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हरदोई: कोरोना के कारण नाग पंचमी पर नहीं लगा मेला - हरदोई में कोरोना के कारण नहीं लगा मेला

उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में नाग पंचमी के अवसर पर इस तालाबों और नदियों में गुड़िया नहीं पीटी गई. वहीं मंदिरों में भी सन्नाटा छाया रहा.

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कोरोना के कारण नाग पंचमी पर मंदिरों में पसरा रहा सन्नाटा.
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Published : Jul 26, 2020, 9:32 PM IST

हरदोई: हर वर्ष हरदोई जिले में नाग पंचमी के त्यौहार पर गुड़िया मेले का आयोजन बड़े स्तर पर होता आया है. इस मेले में महिलाएं घरों के पुराने कपड़े या उनकी गुड़िया नुमा आकृति बना कर सड़क किनारे, चौराहों पर या मंदिरों में फेंकती हैं, जिसके बाद बच्चे डंडों से इसकी पिटाई करते हैं. इस बार कोरोना के कारण मेले का आयोजन नहीं किया गया. वहीं मंदिर के पुजारियों ने भी लोगों को अपने घरों में रहने की अपील की थी.

कोरोना के कारण नाग पंचमी पर मंदिरों में पसरा रहा सन्नाटा.



नाग पचंमी के अवसर पर जिले में वर्षों से लगने वाले मेला इस बार कोरोना संक्रमण के कारण नहीं लगा. लोगों ने घर पर ही रहकर त्योहार मनाया. इस दौरान मंदिरों में भी सन्नाटा पसरा रहा. मेले में आकर गुड़िया पीटने के बाद लोग एतिहासिक नरसिंह भगवान के मंदिर में दर्शन भी करते थे.


ऐसी मान्यता है कि तक्षक नाग के काटने से राजा परीक्षित की मौत हो गई थी. जिसके बाद तक्षक के चौथी पीढ़ी की कन्या की शादी राजा परीक्षित की चौथी पीढ़ी में हुई. उस कन्या ने ससुराल में एक महिला को इस रहस्य के बारे में बता दिया और यह बात चारों ओर फैल गई. तक्षक के तत्कालीन राजा इस बात से क्रोधित हो गए और उन्होंने नगर की सारी महिलाओं को इकठ्ठा कर उन्हें कोड़ों से पिटवा कर मरवा दिया था.

तभी से नाग पंचमी प गुड़िया पीटने की परंपरा चली आ रही है. पौराणिक कथाओं के अनुसार तक्षक पाताल के आठ नागों में से एक था और कश्यप का पुत्र व कद्रु के गर्भ से उत्पन्न हुआ था. श्रृंगी ऋषि के शाप को पूरा करने के लिए ही तक्षक नाग ने राजा परीक्षित को काटा था.

इसलिए राजा जनमेजय इससे बहुत कुपित हुए और उन्होंने संसार के सभी नागों का नाश करने के लिए सर्पयज्ञ की शुरुआत कर दी थी.मान्यतानुसार महिलाएं घरों में पुराने कपड़ों की गुड़िया बनाकर उन्हें सड़कों और चैराहों जैसी जगहों पर डालती हैं और बच्चे उसे पीटते हैं.

हरदोई: हर वर्ष हरदोई जिले में नाग पंचमी के त्यौहार पर गुड़िया मेले का आयोजन बड़े स्तर पर होता आया है. इस मेले में महिलाएं घरों के पुराने कपड़े या उनकी गुड़िया नुमा आकृति बना कर सड़क किनारे, चौराहों पर या मंदिरों में फेंकती हैं, जिसके बाद बच्चे डंडों से इसकी पिटाई करते हैं. इस बार कोरोना के कारण मेले का आयोजन नहीं किया गया. वहीं मंदिर के पुजारियों ने भी लोगों को अपने घरों में रहने की अपील की थी.

कोरोना के कारण नाग पंचमी पर मंदिरों में पसरा रहा सन्नाटा.



नाग पचंमी के अवसर पर जिले में वर्षों से लगने वाले मेला इस बार कोरोना संक्रमण के कारण नहीं लगा. लोगों ने घर पर ही रहकर त्योहार मनाया. इस दौरान मंदिरों में भी सन्नाटा पसरा रहा. मेले में आकर गुड़िया पीटने के बाद लोग एतिहासिक नरसिंह भगवान के मंदिर में दर्शन भी करते थे.


ऐसी मान्यता है कि तक्षक नाग के काटने से राजा परीक्षित की मौत हो गई थी. जिसके बाद तक्षक के चौथी पीढ़ी की कन्या की शादी राजा परीक्षित की चौथी पीढ़ी में हुई. उस कन्या ने ससुराल में एक महिला को इस रहस्य के बारे में बता दिया और यह बात चारों ओर फैल गई. तक्षक के तत्कालीन राजा इस बात से क्रोधित हो गए और उन्होंने नगर की सारी महिलाओं को इकठ्ठा कर उन्हें कोड़ों से पिटवा कर मरवा दिया था.

तभी से नाग पंचमी प गुड़िया पीटने की परंपरा चली आ रही है. पौराणिक कथाओं के अनुसार तक्षक पाताल के आठ नागों में से एक था और कश्यप का पुत्र व कद्रु के गर्भ से उत्पन्न हुआ था. श्रृंगी ऋषि के शाप को पूरा करने के लिए ही तक्षक नाग ने राजा परीक्षित को काटा था.

इसलिए राजा जनमेजय इससे बहुत कुपित हुए और उन्होंने संसार के सभी नागों का नाश करने के लिए सर्पयज्ञ की शुरुआत कर दी थी.मान्यतानुसार महिलाएं घरों में पुराने कपड़ों की गुड़िया बनाकर उन्हें सड़कों और चैराहों जैसी जगहों पर डालती हैं और बच्चे उसे पीटते हैं.

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