हमीरपुरः एक तरफ जहां जिले के लोग प्रकृति की मार झेल रहे है. वहीं बाढ़ पीड़ितों के साथ जिला प्रशासन ने राहत के नाम पर भद्दा मजाक किया है. विनाशकारी बाढ़ में अपना सब कुछ खो देने के बाद बाढ़ पीड़ितों को राहत शिविर में विस्थापित किया गया.
इन लोगों को राहत सामग्री के नाम पर सड़े आलू का थैला थमाया जा रहा है. चौतरफा मार झेल रहे ये बाढ़ विस्थापित अपने पेट की आग को बुझाने के लिए सड़े और बदबूदार आलू के बीच अच्छे आलू छांटकर खाने को मजबूर हैं. वहीं जब यह मामला जिलाधिकारी के सामने उठाया गया. तो जिला प्रशासन की लापरवाही पर पर्दा डालते हुए साक्ष्य की मांग करने लगे.
जब तस्वीरें बोलती हैं तो शब्द खामोश हो जाते हैं
फिलहाल तस्वीरों को देखकर इस बात का साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि बाढ़ पीड़ितों की परेशानी को लेकर हमीरपुर जिला प्रशासन कितना संजीदा है. कुछेछा निवासी बाढ़ पीड़िता रामकली बताती हैं कि बेतवा के पानी में उनका कच्चा घर डूब गया. वे अपने परिवार के साथ पहले रोड के किनारे डेरा जमाए थीं, लेकिन बाद में जिला प्रशासन उन्हें राहत शिविर ले आया.
बाढ़ पीड़ितों का दर्द उन्हीं की जबानी
बाढ़ पीड़िता रामकली का कहना है कि उन्हें राहत सामग्री के नाम पर जिला प्रशासन की तरफ से जो आलू बांटे गए हैं. उनमें ज्यादातर आलू सड़े और गले हुए हैं. वे कहती हैं ऐसे में वे अपने परिवार का पेट कैसे भर पाएंगी. कुछ ऐसा ही कहना संकरी पीपल निवासी शंकर का भी है. शंकर कहते हैं कि राहत सामग्री के नाम पर मिला आलू सड़ा हुआ है और राहत शिविर में उनका परिवार खुले में गुजर-बसर करने को मजबूर है.
बाढ़ राहत में दो प्रकार की सामग्री दी जाती हैं इसको अभी चल कर आप लोग देख लीजिएगा और किसी भी चीज को बताने से पहले आपके पास साक्ष्य भी होना चाहिए.
-अभिषेक प्रकाश, जिलाधिकारी