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संजय साहू ने बसपा से की बगावत, निर्दलीय मैदान में उतरे - लोकसभा चुनाव

टिकट कटने से नाराज हमीरपुर-महोबा-तिंदवारी संसदीय सीट के पूर्व लोकसभा प्रभारी संजय साहू ने बगावत करते हुए निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ताल ठोक दी है. नामांकन प्रक्रिया के आखिरी दिन संजय साहू नामांकन करने पहुंचे. उन्होंने चुनाव लड़ने को अपना संवैधानिक अधिकार बताया.

संजय साहू ने की जनसभा
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Published : Apr 10, 2019, 9:07 AM IST

हमीरपुर : टिकट कटने से नाराज हमीरपुर-महोबा-तिंदवारी संसदीय सीट के पूर्व लोकसभा प्रभारी संजय साहू ने बगावत करते हुए निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ताल ठोक दी है. नामांकन प्रक्रिया के आखिरी दिन संजय साहू नामांकन करने पहुंचे. इसके बाद उन्होंने जिला मुख्यालय में जनसभा भी की.

संजय साहू निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरे.

बगावत की बात नकारते हुए उन्होंने चुनाव लड़ने को अपना संवैधानिक अधिकार बताया. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में प्रत्येक नागरिक को यह अधिकार है कि वह जनता के विकास के लिए चुनाव मैदान में उतर सकता है.

वहीं दूसरी ओर जनसभा को संबोधित करते हुए संजय साहू के भाई एवं सपा सरकार में राज्यमंत्री रहे सिद्ध गोपाल साहू ने बिना किसी दल का नाम लिए हुए निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरने के कारण गिनाए. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों द्वारा पहले प्रत्याशी घोषित किया जाता है. फिर उसके बाद महीनों प्रचार-प्रसार कराया जाता है और चुनाव नजदीक आने के बाद दबाव में आकर यह कह दिया जाता है कि आप कमजोर हैं. आप चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में प्रत्याशी की ताकत जनतंत्र होता है. जनतंत्र ही है तय करता है कि संसद में उसका प्रतिनिधित्व कौन सा प्रत्याशी करेगा?

उन्होंने कहा कि संजय साहू और उनके परिवार ने लंबे अरसे से गरीब, शोषित और वंचितों के बीच में रहकर कार्य किया है, जिस कारण क्षेत्र की जनता उन्हें भारी मतों से विजय बनाएगी. बताते चलें कि सपा-बसपा गठबंधन प्रत्याशी दिलीप कुमार सिंह के प्रत्याशी घोषित होने से पूर्व संजय साहू हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के लोकसभा प्रभारी बनाए गए थे, जिसके बाद से यह कयास लगने लगे थे कि संजय साहू ही बसपा प्रत्याशी होंगे लेकिन ऐन वक्त पर बसपा द्वारा दिलीप सिंह का नाम घोषित कर दिया गया. इसके बाद संजय साहू ने बगावती तेवर अपना लिए.

हमीरपुर : टिकट कटने से नाराज हमीरपुर-महोबा-तिंदवारी संसदीय सीट के पूर्व लोकसभा प्रभारी संजय साहू ने बगावत करते हुए निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ताल ठोक दी है. नामांकन प्रक्रिया के आखिरी दिन संजय साहू नामांकन करने पहुंचे. इसके बाद उन्होंने जिला मुख्यालय में जनसभा भी की.

संजय साहू निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरे.

बगावत की बात नकारते हुए उन्होंने चुनाव लड़ने को अपना संवैधानिक अधिकार बताया. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में प्रत्येक नागरिक को यह अधिकार है कि वह जनता के विकास के लिए चुनाव मैदान में उतर सकता है.

