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सर्वोदय की उड़ान लगा रही बालिका शिक्षा को पंख, बिना किताबों के दी जाती है शिक्षा - हरदोई के सर्वोदय आश्रम में बालिकाओं को पंख दिए गए.

इन दिनों देश में सरकार और सामाजिक संस्थाएं सभी बालिका शिक्षा पर जोर दे रहे हैं. ऐसा ही कुछ हरदोई के ग्रामीण इलाके में सर्वोदय आश्रम का कार्यक्रम 'उड़ान' उन बालिकाओं के सच में पंख लगा रहा है. जिन्होंने कभी स्कूल का गेट तक नहीं देखा. ऐसी बालिकाओं को उड़ान कार्यक्रम के जरिए कक्षा 1 से 5 तक की पढ़ाई नि:शुल्क 1 साल में पूरी कराई जाती है.

खेल खेल में सीखती बालिकाएं
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Published : Jun 30, 2019, 8:46 PM IST

हरदोई: उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर सिकंदरपुर गांव में यह अनोखी पाठशाला लगती है. सिकंदरपुर स्थित सर्वोदय आश्रम में 'उड़ान' कार्यक्रम के जरिए बालिकाओं को किताबी शिक्षा की बजाए प्रयोगात्मक शिक्षा दी जाती है. यहां ऐसी बालिकाओं को प्रवेश दिया जाता है जिनकी पढ़ाई या तो शुरू ही नहीं हो पाई या फिर बीच में ही छूट गई. 11 साल से 14 वर्ष की आयु वर्ग की बालिकाओं को प्रवेश दिया जाता है. पाठ्यक्रम ऐसा है कि 1 साल में 5 साल की पढ़ाई पूरी कराई जाती है.

सर्वोदय की उड़ान लगा रही बालिका शिक्षा को पंख

इस आवासीय विद्यालय में 2 घंटे की एक क्लास होती है. 1 साल की पढ़ाई के बाद यहां की छात्राओं को बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से आयोजित की जाने वाली परीक्षा में शामिल कराया जाता है. बेसिक शिक्षा परिषद की परीक्षा पास करने के बाद पढ़ाई पूरी मानी जाती है. बेसिक शिक्षा परिषद की परीक्षा पास करने के बाद यह छात्राएं समाज की मुख्यधारा से जुड़ जाती हैं. इससे इन्हें सीधे कक्षा 6 में प्रवेश मिल जाता है.

शिक्षा देने का अनोखा तरीका...
सर्वोदय आश्रम के 'उड़ान' कार्यक्रम के जरिए बालिकाओं को खेल खेल में ही पढ़ाया जाता है. यहां 2 घंटे की एक क्लास होती है. इन क्लासों में कंकड़, तीली, पत्थर, चित्र और कार्ड के माध्यम से छात्राओं को शिक्षा दी जाती है. इससे यहां की पढ़ाई छात्राओं को रुचिकर लगे और वह 5 साल की पढ़ाई एक साल में ही पूरी कर सकें. यहां शिक्षा पाने वाली छात्राएं अपनी सहपाठी के साथ मिलकर खेल खेल में ही शिक्षा ग्रहण करती हैं. साथ ही एक दूसरे का उत्साहवर्धन भी करती हैं. सर्वोदय आश्रम के इस कार्यक्रम को 'उड़ान' नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि इस कार्यक्रम के जरिए पढ़ने लिखने वाली इन्हीं बालिकाओं के हौसलों की उड़ान मिलती है. वह भी समाज की मुख्यधारा से जुड़ कर शिक्षा ग्रहण कर पाती हैं.

'उड़ान' कार्यक्रम पर कई देश कर रहे शोध....

सर्वोदय आश्रम में उड़ान कार्यक्रम की शुरुआत 1999 में की थी. इसके बाद से अभी तक यह कार्यक्रम निरंतर रूप से चल रहा है. प्रत्येक वर्ष 100 बालिकाओं को यहां पर निःशुल्क आवासीय शिक्षा प्रदान की जाती है. हमारे लोग गांव और क्षेत्रों में जाकर ऐसी बच्चियों को खोजते हैं. जिन्होंने कभी स्कूल नहीं जा सकी या फिर किसी मजबूरी की वजह से उनकी पढ़ाई बीच में ही छूट गई. 11 से 14 वर्ष की उम्र की इन बच्चियों के माता-पिता से बात करके प्रत्येक वर्ष यहां पर रखकर आवासीय शिक्षा दी जाती है. पूर्व में बेसिक शिक्षा विभाग में बड़े पद पर रहीं वृंदा स्वरूप ने 2001 में 'उड़ान' कार्यक्रम का निरीक्षण किया था. इसके बाद उनके केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के बाद ही प्रदेश में कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों की शुरुआत हुई थी. 'उड़ान' कार्यक्रम को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय की कई छात्राएं यहां शोध कर चुकी हैं. फ्रांस सहित कई देशों में भी इस कार्यक्रम पर शोध किया जा रहा है.

