज कुएं के पानी से किया जाता है. यहां मौजूद संतों ने जानकारी दी कि अब तक यहां इस बीमारी से पीड़ित हजारों लोगों का इलाज किया जा चुका है.

rabies patients cured by drinking water
हरदोई
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Published : Nov 29, 2020, 12:28 PM IST

हरदोई: जिले में लोगों की आस्था से जुड़े तमाम ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल मौजूद हैं, जिनका इतिहास बेहद चौकाने वाला है. नासौली डांबर नाम के स्थान पर लोग दर्शन करने नहीं बल्कि एक ऐसी मर्ज का इलाज करवाने आते हैं, जिसका निदान मेडिकल साइंस के पास भी नहीं है. कहते हैं कि रैबीज यानी कि विशेखा नाम की बीमारी कुत्ते या अन्य किसी जानवर के काटने से होती है. आश्रम में मौजूद कुएं का पानी पीने से इस बीमारी से लोगों को मुक्ति मिल जाती है. यहां मौजूद संतों ने जानकारी दी कि अब तक यहां इस बीमारी के से पीड़ित हजारों लोगों का इलाज किया जा चुका है.

आश्रम के कुए का पानी पीते ही मरीजों की बिमारी ठीक हो जाती है

4 सौ वर्ष पुराना है इसका इतिहास
हरदोई जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर मौजूद नासौली डांबर नाम के स्थान पर महुआपुर गढ़ी आश्रम मौजूद है. कहा जाता है कि आज से लगभग चार सौ वर्ष पूर्व इस स्थान पर एक गुमनाम बाबा आए थे. आज भी उस बाबा का नाम कोई नहीं जानता. कहते हैं कि उस बाबा को कुत्ते ने काट लिया था और उनको विशेखा यानी रैबीज नाम की बीमारी हुई थी, जिसके बाद उन्होंने यहां एक कुएं को देख उसमें से पानी निकाला और उसे मंत्र उच्चारण कर पी लिया, जिसके बाद वह ठीक हो गए. बीमारी ठीक होने के बाद उन्होंने यहीं अपनाडेरा डाल लिया और उनके शिष्य भी यहीं रहने लगे. उस पढ़े गए मंत्र को उन्होंने अपने शिष्य को बताया और लोगों के उत्थान के लिए यहां रहकर सेवा देने की बात कही, जिसके बाद उन महात्मा ने इसी स्थान पर समाधि ले ली. आज भी उनका समाधि स्थल यहां मौजूद है और उनके आशीर्वाद से यहां मरीजों का इलाज किया जा रहा है.

एक हाथ से निकालना होता है जल
यहां जिस कुएं से पानी को पिलाया जाता है, उसकी भी एक प्रक्रिया है. हफ्ते में तीन दिन शनिवार, रविवार और मंगलवार के दिन ही यहां पानी पिलाया जाता है, जिसके लिए संबंधित संत कुएं के पानी को एक हाथ के इस्तेमाल से निकलते हैं. इसके बाद मंत्र उच्चारण कर उसे मरीज को पिलाया जाता है.

rabies patients cured by drinking water
कुएं से एक हाथ से निकालना होता है जल

ठीक हुए मरीज ने किया संत को दंडवत प्रणाम
अपनी बिमारी का इलाज कराने आए सरोज कुमार ने बताया कि उन्हें कुत्ते ने काट लिया था, जिसके इलाज के लिए वह महुआपुर गढ़ी आश्रम आए हैं. उन्हें पानी पीने से डर लगता था. उनके पेट में जलन की समस्या भी थी, लेकिन आश्रम के कुए का पानी पीते ही उनकी बिमारी ठीक हो गई अब वह आराम से पानी पी सकते हैं. सरोज कुमार ने कहा कि तीन दिनों में ही उसकी इस मर्ज का निदान हो गया. इससे वह काफी खुश है.

क्या कहते हैं यहां के संत
यहां मौजूद दो वृद्ध संत चंद्रमादास और श्यामदास ने इस स्थल की विधिवत जानकारी से अवगत कराया. उन्होंने कहा कि यहां कुत्ते के काटने से होने वाली किसी भी प्रकार की समस्या से निजात दिलाया जा सकता है. ये सब उन महात्मा के वरदान और ईश्वर की इच्छा का ही फल है. अब तक यहां हजारों लोगों को इस ऐतिहासिक कुएं के पानी से ठीक किया जा चुका है. इतना ही नहीं उन्होने कहा कि कई बार तो कुछ एक डॉक्टर ही यहां कुत्ता काटे के बाद पानी पीने आ चुके हैं.

क्या कहते हैं चिकित्सक
एमबीबीएस और एमडी डॉ. सीपी कटियार ने रैबीज बीमारी के बारे में बताया. उन्होने कहा कि इस बीमारी का अभी तक कोई भी इलाज मेडिकल साइंस के पास नहीं है. इस बीमारी से ग्रसित मरीज की अंत मे मौत ही हो जाती है. ये बीमारी बड़े दांत वाले जानवरों के काटने से होती है. इसमें मर्रेज हाइड्रोफोबिया से ग्रसित हो जाता है, जिसमें पानी उसके गले से नीचे नहीं उतरता और उसे पानी से डर लगता है. उन्होंने कहा कि की हरदोई में अगर ऐसी कोई जगह मौजूद है तो वहां विशेषज्ञों की टीम को भेज कर उसका परीक्षण और जल की टेस्टिंग कराने की जरूरत है.