वहीं दूसरी ओर जनसभा को संबोधित करते हुए संजय साहू के भाई एवं सपा सरकार में राज्यमंत्री रहे सिद्ध गोपाल साहू ने बिना किसी दल का नाम लिए हुए निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरने के कारण गिनाए. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों द्वारा पहले प्रत्याशी घोषित किया जाता है. फिर उसके बाद महीनों प्रचार-प्रसार कराया जाता है और चुनाव नजदीक आने के बाद दबाव में आकर यह कह दिया जाता है कि आप कमजोर हैं. आप चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में प्रत्याशी की ताकत जनतंत्र होता है. जनतंत्र ही है तय करता है कि संसद में उसका प्रतिनिधित्व कौन सा प्रत्याशी करेगा?

उन्होंने कहा कि संजय साहू और उनके परिवार ने लंबे अरसे से गरीब, शोषित और वंचितों के बीच में रहकर कार्य किया है, जिस कारण क्षेत्र की जनता उन्हें भारी मतों से विजय बनाएगी. बताते चलें कि सपा-बसपा गठबंधन प्रत्याशी दिलीप कुमार सिंह के प्रत्याशी घोषित होने से पूर्व संजय साहू हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के लोकसभा प्रभारी बनाए गए थे, जिसके बाद से यह कयास लगने लगे थे कि संजय साहू ही बसपा प्रत्याशी होंगे लेकिन ऐन वक्त पर बसपा द्वारा दिलीप सिंह का नाम घोषित कर दिया गया. इसके बाद संजय साहू ने बगावती तेवर अपना लिए.

Intro:संजय साहू ने बसपा से की बगावत, निर्दलीय मैदान में उतरे

हमीरपुर। टिकट कटने से नाराज हमीरपुर-महोबा-तिंदवारी संसदीय सीट के पूर्व लोकसभा प्रभारी संजय साहू ने बगावत करते हुए निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ताल ठोक दी है। नामांकन प्रक्रिया के आखिरी दिन संजय साहू नामांकन दाखिल करने पहुंचे और इसके उपरांत उन्होंने जिला मुख्यालय में जनसभा भी की। बगावत की बात नकारते हुए उन्होंने चुनाव लड़ने को अपना संवैधानिक अधिकार बताया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में प्रत्येक नागरिक को यह अधिकार है कि वह जनता के विकास के लिए चुनाव मैदान में उतर सकता है।


Body:वहीं दूसरी और जनसभा को संबोधित करते हुए संजय साहू के भाई एवं सपा सरकार में राज्यमंत्री रहे सिद्ध गोपाल साहू ने बिना किसी दल का नाम लिए हुए निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरने के करण गिनाए। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों द्वारा पहले प्रत्याशी घोषित किया जाता है फिर उसके बाद महीनों प्रचार-प्रसार कराया जाता है और चुनाव नजदीक आने के बाद धनु पशु के दबाव में आकर यह कह दिया जाता है कि आप कमजोर हैं आप चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में प्रत्याशी की ताकत जनतंत्र होता है। जनतंत्र ही है तय करता है कि संसद में उसका प्रतिनिधित्व कौन सा प्रत्याशी करेगा।


Conclusion:उन्होंने कहा कि संजय साहू व उनके परिवार ने लंबे अरसे से गरीब, शोषित व वंचितों के बीच में रहकर कार्य किया है, जिस कारण क्षेत्र की जनता उन्हें भारी मतों से विजय बनाएगी। बताते चलें कि सपा-बसपा गठबंधन प्रत्याशी दिलीप कुमार सिंह के प्रत्याशी घोषित होने से पूर्व संजय साहू हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के लोकसभा प्रभारी बनाए गए थे। जिसके बाद से यह कयास लगने लगे थे कि संजय साहू ही बसपा प्रत्याशी होंगे लेकिन ऐन वक्त पर बसपा द्वारा दिलीप सिंह का नाम घोषित कर दिया गया जिसके बाद संजय साहू ने बगावती तेवर अपना लिए।
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नोट : मंच से जनता को संबोधित कर रहे संजय साहू के भाई सिद्ध गोपाल साहू है व बाइट संजय साहू की है।
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