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हरदोई  : अन्ना पशुओं की समस्या बरकरार, बजट के अभाव से जूझ रहे पशु आश्रय स्थल

हरदोई में अन्ना पशुओं के लिए बनाए गए गौशाला और पशु आश्रय स्थल दयनीय स्थिति में है. बजट के अभाव से जूझ रहे पशु आश्रय स्थल सरकार के दावों की पोल खोल रही है.

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Published : Feb 27, 2019, 12:21 PM IST

अन्ना पशुओं के कारण आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं.

हरदोई: अन्ना पशुओं के लिए जो गौशाला और पशु आश्रय स्थल बनवाए गए थेउनकी स्थिति अभी भी दयनीय है.बजट के अभाव से जूझ रहे पशु आश्रय स्थल सरकार के दावों की पोल खोल रही है.यहां बंद पशु भी अब सड़कों पर घूमते नजर आ रहे हैं. लगभग 25 हजार अन्ना पशुओं को रहने के लिएआश्रय स्थल नहींहैं.

अन्ना पशुओं के कारण आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं.


हरदोई में लंबे समय से अन्ना पशुओं का मुद्दा सामने आता रहा है. हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अन्ना पशुओं को आश्रित करने के सख्त निर्देश भी दिए थे, लेकिन इन निर्देशों का कुछ फीसदी भी जिला प्रशासन द्वारा पूरा नहीं होसका. यहां करीब 25 हजार पशुनिराश्रित है. ये पशु आज भी सड़कों औरग्रामीण इलाकों में घूमते पाए जा रहे हैं. ऐसे में इन पशुओं के कारण किसानों को परेशानी हो रही है और आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं.


वहीं जिला प्रशासन ने पशुओं को आश्रय देने के लिए जो आश्रय स्थल बनवाये थे. उनकी स्थिति दिन प्रतिदिन दयनीय होती जा रही है. बजट के अभाव से जूझ रहे इन आश्रय स्थलों में क्षमता से अधिक पशु हैं. यहां देख रेख करने वाले कर्मचारियों के रहने की भी कोई खास व्यवस्था नहीं है.वहीं पशु अधिकारी ने जिले में मौजूद अन्ना पशुओं की संख्या से अवगत कराया. उन्होंने कहा कि जिले में 74 स्थान चिन्हित करके अस्थायी पशु आश्रय बनवाये गए हैं. इसमें पांच आश्रय स्थल संचालित कर दिये गए हैं.

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हरदोई: अन्ना पशुओं के लिए जो गौशाला और पशु आश्रय स्थल बनवाए गए थेउनकी स्थिति अभी भी दयनीय है.बजट के अभाव से जूझ रहे पशु आश्रय स्थल सरकार के दावों की पोल खोल रही है.यहां बंद पशु भी अब सड़कों पर घूमते नजर आ रहे हैं. लगभग 25 हजार अन्ना पशुओं को रहने के लिएआश्रय स्थल नहींहैं.

अन्ना पशुओं के कारण आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं.


हरदोई में लंबे समय से अन्ना पशुओं का मुद्दा सामने आता रहा है. हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अन्ना पशुओं को आश्रित करने के सख्त निर्देश भी दिए थे, लेकिन इन निर्देशों का कुछ फीसदी भी जिला प्रशासन द्वारा पूरा नहीं होसका. यहां करीब 25 हजार पशुनिराश्रित है. ये पशु आज भी सड़कों औरग्रामीण इलाकों में घूमते पाए जा रहे हैं. ऐसे में इन पशुओं के कारण किसानों को परेशानी हो रही है और आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं.


वहीं जिला प्रशासन ने पशुओं को आश्रय देने के लिए जो आश्रय स्थल बनवाये थे. उनकी स्थिति दिन प्रतिदिन दयनीय होती जा रही है. बजट के अभाव से जूझ रहे इन आश्रय स्थलों में क्षमता से अधिक पशु हैं. यहां देख रेख करने वाले कर्मचारियों के रहने की भी कोई खास व्यवस्था नहीं है.वहीं पशु अधिकारी ने जिले में मौजूद अन्ना पशुओं की संख्या से अवगत कराया. उन्होंने कहा कि जिले में 74 स्थान चिन्हित करके अस्थायी पशु आश्रय बनवाये गए हैं. इसमें पांच आश्रय स्थल संचालित कर दिये गए हैं.

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Intro:आकाश शुक्ला हरदोई। 9919941250

एंकर----- हरदोई जिले में भी अन्ना पशुओं को आश्रित करने के लिए जो गौशाला एवं पशु आश्रय स्थल बनवाए गए थे, उनकी स्थिति अभी भी दयनीय बनी हुई है। बजट के अभाव से जूझ रहे पशु आश्रय स्थलों पर क्षमता से अधिक पशु, तो कर्मचारियों के रहने की बदइंतज़ामी सीएम योगी के अन्ना पशुओं को आश्रित करने के दावों की पोल खोल रही हैं। वहीं यहां बंद पशु भी अब सड़कों पर घूमते नजर आ रहे हैं। जिले में किसानों व आम लोगों की समस्या बनने वाले करीब 25000 के आसपास मौजूद इन अन्ना पशुओं को कब आश्रम मिल सकेगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा। हालांकि कोई भी जिम्मेदार इस पर अपनी जुबान खोलने से बचता नजर आ रहा है और कैमरे का सामना करने को तैयार नहीं है।


Body:वीओ--1-- हरदोई जिले में विगत लंबे समय से अन्ना पशुओं का मुद्दा एक बड़ा मुद्दा बन कर सामने आता रहा है। वही हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीते 10 जनवरी तक सभी अन्ना पशुओं को आश्रित करने के सख्त निर्देश भी दिए थे लेकिन इन निर्देशों का कुछ फ़ीसदी भी जिला प्रशासन हरदोई पूरा न कर सका और यहां के करीब 25000 निराश्रित है आज भी सड़कों पर व ग्रामीण इलाकों में घूमते पाए जा रहे हैं।ऐसे में कैसे किसानों को राहत मिलेगी और कैसे कम होंगी इन पशुओं के कारण होने वाली मार्ग दुर्घटनाएं।

विसुअल

वीओ--2--वहीं जिला प्रशासन हरदोई ने इन पशुओं को आश्रय देने के लिए जो आश्रय स्थल बनवाये गए थे उनकी स्थिति दिन ब दिन दयनीय होती जा रही है।बजट के अभाव से जूझ रहे इन आश्रय स्थलों में क्षमता से अधिक पशु है तो यहां देख रेख करने वाले कर्मचारियों के रहने की भी कोई खास व्यवस्था नहीं कि गयी है।जिले के आम जन से जब इस विषय मे जानकारी ली गयी तो उन्होंने नए गांव व अन्य आश्रय स्थलों की स्थिति से अवगत कराया।कहा कि यहां बन्द आधे से ज्यादा पशु बाहर निकल कर भाग चुके हैं।कैमरे के सामने आते ही इस युवक का दर्द छलक उठा है।वहीं पशु अधिकारी ने जिले में मौजूद अन्ना पशुओं की संख्या से अवगत कराया।

बाईट: पशु अधिकारी
बाईट: युवक

पीटूसी


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