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हरदोई: परिषदीय विद्यालयों की हालत बदहाल, प्रशासन चला रहा कागजी कायाकल्प अभियान - परिषदीय विद्यालयों की बदहाल हालत

उत्तर प्रदेश के हरदोई में परिषदीय विद्यालयों की दशा दयनीय हो चुकी है. वहीं अधिकारी कागजी कायाकल्प अभियान चला रहे हैं.

kayakalp abhiyan
कायाकल्प अभियान
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Published : Jul 7, 2020, 7:59 AM IST

हरदोई: जिले के परिषदीय विद्यालयों की दशा सुधारने के लिए मिशन कायाकल्प की शुरुआत शासन स्तर से की गई है. इसके तहत हरदोई में भी जिम्मेदारों ने कार्य कराना जाना शुरू कर दिया है. हालांकि जमीनी हकीकत आज भी जस की तस है. आज भी जिले के परिषदीय विद्यालयों की स्थिति बदतर है. यहां आज भी नौनिहाल टूटे शौचालयों से लेकर जर्जर भवनों में शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं. वहीं जिम्मेदार महज कागजों पर कायाकल्प अभियान चलाए जाने का दावा पेश कर रहे हैं.

कायाकल्प अभियान.
क्या है मिशन कायाकल्पऑपरेशन कायाकल्प के तहत विद्यालयों में बालक-बालिकाओं के शौचलयों का निर्माण, भवन दुरुस्तीकरण और सौंदर्यीकरण के कार्य कराए जाना है. साथ ही विद्यालय में फर्नीचर, कक्षाओं में टाइलीकरण की सुविधाओं के साथ ही पेयजल और हैंड वॉश कार्यों को सुनिश्चित कराया जा रहा है. इससे इन विद्यालयों को एक कॉन्वेंट विद्यालय की तर्ज पर विकसित कराया जा सकेगा और बच्चों को बेहतर शिक्षा का माहौल मिल सकेगा.

सरकारी विद्यालयों को चमकाने के लिए और छात्र-छात्राओं को सुगम वातावरण प्रदान करने के लिए ऑपरेशन कायाकल्प की शुरुआत की गई थी. इस मुहीम के तहत विद्यालयों को विकसित किया जा सकेगा. हर वर्ष इस मुहीम के तहत कार्य कराए जाने के लिए शासन स्तर से लाखों रुपयों का बजट भी निर्गत किया जाता है.

ये है ऑपरेशन कायाकल्प की जमीनी हकीकत
जिले में भले ही कुछ विद्यालयों का कायाकल्प करा दिया गया हो, लेकिन अभी भी कई प्राथमिक विद्यालय और उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं, जिनकी स्थिति बेहद दयनीय है. यहां का भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. वहीं यहां बने खंडहर में नशेड़ियों का जमावड़ा स्कूल बंद होते ही लग जाता है. साथ ही विद्यालय से सटा हुआ एक तालाब भी है, जहां की बाउंडरी वॉल टूटी हुई है. वहीं बने शौंलयों की स्थिति विगत लंबे समय से बदहाल है.

क्या कहते हैं बीएसए हेमंत राव
बीएसए हेमंत राव नद ने मिशन कायाकल्प के तहत हो रहे कार्यों का बखान किया. उन्होंने बताया कि जिले के 4 ब्लॉकों में फिलहाल विकास कार्य कराए जा रहे हैं. बदहाल विद्यालयों का कायाकल्प जल्द ही करवा दिया जाएगा. भविष्य में इन विद्यालयों में विकास कार्य होंगे या नहीं, ये देखने वाली बात जरूर होगी. अधिकारी भले ही कागजों पर इस अभियान को चला कर वाह-वाही बटोर रहे हों, लेकिन कायाकल्प अभियान की जमीनी हकीकत कुछ और ही है.

हरदोई: जिले के परिषदीय विद्यालयों की दशा सुधारने के लिए मिशन कायाकल्प की शुरुआत शासन स्तर से की गई है. इसके तहत हरदोई में भी जिम्मेदारों ने कार्य कराना जाना शुरू कर दिया है. हालांकि जमीनी हकीकत आज भी जस की तस है. आज भी जिले के परिषदीय विद्यालयों की स्थिति बदतर है. यहां आज भी नौनिहाल टूटे शौचालयों से लेकर जर्जर भवनों में शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं. वहीं जिम्मेदार महज कागजों पर कायाकल्प अभियान चलाए जाने का दावा पेश कर रहे हैं.

कायाकल्प अभियान.
क्या है मिशन कायाकल्पऑपरेशन कायाकल्प के तहत विद्यालयों में बालक-बालिकाओं के शौचलयों का निर्माण, भवन दुरुस्तीकरण और सौंदर्यीकरण के कार्य कराए जाना है. साथ ही विद्यालय में फर्नीचर, कक्षाओं में टाइलीकरण की सुविधाओं के साथ ही पेयजल और हैंड वॉश कार्यों को सुनिश्चित कराया जा रहा है. इससे इन विद्यालयों को एक कॉन्वेंट विद्यालय की तर्ज पर विकसित कराया जा सकेगा और बच्चों को बेहतर शिक्षा का माहौल मिल सकेगा.

सरकारी विद्यालयों को चमकाने के लिए और छात्र-छात्राओं को सुगम वातावरण प्रदान करने के लिए ऑपरेशन कायाकल्प की शुरुआत की गई थी. इस मुहीम के तहत विद्यालयों को विकसित किया जा सकेगा. हर वर्ष इस मुहीम के तहत कार्य कराए जाने के लिए शासन स्तर से लाखों रुपयों का बजट भी निर्गत किया जाता है.

ये है ऑपरेशन कायाकल्प की जमीनी हकीकत
जिले में भले ही कुछ विद्यालयों का कायाकल्प करा दिया गया हो, लेकिन अभी भी कई प्राथमिक विद्यालय और उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं, जिनकी स्थिति बेहद दयनीय है. यहां का भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. वहीं यहां बने खंडहर में नशेड़ियों का जमावड़ा स्कूल बंद होते ही लग जाता है. साथ ही विद्यालय से सटा हुआ एक तालाब भी है, जहां की बाउंडरी वॉल टूटी हुई है. वहीं बने शौंलयों की स्थिति विगत लंबे समय से बदहाल है.

क्या कहते हैं बीएसए हेमंत राव
बीएसए हेमंत राव नद ने मिशन कायाकल्प के तहत हो रहे कार्यों का बखान किया. उन्होंने बताया कि जिले के 4 ब्लॉकों में फिलहाल विकास कार्य कराए जा रहे हैं. बदहाल विद्यालयों का कायाकल्प जल्द ही करवा दिया जाएगा. भविष्य में इन विद्यालयों में विकास कार्य होंगे या नहीं, ये देखने वाली बात जरूर होगी. अधिकारी भले ही कागजों पर इस अभियान को चला कर वाह-वाही बटोर रहे हों, लेकिन कायाकल्प अभियान की जमीनी हकीकत कुछ और ही है.

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