हरदोई: जिले में तमाम पद्धतियों के माध्यम से मरीजों को इलाज मुहैया कराया जा रहा है, जिसमें एलोपैथ, होमियोपैथ, आयुर्वेद और यूनानी पद्धतियां शामिल हैं. एक ऐसी पद्धति भी है, जिसमें दवाओं से नहीं बल्कि प्राकृतिक तौर तरीकों और प्राकृतिक आहार के जरिए गंभीर से गंभीर रोगों को दूर किया जाता है, जिसे नेचुरौपैथी कहा जाता है.
जिले में संचालित कायाकल्प केंद्र के संचालक डॉ. राजेश मिश्रा भी अन्य डॉक्टरों से हट कर हैं, जिनके रहन-सहन के तरीके अन्य लोगों से बेहद अलग हैं. समाज के उत्थान के लिए व समाज से रोगों को खत्म करने के लिए ये समय-समय पर तमाम खोजें और अपने ऊपर शारीरिक प्रयोग भी किया करते हैं.
गंभीर बीमारियों का हो रहा इलाज
जिले में संचालित होने वाले कायाकल्प केंद्र में नेचुरोपैथी के माध्यम से लोगों को गंभीर से गंभीर समस्याओं से निजात दिलाया जा रहा है. यहां मौजूद सीनियर नेचुरोपैथी डॉक्टर राजेश मिश्रा भी अन्य चिकित्सकों से बेहद हटके हैं, जिनके रहन-सहन व चिंतन करने का तरीका भी सबसे अलग है.
ईटीवी भारत के साथ साझा किए अनुभव
समाज के उत्थान के लिए व नेचुरोपैथी को बढ़ावा देकर लोगों में जागरूकता का प्रसार करने के लिए डॉ. राजेश मिश्रा कोई न कोई खोज करने में लगे ही रहते हैं. तमाम अभियानों के माध्यम से भी वे इस प्राकृतिक चिकित्सा को समाज मे लागू करने की मुहिम चलाने में लगे हुए हैं. डॉ. राजेश मिश्रा द्वारा पिछले कई महीनों से क्षेत्र संन्यास पर रहने के 73 दिन पूरे हो जाने के बाद उन्होंने अपना अनुभव ईटीवी भारत के साथ साझा किया.
73 दिनों से हैं क्षेत्र सन्यास पर
डॉ. राजेश मिश्रा ने कहा कि वे पिछले करीब 73 दिनों से अपने इसी कायाकल्प केंद्र में रह रहे हैं, जहां नित्य सुबह-शाम वे यज्ञ करते हैं. साथ ही एक ध्यान कुटी का निर्माण भी उन्होंने यहां किया है, जिसमें वे सुबह-शाम मौन, ध्यान व चिंतन करते हैं. उन्होंने कहा आज 73 दिनों से वे अपने इसी छोटे से कायाकल्प केंद्र में ही निवास कर प्राकृतिक चिकित्सा से होने वाले फायदों को महसूस कर रहे हैं.
प्राकृतिक चिकित्सा से लोगों को अवगत कराना उद्देश्य
सीनियर नेचुरौपेथी डॉ. राजेश मिश्रा ने कहा कि भगवान राम ने वनवास के दौरान जहां 14 वर्ष कंद मूल फल खाए थे तो आज के इस युग में क्या इंसान 14 माह तक फलाहारी नहीं रह सकता. इसी को लेकर आज 13 माह बीत जाने के बाद उन्होंने अपने इस शोध का अनुभव साझा किया. पिछले 13 महीनों से वे फल का आहार ग्रहण कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि इस सब के पीछे का उद्देश्य समाज के लोगों को प्राकृतिक चिकित्सा से अवगत कराना है. आज के इस अत्याधुनिक युग में दवाओं के बिना भी प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से तमाम रोगों से मुक्ति पाई जा सकती है.
प्राकृतिक पद्धतियों के माध्यम से लोगों का किया जाता है इलाज
डॉ. राजेश मिश्रा ने अपने कायाकल्प केंद्र के बारे में जानकारी दी और यहां किए जाने वाले इलाज से भी रूबरू कराया. उन्होंने कहा कि इस केंद्र में प्राकृतिक पद्धतियों के माध्यम से लोगों को सही किया जाता है. बड़े से बड़ा रोग ध्यान, योग, मौन व प्राकृतिक आहार को सही ढंग से ग्रहण करने मात्र से सही किया जा सकता है. वहीं उन्होंने बताया कि वे पिछले 73 दिनों से क्षेत्र संन्यास का अनुभव कर रहे हैं और गुरुवार को 74वें दिन यहां से बाहर निकलेंगे.
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