हरदोई: जिले में लोगों की आस्था से जुड़े तमाम ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल मौजूद हैं, जिनका इतिहास बेहद चौकाने वाला है. नासौली डांबर नाम के स्थान पर लोग दर्शन करने नहीं बल्कि एक ऐसी मर्ज का इलाज करवाने आते हैं, जिसका निदान मेडिकल साइंस के पास भी नहीं है. कहते हैं कि रैबीज यानी कि विशेखा नाम की बीमारी कुत्ते या अन्य किसी जानवर के काटने से होती है. आश्रम में मौजूद कुएं का पानी पीने से इस बीमारी से लोगों को मुक्ति मिल जाती है. यहां मौजूद संतों ने जानकारी दी कि अब तक यहां इस बीमारी के से पीड़ित हजारों लोगों का इलाज किया जा चुका है.

आश्रम के कुए का पानी पीते ही मरीजों की बिमारी ठीक हो जाती है

4 सौ वर्ष पुराना है इसका इतिहास
हरदोई जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर मौजूद नासौली डांबर नाम के स्थान पर महुआपुर गढ़ी आश्रम मौजूद है. कहा जाता है कि आज से लगभग चार सौ वर्ष पूर्व इस स्थान पर एक गुमनाम बाबा आए थे. आज भी उस बाबा का नाम कोई नहीं जानता. कहते हैं कि उस बाबा को कुत्ते ने काट लिया था और उनको विशेखा यानी रैबीज नाम की बीमारी हुई थी, जिसके बाद उन्होंने यहां एक कुएं को देख उसमें से पानी निकाला और उसे मंत्र उच्चारण कर पी लिया, जिसके बाद वह ठीक हो गए. बीमारी ठीक होने के बाद उन्होंने यहीं अपनाडेरा डाल लिया और उनके शिष्य भी यहीं रहने लगे. उस पढ़े गए मंत्र को उन्होंने अपने शिष्य को बताया और लोगों के उत्थान के लिए यहां रहकर सेवा देने की बात कही, जिसके बाद उन महात्मा ने इसी स्थान पर समाधि ले ली. आज भी उनका समाधि स्थल यहां मौजूद है और उनके आशीर्वाद से यहां मरीजों का इलाज किया जा रहा है.

एक हाथ से निकालना होता है जल
यहां जिस कुएं से पानी को पिलाया जाता है, उसकी भी एक प्रक्रिया है. हफ्ते में तीन दिन शनिवार, रविवार और मंगलवार के दिन ही यहां पानी पिलाया जाता है, जिसके लिए संबंधित संत कुएं के पानी को एक हाथ के इस्तेमाल से निकलते हैं. इसके बाद मंत्र उच्चारण कर उसे मरीज को पिलाया जाता है.

rabies patients cured by drinking water
कुएं से एक हाथ से निकालना होता है जल

ठीक हुए मरीज ने किया संत को दंडवत प्रणाम
अपनी बिमारी का इलाज कराने आए सरोज कुमार ने बताया कि उन्हें कुत्ते ने काट लिया था, जिसके इलाज के लिए वह महुआपुर गढ़ी आश्रम आए हैं. उन्हें पानी पीने से डर लगता था. उनके पेट में जलन की समस्या भी थी, लेकिन आश्रम के कुए का पानी पीते ही उनकी बिमारी ठीक हो गई अब वह आराम से पानी पी सकते हैं. सरोज कुमार ने कहा कि तीन दिनों में ही उसकी इस मर्ज का निदान हो गया. इससे वह काफी खुश है.

क्या कहते हैं यहां के संत
यहां मौजूद दो वृद्ध संत चंद्रमादास और श्यामदास ने इस स्थल की विधिवत जानकारी से अवगत कराया. उन्होंने कहा कि यहां कुत्ते के काटने से होने वाली किसी भी प्रकार की समस्या से निजात दिलाया जा सकता है. ये सब उन महात्मा के वरदान और ईश्वर की इच्छा का ही फल है. अब तक यहां हजारों लोगों को इस ऐतिहासिक कुएं के पानी से ठीक किया जा चुका है. इतना ही नहीं उन्होने कहा कि कई बार तो कुछ एक डॉक्टर ही यहां कुत्ता काटे के बाद पानी पीने आ चुके हैं.

क्या कहते हैं चिकित्सक
एमबीबीएस और एमडी डॉ. सीपी कटियार ने रैबीज बीमारी के बारे में बताया. उन्होने कहा कि इस बीमारी का अभी तक कोई भी इलाज मेडिकल साइंस के पास नहीं है. इस बीमारी से ग्रसित मरीज की अंत मे मौत ही हो जाती है. ये बीमारी बड़े दांत वाले जानवरों के काटने से होती है. इसमें मर्रेज हाइड्रोफोबिया से ग्रसित हो जाता है, जिसमें पानी उसके गले से नीचे नहीं उतरता और उसे पानी से डर लगता है. उन्होंने कहा कि की हरदोई में अगर ऐसी कोई जगह मौजूद है तो वहां विशेषज्ञों की टीम को भेज कर उसका परीक्षण और जल की टेस्टिंग कराने की जरूरत है.

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