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किसान नेता बोले- 2022 के विधानसभा चुनाव में किसान भाजपा सरकार को देंगे करारा जवाब - farmers protest

किसान संगठनों द्वारा भारत बंद के एलान के बाद हरदोई जिले में भी किसान सक्रिय हो गए और अपनी आवाज बुलंद कर सड़कों पर उतर आए. इस बीच ईटीवी भारत से हुई खास बातचीत में किसान दल के वरिष्ठ नेता रावेंद्र सिंह ने कहा कि आगामी चुनाव में देश के किसान भाजपा सरकार को करारा जवाब देंगे.

किसानों का प्रदर्शन.
किसानों का प्रदर्शन.
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Published : Sep 28, 2021, 9:30 AM IST

हरदोई: जिले में भी किसान संगठनों द्वारा भारत बंद के एलान के बाद सभी सक्रिय हो गए और अपनी आवाज बुलंद कर सड़कों पर उतर आए. ईटीवी भारत से हुई खास बातचीत में किसान दल के वरिष्ठ नेता रावेंद्र सिंह ने कहा कि आगामी चुनाव में देश के किसान भाजपा सरकार को करारा जवाब देंगे. किसानों का आरोप है कि भाजपा सरकार ने किसानों के हितों में नहीं, बल्कि अहित में काले कानूनों को बनाया है. आज लाखों करोड़ों किसान इन लागू हुए बिलों की मार झेल रहे हैं और आत्महत्या करने को मजबूर हैं. घंटों चले प्रदर्शन में फिलहाल कोई भी घटना नहीं घटित हुई और शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन को प्रशासन व पुलिस ने सम्पन्न कराया.

किसानों ने कहा कि सरकार जो रबड़ी खिलाने की बात किसानों से कह रही है वो रबड़ी किसान नहीं खाएंगे. किसानों ने मोदी जी की रबड़ी को जहर वाली रबड़ी करार दिया है. साथ ही आगामी चुनाव में किसानों के मतदान के प्रतिशत को शून्य बताया.

किसान नेता से बातचीत.

किसानों ने आज प्रदर्शन के दौरान कहा कि पिछले दस महीनों से किसान परेशान हैं और हिंदुस्तान की सीमाओं पर प्रदर्शन कर अपना दर्द बयां कर रहा है, लेकिन सरकार के कानों पर जूं नहीं रेंग रही है. किसानों ने मांग की है कि उनकी वो उपज जिसका दाम किसानों को तय करना चाहिए उसे पूंजी पति न तय करें. आरोप है कि आज ये आलम है कि अलग-अलग सेंटरों पर किसानों की उपज के मूल्य अलग-अलग निर्धारित हैं. वहीं, 1950 में बिकने वाला धान आज महज 950 में बिक रहा है. परिणामस्वरूप आज देश का किसान कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है और आत्महत्या कर रहा है. किसानों ने कहा कि मोदी जी मंडियों को बंद करने में लगे हुए हैं. इसीलिए हम देश के सभी किसानों ने भारत बंद करने का निर्णय लिया. किसानों ने नारा लगाया कि मंडी बंद तो भारत बंद.

यह भी पढ़ें: योगी मंत्रिमंडल का विस्तार : नए मंत्रियों को मिला विभाग, जानिए किसे क्या मिला ?

किसानों ने कहा कि सरकार द्वारा चलाई जा रही किसी भी योजना का भरपूर लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा है. किसानों ने कहा कि मोदी जी सिर्फ शहरों के नाम बदलने में लगे हुए हैं और कहते हैं कि इससे हिन्दुओं को फायदा है. जबकि हिंदुस्तान में अधिकतर किसान हिंदू ही हैं और ऐसे में इन किसानों को आज तक किसी भी प्रकार की कोई सहायता नहीं प्राप्त हो सकी है. किसानों ने कहा कि आगामी चुनाव में अगर मतदान के फीसदी की बात करें तो वो शून्य होने वाला है. जब तक सरकार ये काले कानून वापस नहीं लेगी, तब तक किसान आंदोलनरत रहेंगे.

हरदोई: जिले में भी किसान संगठनों द्वारा भारत बंद के एलान के बाद सभी सक्रिय हो गए और अपनी आवाज बुलंद कर सड़कों पर उतर आए. ईटीवी भारत से हुई खास बातचीत में किसान दल के वरिष्ठ नेता रावेंद्र सिंह ने कहा कि आगामी चुनाव में देश के किसान भाजपा सरकार को करारा जवाब देंगे. किसानों का आरोप है कि भाजपा सरकार ने किसानों के हितों में नहीं, बल्कि अहित में काले कानूनों को बनाया है. आज लाखों करोड़ों किसान इन लागू हुए बिलों की मार झेल रहे हैं और आत्महत्या करने को मजबूर हैं. घंटों चले प्रदर्शन में फिलहाल कोई भी घटना नहीं घटित हुई और शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन को प्रशासन व पुलिस ने सम्पन्न कराया.

किसानों ने कहा कि सरकार जो रबड़ी खिलाने की बात किसानों से कह रही है वो रबड़ी किसान नहीं खाएंगे. किसानों ने मोदी जी की रबड़ी को जहर वाली रबड़ी करार दिया है. साथ ही आगामी चुनाव में किसानों के मतदान के प्रतिशत को शून्य बताया.

किसान नेता से बातचीत.

किसानों ने आज प्रदर्शन के दौरान कहा कि पिछले दस महीनों से किसान परेशान हैं और हिंदुस्तान की सीमाओं पर प्रदर्शन कर अपना दर्द बयां कर रहा है, लेकिन सरकार के कानों पर जूं नहीं रेंग रही है. किसानों ने मांग की है कि उनकी वो उपज जिसका दाम किसानों को तय करना चाहिए उसे पूंजी पति न तय करें. आरोप है कि आज ये आलम है कि अलग-अलग सेंटरों पर किसानों की उपज के मूल्य अलग-अलग निर्धारित हैं. वहीं, 1950 में बिकने वाला धान आज महज 950 में बिक रहा है. परिणामस्वरूप आज देश का किसान कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है और आत्महत्या कर रहा है. किसानों ने कहा कि मोदी जी मंडियों को बंद करने में लगे हुए हैं. इसीलिए हम देश के सभी किसानों ने भारत बंद करने का निर्णय लिया. किसानों ने नारा लगाया कि मंडी बंद तो भारत बंद.

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किसानों ने कहा कि सरकार द्वारा चलाई जा रही किसी भी योजना का भरपूर लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा है. किसानों ने कहा कि मोदी जी सिर्फ शहरों के नाम बदलने में लगे हुए हैं और कहते हैं कि इससे हिन्दुओं को फायदा है. जबकि हिंदुस्तान में अधिकतर किसान हिंदू ही हैं और ऐसे में इन किसानों को आज तक किसी भी प्रकार की कोई सहायता नहीं प्राप्त हो सकी है. किसानों ने कहा कि आगामी चुनाव में अगर मतदान के फीसदी की बात करें तो वो शून्य होने वाला है. जब तक सरकार ये काले कानून वापस नहीं लेगी, तब तक किसान आंदोलनरत रहेंगे.

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