हरदोई: उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर सिकंदरपुर गांव में यह अनोखी पाठशाला लगती है. सिकंदरपुर स्थित सर्वोदय आश्रम में 'उड़ान' कार्यक्रम के जरिए बालिकाओं को किताबी शिक्षा की बजाए प्रयोगात्मक शिक्षा दी जाती है. यहां ऐसी बालिकाओं को प्रवेश दिया जाता है जिनकी पढ़ाई या तो शुरू ही नहीं हो पाई या फिर बीच में ही छूट गई. 11 साल से 14 वर्ष की आयु वर्ग की बालिकाओं को प्रवेश दिया जाता है. पाठ्यक्रम ऐसा है कि 1 साल में 5 साल की पढ़ाई पूरी कराई जाती है.

सर्वोदय की उड़ान लगा रही बालिका शिक्षा को पंख

इस आवासीय विद्यालय में 2 घंटे की एक क्लास होती है. 1 साल की पढ़ाई के बाद यहां की छात्राओं को बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से आयोजित की जाने वाली परीक्षा में शामिल कराया जाता है. बेसिक शिक्षा परिषद की परीक्षा पास करने के बाद पढ़ाई पूरी मानी जाती है. बेसिक शिक्षा परिषद की परीक्षा पास करने के बाद यह छात्राएं समाज की मुख्यधारा से जुड़ जाती हैं. इससे इन्हें सीधे कक्षा 6 में प्रवेश मिल जाता है.

शिक्षा देने का अनोखा तरीका...
सर्वोदय आश्रम के 'उड़ान' कार्यक्रम के जरिए बालिकाओं को खेल खेल में ही पढ़ाया जाता है. यहां 2 घंटे की एक क्लास होती है. इन क्लासों में कंकड़, तीली, पत्थर, चित्र और कार्ड के माध्यम से छात्राओं को शिक्षा दी जाती है. इससे यहां की पढ़ाई छात्राओं को रुचिकर लगे और वह 5 साल की पढ़ाई एक साल में ही पूरी कर सकें. यहां शिक्षा पाने वाली छात्राएं अपनी सहपाठी के साथ मिलकर खेल खेल में ही शिक्षा ग्रहण करती हैं. साथ ही एक दूसरे का उत्साहवर्धन भी करती हैं. सर्वोदय आश्रम के इस कार्यक्रम को 'उड़ान' नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि इस कार्यक्रम के जरिए पढ़ने लिखने वाली इन्हीं बालिकाओं के हौसलों की उड़ान मिलती है. वह भी समाज की मुख्यधारा से जुड़ कर शिक्षा ग्रहण कर पाती हैं.

'उड़ान' कार्यक्रम पर कई देश कर रहे शोध....

सर्वोदय आश्रम में उड़ान कार्यक्रम की शुरुआत 1999 में की थी. इसके बाद से अभी तक यह कार्यक्रम निरंतर रूप से चल रहा है. प्रत्येक वर्ष 100 बालिकाओं को यहां पर निःशुल्क आवासीय शिक्षा प्रदान की जाती है. हमारे लोग गांव और क्षेत्रों में जाकर ऐसी बच्चियों को खोजते हैं. जिन्होंने कभी स्कूल नहीं जा सकी या फिर किसी मजबूरी की वजह से उनकी पढ़ाई बीच में ही छूट गई. 11 से 14 वर्ष की उम्र की इन बच्चियों के माता-पिता से बात करके प्रत्येक वर्ष यहां पर रखकर आवासीय शिक्षा दी जाती है. पूर्व में बेसिक शिक्षा विभाग में बड़े पद पर रहीं वृंदा स्वरूप ने 2001 में 'उड़ान' कार्यक्रम का निरीक्षण किया था. इसके बाद उनके केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के बाद ही प्रदेश में कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों की शुरुआत हुई थी. 'उड़ान' कार्यक्रम को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय की कई छात्राएं यहां शोध कर चुकी हैं. फ्रांस सहित कई देशों में भी इस कार्यक्रम पर शोध किया जा रहा है.

Intro:स्लग--सर्वोदय की उड़ान लगा रही बालिका शिक्षा को पंख यहां दी जाती है बिना किताबों के शिक्षा


