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खिलाड़ी का हाल: गोल्ड मेडल विजेता को मदद की दरकार, लगाई सरकार से गुहार - weightlifting player avnish kumar needs help

उत्तर प्रदेश के हरदोई में एक युवा खिलाड़ी अपनी वेटलिफ्टिंग और पावर लिफ्टिंग की प्रतिभा को मंजिल तक पहुंचाने के लिए दर-दर भटक रहा है. अपनी प्रतिभा को लेकर अवनीश को घर से मदद न मिलने के बाद अब वह सरकार और प्रशासन से मदद की दरकार लगा रहे हैं.

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दर-दर भटक रहा युवा खिलाड़ी.
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Published : Jan 5, 2020, 10:26 AM IST

हरदोई: प्रतिभाएं किसी भी चीज की महोताज नहीं होती हैं. इसका जीता-जागता उदाहरण जिले के मल्लावां थाना क्षेत्र के तेंदुआ गांव के रहने वाले खिलाड़ी अवनीश कुमार हैं. करीब चार से पांच वर्षों से अपनी मंजिल को पाने के लिए अवनीश कुमार जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं. अवनीश कुमार इंडिया को रिप्रेजेंट करने का ख्वाब साथ लेकर अपना रास्ता तय करने में लगे हुए हैं. अवनीश कुमार अपनी मंजिल को पाने के लिए घर छोड़कर सड़क किनारे छप्पर डालकर अपना गुजर बसर कर रहे हैं और एक बेहतर खिलाड़ी बनने के लिए दिहाड़ी मजदूरी करके पैसा कमा रहे हैं.

दर-दर भटक रहा युवा खिलाड़ी.

दर-दर भटकने को मजबूर हैं अवनीश कुमार
हरदोई जिले के मल्लावां इलाके के तेंदुआ गांव के रहने वाले 25 वर्षीय अवनीश कुमार आज अपनी प्रतिभा को मंजिल तक पहुंचाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं और मदद की दरकार लगाने को मजबूर हैं. उनके परिजनों सहित जिला प्रशासन और सरकार में कोई भी ऐसा नहीं है, जिसके कानों तक इस प्रतिभावान खिलाड़ी की दरकार जा सके. ऐसे में चार से पांच वर्षों से संघर्ष कर रहे इस नौजवान ने हार नहीं मानी और घर वालों के सहयोग न देने के बाद घर छोड़ दिया और अपने गांव में ही सड़क किनारे छप्पर डालकर रहने लगा.

अवनीश कुमार ने ईंट और पत्थरों से डंबल तैयार कर उन्हें उठाकर वेटलिफ्टिंग और पावर लिफ्टिंग की प्रैक्टिस कर खुद को प्रतियोगिताओं के लिए तैयार किया. इस होनहार और प्रतिभावान युवक की मेहनत रंग लाई और इसने तमाम नेशनल स्तर की प्रतियोगिताओं में अव्वल स्थान प्राप्त कर गोल्ड मेडल भी हासिल किया. हालांकि अवनीश कुमार आज भुखमरी की कगार पर आ पहुंचे चुके हैं.

अवनीश कुमार ने फिर भी हार नहीं मानी और दिहाड़ी मजदूरी कर अपनी प्रतिभा को निखारने के लिए पैसे इकट्ठा कर अब इंडिया को रिप्रेजेंट करने के लिए तैयारी करने में लगे हुए हैं. घर छोड़ने के बाद अब अवनीश गांव में ही सड़क किनारे छप्पर डालकर रहते हैं और एक होनहार वेटलिफ्टर बनने के लिए पत्थर के वेट से प्रैक्टिस करते हैं. वह राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं. किसान पुत्र अवनीश को घर से मदद न मिलने के बाद अब वह सरकार और प्रशासन से मदद की दरकार लगा रहे हैं.

हरदोई: प्रतिभाएं किसी भी चीज की महोताज नहीं होती हैं. इसका जीता-जागता उदाहरण जिले के मल्लावां थाना क्षेत्र के तेंदुआ गांव के रहने वाले खिलाड़ी अवनीश कुमार हैं. करीब चार से पांच वर्षों से अपनी मंजिल को पाने के लिए अवनीश कुमार जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं. अवनीश कुमार इंडिया को रिप्रेजेंट करने का ख्वाब साथ लेकर अपना रास्ता तय करने में लगे हुए हैं. अवनीश कुमार अपनी मंजिल को पाने के लिए घर छोड़कर सड़क किनारे छप्पर डालकर अपना गुजर बसर कर रहे हैं और एक बेहतर खिलाड़ी बनने के लिए दिहाड़ी मजदूरी करके पैसा कमा रहे हैं.

दर-दर भटक रहा युवा खिलाड़ी.

दर-दर भटकने को मजबूर हैं अवनीश कुमार
हरदोई जिले के मल्लावां इलाके के तेंदुआ गांव के रहने वाले 25 वर्षीय अवनीश कुमार आज अपनी प्रतिभा को मंजिल तक पहुंचाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं और मदद की दरकार लगाने को मजबूर हैं. उनके परिजनों सहित जिला प्रशासन और सरकार में कोई भी ऐसा नहीं है, जिसके कानों तक इस प्रतिभावान खिलाड़ी की दरकार जा सके. ऐसे में चार से पांच वर्षों से संघर्ष कर रहे इस नौजवान ने हार नहीं मानी और घर वालों के सहयोग न देने के बाद घर छोड़ दिया और अपने गांव में ही सड़क किनारे छप्पर डालकर रहने लगा.

