हरदोई: यूपी के हरदोई जिले में किसानों के पराली जलाने को लेकर मुकदमे की कार्रवाई के बाद किसानों के आक्रोश को देखते हुए जिला प्रशासन ने किसान संगठनों के साथ बातचीत की. इस दौरान किसान संगठनों से प्रशासन ने पराली निस्तारण के लिए चर्चा की तथा पराली निस्तारण के तौर-तरीके भी बताए. दरअसल पराली जलाने पर रोक के बावजूद किसान पराली जला रहे हैं. ऐसे में मुकदमे की कार्रवाई के बाद किसानों में आक्रोश पनप रहा था. लिहाजा बातचीत के जरिए इसका हल निकालने की कोशिश की गई. प्रशासन और किसानों के बीच हुई वार्ता किसी हद तक सफल रही. अब किसान संगठनों के जरिए किसानों तक पराली निस्तारण की प्रक्रिया को पहुंचाया जाएगा. प्रशासन के मुताबिक, इस प्रक्रिया से पराली निस्तारण भी हो जाएगा और खेती की उर्वरा शक्ति भी बढ़ेगी. यही नहीं इससे किसानों की पराली निस्तारण की समस्या भी हल हो जाएगी और उन्हें प्रशासनिक कार्यवाही भी नहीं झेलनी होगी.
104 किसानों के खिलाफ हुई एफआईआर
जिले में विगत 10 अक्टूबर से अभी तक पराली जलाने को लेकर 104 किसानों के खिलाफ प्रशासन ने मुकदमे दर्ज कराए हैं. पराली निस्तारण को लेकर किसानों को 14 विकल्प दिए गए हैं, लेकिन इसके बावजूद भी किसान पराली जला रहे हैं. ऐसे में उन पर मुकदमे और जुर्माने की कार्यवाही की जा रही है. इसको लेकर किसान संगठनों ने नाराजगी भी जाहिर की थी
पराली निस्तारण को लेकर हुई द्विपक्षीय वार्ता
आज किसान संगठनों के नेताओं और प्रशासन के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई. इस दौरान किसानों के पराली निस्तारण पर चर्चा की गई तथा कृषि विभाग ने किसान नेताओं को कैसे पराली निस्तारण करें यह बताया. हालांकि इस दौरान जानकारी पाकर किसान नेता खुश नजर आए.
ऐसे करें पराली निस्तारण
इस बारे में डिप्टी डायरेक्टर कृषि आशुतोष मिश्रा ने वेस्ट डीकंपोजर के जरिए पराली निस्तारण की समस्या के निस्तारण की बात कही. उन्होंने किसान नेताओं को समझाया कि इस वेस्ट डीकंपोजर को 200 लीटर पानी में डालें और 2 किलो गुड़ डालकर इसे मिला लें. किसी डंडे से चार-पांच दिन में दो-तीन बार तक इसे हिलाते रहें. चार-पांच दिन बाद यह अच्छा मिश्रण बनकर तैयार हो जाएगा. इसमें से 20 लीटर मिश्रण जामन के तौर पर अलग रख लें तथा शेष बचा 180 लीटर मिश्रण को अलग रख ले. अब खेत में मौजूद पराली में पानी भर दें. इसके बाद इस मिश्रण को उस पराली में छिड़काव करें. कुछ दिनों बाद पराली का निस्तारण हो जाएगा. इस पराली निस्तारण से खेती की उर्वरा शक्ति भी बढ़ेगी और पैदावार भी अधिक होगी. इसी तरह शेष बचे 20 लीटर मिश्रण के जरिए आगे भी घोल बनाते रहे और पराली का निस्तारण करते रहें.
वहीं डीएम अविनाश कुमार ने बताया कि पराली जलाने को लेकर किसान संगठनों से बात हुई है. पिछले दो दिनों में स्मॉग देखा जा रहा था, जांच कराई गई तो इसके पीछे पराली जलाने का कारण निकला. इसको लेकर किसानों पर कार्रवाई भी की गई. लेकिन किसानों पर कार्रवाई करना समस्या का हल नहीं है. लिहाजा किसान संगठनों से बात कर उन्हें पराली निस्तारण के विषय में बताया गया. अब यह संगठन किसानों के बीच जाकर पराली निस्तारण के बारे में बताएंगे. इससे पराली निस्तारण की समस्या खत्म हो जाएगी और प्रदूषण की समस्या से भी निजात मिलेगी.