हरदोई: प्रतिभाएं किसी भी चीज की महोताज नहीं होती हैं. इसका जीता-जागता उदाहरण जिले के मल्लावां थाना क्षेत्र के तेंदुआ गांव के रहने वाले खिलाड़ी अवनीश कुमार हैं. करीब चार से पांच वर्षों से अपनी मंजिल को पाने के लिए अवनीश कुमार जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं. अवनीश कुमार इंडिया को रिप्रेजेंट करने का ख्वाब साथ लेकर अपना रास्ता तय करने में लगे हुए हैं. अवनीश कुमार अपनी मंजिल को पाने के लिए घर छोड़कर सड़क किनारे छप्पर डालकर अपना गुजर बसर कर रहे हैं और एक बेहतर खिलाड़ी बनने के लिए दिहाड़ी मजदूरी करके पैसा कमा रहे हैं.
दर-दर भटकने को मजबूर हैं अवनीश कुमार
हरदोई जिले के मल्लावां इलाके के तेंदुआ गांव के रहने वाले 25 वर्षीय अवनीश कुमार आज अपनी प्रतिभा को मंजिल तक पहुंचाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं और मदद की दरकार लगाने को मजबूर हैं. उनके परिजनों सहित जिला प्रशासन और सरकार में कोई भी ऐसा नहीं है, जिसके कानों तक इस प्रतिभावान खिलाड़ी की दरकार जा सके. ऐसे में चार से पांच वर्षों से संघर्ष कर रहे इस नौजवान ने हार नहीं मानी और घर वालों के सहयोग न देने के बाद घर छोड़ दिया और अपने गांव में ही सड़क किनारे छप्पर डालकर रहने लगा.
अवनीश कुमार ने ईंट और पत्थरों से डंबल तैयार कर उन्हें उठाकर वेटलिफ्टिंग और पावर लिफ्टिंग की प्रैक्टिस कर खुद को प्रतियोगिताओं के लिए तैयार किया. इस होनहार और प्रतिभावान युवक की मेहनत रंग लाई और इसने तमाम नेशनल स्तर की प्रतियोगिताओं में अव्वल स्थान प्राप्त कर गोल्ड मेडल भी हासिल किया. हालांकि अवनीश कुमार आज भुखमरी की कगार पर आ पहुंचे चुके हैं.
अवनीश कुमार ने फिर भी हार नहीं मानी और दिहाड़ी मजदूरी कर अपनी प्रतिभा को निखारने के लिए पैसे इकट्ठा कर अब इंडिया को रिप्रेजेंट करने के लिए तैयारी करने में लगे हुए हैं. घर छोड़ने के बाद अब अवनीश गांव में ही सड़क किनारे छप्पर डालकर रहते हैं और एक होनहार वेटलिफ्टर बनने के लिए पत्थर के वेट से प्रैक्टिस करते हैं. वह राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं. किसान पुत्र अवनीश को घर से मदद न मिलने के बाद अब वह सरकार और प्रशासन से मदद की दरकार लगा रहे हैं.