एंकर--कहने को तो देश में सरकार और सामाजिक संस्थाएं सभी बालिका शिक्षा के लिए जोर शोर से अलग जगाती हैं लेकिन उसके बावजूद भी तमाम बालिकाएं आर्थिक परेशानी के कारण स्कूल नहीं जा पाती हैं लेकिन हरदोई के ग्रामीण इलाके में सर्वोदय आश्रम का कार्यक्रम उड़ान उन बालिकाओं के सच में पंख लगा रहा है जिन्होंने कभी स्कूल का गेट तक नहीं देखा या फिर उनकी पढ़ाई बीच में ही छूट गई ऐसी बालिकाओं को उड़ान कार्यक्रम के जरिए कक्षा 1 से 5 तक की पढ़ाई निःशुल्क 1 साल में पूरी कराई जाती है शिक्षा भी ऐसी की बालिकाओं को अरुचिकर ना लगे इसलिए किताबों की वजाय उन्हें कंकड़ तीली पत्थर और चित्रों के माध्यम से खेल खेल में ही पढ़ाया जाता है ताकि प्रयोगात्मक शिक्षा के जरिए बालिकाओं के मन मस्तिष्क का विकास हो सके। यहां की बालिकाएं 1 साल में कक्षा 1 से 5 तक की पढ़ाई करने के बाद बेसिक शिक्षा परिषद की कक्षा 6 के लिए एडमिशन की परीक्षा में शामिल होती हैं और उसे पास करते ही समाज की मुख्यधारा से जुड़ जाती हैं और उन्हें कक्षा 6 में प्रवेश मिल जाता है।


Body:vo--उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर सिकंदरपुर गांव में यह अनोखी पाठशाला लगती है।सिकंदरपुर स्थित सर्वोदय आश्रम में उड़ान कार्यक्रम के जरिए बालिकाओं को किताबी शिक्षा की बजाए प्रयोगात्मक शिक्षा दी जाती है यहां ऐसी बालिकाओं को प्रवेश दिया जाता है जिनकी पढ़ाई या तो शुरू ही नहीं हो पाई या फिर बीच में ही छूट गई यहां 11 साल से 14 वर्ष की आयु वर्ग की बालिकाओं को प्रवेश दिया जाता है पाठ्यक्रम ऐसा है कि 1 साल में 5 साल की पढ़ाई पूरी कराई जाती है विद्यालय की संचालिका उर्मिला श्रीवास्तव बताती हैं कि इस आवासीय विद्यालय में 2 घंटे का एक पीरियड होता है 1 साल की पढ़ाई के बाद यहां की बालिकाओं को बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से आयोजित की जाने वाली परीक्षा में शामिल कराया जाता है और बेसिक शिक्षा परिषद की परीक्षा पास करने के बाद पढ़ाई पूरी मानी जाती है बेसिक शिक्षा परिषद की परीक्षा पास करने के बाद यह बालिकाये समाज की मुख्यधारा से जुड़ जाती हैं और इन्हें सीधे कक्षा 6 में प्रवेश मिल जाता है।

vo--सर्वोदय आश्रम के उड़ान कार्यक्रम के जरिए बालिकाओं को खेल खेल में ही पढ़ाया जाता है यहां 2 घंटे का एक पीरियड होता है जिसमें कंकड़ तीली पत्थर चित्र और कार्ड के माध्यम से बालिकाओं को शिक्षा दी जाती है ताकि यहां की पढ़ाई बालिकाओं को रुचिकर ना लगे और वह 5 साल की पढ़ाई एक साल में ही पूरी कर सकें यहां शिक्षा पाने वाली बालिकाएं अपनी साथी बालिकाओं के साथ मिलकर खेल खेल में ही शिक्षा ग्रहण करती हैं साथ ही एक दूसरे का उत्साहवर्धन भी करती हैं। सर्वोदय आश्रम के इस कार्यक्रम को उड़ान नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि इस कार्यक्रम के जरिए पढ़ने लिखने वाली इन्हीं बालिकाओं के हौसलों की उड़ान मिलती है और वह भी समाज की मुख्यधारा से जुड़ कर शिक्षा ग्रहण कर पाती हैं।


Conclusion:voc--सर्वोदय आश्रम की संचालिका उर्मिला श्रीवास्तव बताती हैं कि सर्वोदय आश्रम में उड़ान कार्यक्रम की शुरुआत उन्होंने 1999 में की थी जिसके बाद से अभी तक यह कार्यक्रम निरंतर रूप से चल रहा है प्रत्येक वर्ष 100 बालिकाओं को यहां पर निःशुल्क आवासीय शिक्षा प्रदान की जाती है उनके लोग गांव और क्षेत्रों में जाकर ऐसी बालिकाओं को खोजते हैं जो बालिकाएं कभी स्कूल नहीं जा सकी या फिर किसी मजबूरी की वजह से उनकी पढ़ाई बीच में ही छूट गई 11 से 14 वर्ष की उम्र की इन बालिकाओं के माता-पिता से बात करके प्रत्येक वर्ष बालिकाओं को यहां पर रखकर आवासीय शिक्षा दी जाती है उर्मिला श्रीवास्तव के मुताबिक पूर्व में बेसिक शिक्षा विभाग में बड़े पद पर रहीं वृंदा स्वरूप ने 2001 में उड़ान कार्यक्रम का निरीक्षण किया था जिसके बाद उनके केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के बाद ही प्रदेश में कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों की शुरुआत हुई थी उड़ान कार्यक्रम को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय की कई छात्राएं यहां शोध कर चुकी हैं साथ ही फ्रांस सहित कई देशों में भी इस कार्यक्रम पर शोध किया जा रहा है।

आशीष द्विवेदी
हरदोई up
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