अवनीश कुमार ने ईंट और पत्थरों से डंबल तैयार कर उन्हें उठाकर वेटलिफ्टिंग और पावर लिफ्टिंग की प्रैक्टिस कर खुद को प्रतियोगिताओं के लिए तैयार किया. इस होनहार और प्रतिभावान युवक की मेहनत रंग लाई और इसने तमाम नेशनल स्तर की प्रतियोगिताओं में अव्वल स्थान प्राप्त कर गोल्ड मेडल भी हासिल किया. हालांकि अवनीश कुमार आज भुखमरी की कगार पर आ पहुंचे चुके हैं.

अवनीश कुमार ने फिर भी हार नहीं मानी और दिहाड़ी मजदूरी कर अपनी प्रतिभा को निखारने के लिए पैसे इकट्ठा कर अब इंडिया को रिप्रेजेंट करने के लिए तैयारी करने में लगे हुए हैं. घर छोड़ने के बाद अब अवनीश गांव में ही सड़क किनारे छप्पर डालकर रहते हैं और एक होनहार वेटलिफ्टर बनने के लिए पत्थर के वेट से प्रैक्टिस करते हैं. वह राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं. किसान पुत्र अवनीश को घर से मदद न मिलने के बाद अब वह सरकार और प्रशासन से मदद की दरकार लगा रहे हैं.

Intro:आकाश शुक्ला हरदोई। 9919941250

एंकर----आज भी देश मे ऐसी प्रतिभाएं मौजूद हैं जिन्हें सरकार व प्रशासन का सहयोग प्रदान किया जाए तो वे देश का परचम लहरा सकते हैं।लेकिन आज के समय मे अधिकांश वही लोग अपना सफर तय कर पाते हैं जो आर्थिक रूप से मजबूत हैं।तो प्रतिभाएं भी किसी की महोताज़ नहीं होतीं इसका जीतता जात्ता उदाहरण ईटीवी भारत से रूबरू हुआ ये युवा खिलाड़ी है, जो करीब 4 से 5 वर्षों से अपनी मंजिल को पाने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहा है। इंडिया को रिप्रेजेंट करने का ख्वाब साथ लेकर अपना रास्ता तय करने में लगा हुआ ये युवा आज अपनी मंजिल को पाने के लिए घर छोड़ कर सड़क किनारे छप्पर डाल कर अपना गुजर बसर कर रहा है और एक बेहतर खिलाड़ी बनने के लिए दिहाड़ी मजदूरी कर पैसा कमा रहा है ये चौकाने वाली बात जरूर है।तो इस युवा खिलाड़ी की दुखभरी दास्तान सुनकर किसी की भी आंखे नम जरूर हो जाएंगी।


Body:वीओ--1--हरदोई जिले के मल्लावां इलाके के तेंदुआ गांव का रहने वाला एक 25 वर्षीय युवा अवनीश कुमार आज अपनी प्रतिभा को मंजिल तक पहुंचाने के लिए दर-दर भटक रहा है और मदद की दरकार लगाने को मजबूर है।लेकिन उसके परिजनों सहित जिला प्रशासन व सरकार में कोई भी ऐसा नहीं है जिसके कानों तक इस युवा और प्रतिभावान खिलाड़ी की दरकार जा सके। ऐसे में 4 से 5 वर्षों से संघर्ष कर रहे इस नौजवान ने हार न मानी और घर वालों के सहयोग न देने के बाद घर छोड़ दिया और अपने गांव में ही सड़क किनारे छप्पर डालकर रहने लगा।तो ईंट और पत्थरों से डंबल तैयार कर उन्हें उठाकर वेटलिफ्टिंग व पावर लिफ्टिंग की प्रैक्टिस कर खुद को प्रतियोगिताओं के लिए तैयार करता रहा। तो इस होनहार और प्रतिभावान युवक की मेहनत रंग भी लाई। जिसके चलते इस युवा ने तमाम नेशनल स्तर की प्रतियोगिताओं में अव्वल स्थान प्राप्त कर गोल्ड मेडल भी हासिल किया जिसका सबूत इस युवा के गले मे पड़े मैडल और हाथ मे पकड़े सार्टिफिकेट पेह कर रहे हैं।

विसुअल विद वॉइस ओवर

वीओ--2--तो आज भुखमरी की कगार पर आ पहुंचे इस खिलाड़ी अवनीश कुमार ने फिर भी हार नहीं मानी और दिहाड़ी मजदूरी कर अपनी प्रतिभा को निखारने के लिए पैसे इकट्ठा कर अब इंडिया को रिप्रेजेंट करने के लिए तैयरी करने में लगा हुआ है।तो घर छोड़ने के बाद अब अवनीश गांव में ही सड़क किनारे छप्पर डाल कर रहते हैं और एक होनहार वेटलिफ्टर बनने के लिए पत्थर के वेट से प्रैक्टिस करते हैं व नैशनल स्तर की प्रतियोगिताओं के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं।तो किसान पुत्र अवनीश को घर से मदद न मिलने के बाद अब वे सरकार व प्रशासन से मदद की दरकार लगा रहे हैं।ऐसे में ये युवा होनहार प्रतिभावान अन्य युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत जरूर बने हुए हैं।हालांकि इस युवा को भविष्य में इसकी मंजिल तक पहुंचने के लिए कोई सहायता प्रदान की जा सकेगी व ये युवा खुद दिहाड़ी मजदूरी कर अपनी मंजिल को हासिल करेगा ये देखने वाली बात जरूर होगी।सुनिए इस दिन हीन खिलाड़ी की खिलाड़ी की कहानी उसी की जुबानी।

बाईट--अवनीश कुमार--युवा खिलाड़ी

पीटूसी


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