हरदोई: उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर सिकंदरपुर गांव में यह अनोखी पाठशाला लगती है. सिकंदरपुर स्थित सर्वोदय आश्रम में 'उड़ान' कार्यक्रम के जरिए बालिकाओं को किताबी शिक्षा की बजाए प्रयोगात्मक शिक्षा दी जाती है. यहां ऐसी बालिकाओं को प्रवेश दिया जाता है जिनकी पढ़ाई या तो शुरू ही नहीं हो पाई या फिर बीच में ही छूट गई. 11 साल से 14 वर्ष की आयु वर्ग की बालिकाओं को प्रवेश दिया जाता है. पाठ्यक्रम ऐसा है कि 1 साल में 5 साल की पढ़ाई पूरी कराई जाती है.
इस आवासीय विद्यालय में 2 घंटे की एक क्लास होती है. 1 साल की पढ़ाई के बाद यहां की छात्राओं को बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से आयोजित की जाने वाली परीक्षा में शामिल कराया जाता है. बेसिक शिक्षा परिषद की परीक्षा पास करने के बाद पढ़ाई पूरी मानी जाती है. बेसिक शिक्षा परिषद की परीक्षा पास करने के बाद यह छात्राएं समाज की मुख्यधारा से जुड़ जाती हैं. इससे इन्हें सीधे कक्षा 6 में प्रवेश मिल जाता है.
शिक्षा देने का अनोखा तरीका...
सर्वोदय आश्रम के 'उड़ान' कार्यक्रम के जरिए बालिकाओं को खेल खेल में ही पढ़ाया जाता है. यहां 2 घंटे की एक क्लास होती है. इन क्लासों में कंकड़, तीली, पत्थर, चित्र और कार्ड के माध्यम से छात्राओं को शिक्षा दी जाती है. इससे यहां की पढ़ाई छात्राओं को रुचिकर लगे और वह 5 साल की पढ़ाई एक साल में ही पूरी कर सकें. यहां शिक्षा पाने वाली छात्राएं अपनी सहपाठी के साथ मिलकर खेल खेल में ही शिक्षा ग्रहण करती हैं. साथ ही एक दूसरे का उत्साहवर्धन भी करती हैं. सर्वोदय आश्रम के इस कार्यक्रम को 'उड़ान' नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि इस कार्यक्रम के जरिए पढ़ने लिखने वाली इन्हीं बालिकाओं के हौसलों की उड़ान मिलती है. वह भी समाज की मुख्यधारा से जुड़ कर शिक्षा ग्रहण कर पाती हैं.
'उड़ान' कार्यक्रम पर कई देश कर रहे शोध....
सर्वोदय आश्रम में उड़ान कार्यक्रम की शुरुआत 1999 में की थी. इसके बाद से अभी तक यह कार्यक्रम निरंतर रूप से चल रहा है. प्रत्येक वर्ष 100 बालिकाओं को यहां पर निःशुल्क आवासीय शिक्षा प्रदान की जाती है. हमारे लोग गांव और क्षेत्रों में जाकर ऐसी बच्चियों को खोजते हैं. जिन्होंने कभी स्कूल नहीं जा सकी या फिर किसी मजबूरी की वजह से उनकी पढ़ाई बीच में ही छूट गई. 11 से 14 वर्ष की उम्र की इन बच्चियों के माता-पिता से बात करके प्रत्येक वर्ष यहां पर रखकर आवासीय शिक्षा दी जाती है. पूर्व में बेसिक शिक्षा विभाग में बड़े पद पर रहीं वृंदा स्वरूप ने 2001 में 'उड़ान' कार्यक्रम का निरीक्षण किया था. इसके बाद उनके केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के बाद ही प्रदेश में कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों की शुरुआत हुई थी. 'उड़ान' कार्यक्रम को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय की कई छात्राएं यहां शोध कर चुकी हैं. फ्रांस सहित कई देशों में भी इस कार्यक्रम पर शोध किया जा रहा है.