हरदोई: बरसात शुरू होते ही गंगा किनारे रहने वाले ग्रामीण खतरे के बीच रहने को मजबूर हो जाते हैं. बाढ़ और कटान से गांवों को बचाने के लिए पिछले महीने सिंचाई विभाग की ओर से गंगा की धारा को मोड़ने का काम शुरू किया गया था. इस दौरान बालू की बोरियों से गंगा की धरा पर काबू पाने की तैयारी की गई थी, लेकिन जिम्मेदारों की यह रणनीति काम नहीं आई. बीते 2 महीनों में सैकड़ों आशियाने गंगा की जद में आने से बह गए और लोग सड़कों पर आ गए हैं.
50 वर्षों से व्याप्त हैं कटान की समस्या
जिले में बिलग्राम व सवायजपुर तहसील में मौजूद गंगा किनारे के कटरी क्षेत्र के दर्जनों गांव जैसे मक्कू पुरवा, निहाल पुरवा, राय सिंह पुरवा, रघुवीर पुरवा, कटरी परसोला आदि इस दौरान खतरे के घेरे में हैं. दरअसल इन गांवों में गंगा कटान होने से लोगों के घर बह जाते हैं और लोग सड़क पर आ जाते हैं.
स्थानीय लोगों का कहना है कि ये समस्या एक या दो वर्षों से नहीं है, बल्कि 50 वर्षों से जस की तस है. अभी तक लाखों परिवार व हजारों गांव नदी में समाहित होकर अपना वजूद खो चुके हैं. तमाम सरकारें, जनप्रतिनिधि व अधिकारी आए, लेकिन कोई भी इस समस्या का निदान नहीं कर सका. आलम यह है कि हर वर्ष इन गांवों के लोग अपने पक्के घर खो देते हैं और पलायन कर अपना बसेरा सड़क किनारे बनाने को मजबूर रहते हैं.
नहीं आता कोई प्रशासनिक अधिकारी
ग्रामीणों ने जानकारी दी कि 50 वर्षों में गंगा नदी हजारों गांवों को निगलती हुई शहर के अंदर अन्य गांवों की तरफ कट रही है, जिससे वर्ष दर वर्ष ग्रामीण अपने आशियाने खो देते हैं. ऐसे में ग्रामीण आर्थिक रूप से कमजोर हो जाते हैं. वहीं ग्राम प्रधान ने सरकार व शासन से बंधा बनाये जाने की मांग की है, ताकि बाढ़ से राहत मिल सके.
भेजा गया बांध का प्रस्ताव
बिलग्राम के कटरी क्षेत्र में जायजा लेने आये सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता ने बताया कि बांध बनाये जाने से ही समस्या का निदान हो पायेगा. इसके लिए इस वर्ष शासन को 12 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेज दिया गया है.
जिलाधिकारी ने दिया आश्वासन
डीएम पुलकित खरे ने बताया कि फिलहाल इन बाढ़ ग्रसित इलाकों में लोगों के लिए खाने-पीने आदि के इंतज़ाम किये जा रहे हैं और उनके रहने की व्यवस्थाएं भी की जा रही हैं. साथ ही बाढ़ चौकियों को बना कर सहूलियत प्रदान की जा रही हैं. हालांकि स्थानीय लोगों की मानें तो उनकी समस्याओं को सुनने वाला यहां कोई नहीं है.