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हमीरपुर: सुविधाओं से वंचित हैं एक जनपद एक उत्पाद के चयनित लाभार्थी

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Published : Jul 18, 2019, 4:55 PM IST

योगी सरकार ने एक जनपद एक उत्पाद कार्यक्रम के तहत चयनित लाभार्थियों को पक्की दुकानें, आधुनिक टूल किट और ट्रेनिंग देने का वादा किया था. प्रशासनिक उदासीनता के चलते ये सारे वादे कागजों तक ही सीमित रह गए.

खुद को ठगा महसूस कर रहे ओडीओपी के लाभार्थी.

हमीरपुर: योगी सरकार ने दम तोड़ रहे जिला स्तर पर विख्यात उद्योगों के लिए एक जनपद एक उत्पाद (ओडीओपी) कार्यक्रम की शुरुआत की थी. ओडीओपी के तहत जिले के सुमेरपुर कस्बे में बनने वाली प्रसिद्ध नागरा जूती उद्योग का भी चयन किया गया था. इससे उद्योग से जुड़े कारीगरों में खुशी की लहर दौड़ गई थी, लेकिन कारीगरों की खुशी उदासी में बदलने में ज्यादा समय नहीं लगा. सरकार के किए ज्यादातर वादे हवा-हवाई ही साबित हुए हैं, जिस कारण जूती उद्योग से जुड़े कारीगर अब खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.

खुद को ठगा महसूस कर रहे ओडीओपी के लाभार्थी.

ईटीवी भारत ने जूती उद्योग से जुड़े कारीगर संतोष से की बातचीत

  • सरकार ने जब ओडीओपी की शुरुआत की थी, तब उम्मीद थी कि अच्छे दिन आएंगे.
  • सरकार के किए गए ज्यादातर वादे कागजी शोभा बढ़ाने तक ही सीमित रह गए.
  • ओडीओपी कार्यक्रम के तहत 19 लाभार्थियों का चयन जिला स्तरीय चयन समिति द्वारा किया गया था.
  • जिला स्तरीय चयन समिति ने 19 कारीगरों का पांच-पांच लाख का लोन भी स्वीकृत किया.
  • बैंकों ने महज सात लोगों को मात्र एक से दो लाख तक लोन दिया.
  • चयनित लाभार्थियों को पक्की दुकानें, आधुनिक टूल किट और ट्रेनिंग देने का वादा भी सरकार ने किया था.

संतोष ने बताया कि तमाम कारीगर लखनऊ में आयोजित होने वाली प्रदर्शनियों में हिस्सा लेने के लिए जाते रहे, लेकिन अब सभी कारीगर हताश और निराश हैं. वहीं प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना पर जब जिले के जिम्मेदार अधिकारियों से सवाल किया गया तो उन्होंने कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.

हमीरपुर: योगी सरकार ने दम तोड़ रहे जिला स्तर पर विख्यात उद्योगों के लिए एक जनपद एक उत्पाद (ओडीओपी) कार्यक्रम की शुरुआत की थी. ओडीओपी के तहत जिले के सुमेरपुर कस्बे में बनने वाली प्रसिद्ध नागरा जूती उद्योग का भी चयन किया गया था. इससे उद्योग से जुड़े कारीगरों में खुशी की लहर दौड़ गई थी, लेकिन कारीगरों की खुशी उदासी में बदलने में ज्यादा समय नहीं लगा. सरकार के किए ज्यादातर वादे हवा-हवाई ही साबित हुए हैं, जिस कारण जूती उद्योग से जुड़े कारीगर अब खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.

खुद को ठगा महसूस कर रहे ओडीओपी के लाभार्थी.

ईटीवी भारत ने जूती उद्योग से जुड़े कारीगर संतोष से की बातचीत

  • सरकार ने जब ओडीओपी की शुरुआत की थी, तब उम्मीद थी कि अच्छे दिन आएंगे.
  • सरकार के किए गए ज्यादातर वादे कागजी शोभा बढ़ाने तक ही सीमित रह गए.
  • ओडीओपी कार्यक्रम के तहत 19 लाभार्थियों का चयन जिला स्तरीय चयन समिति द्वारा किया गया था.
  • जिला स्तरीय चयन समिति ने 19 कारीगरों का पांच-पांच लाख का लोन भी स्वीकृत किया.
  • बैंकों ने महज सात लोगों को मात्र एक से दो लाख तक लोन दिया.
  • चयनित लाभार्थियों को पक्की दुकानें, आधुनिक टूल किट और ट्रेनिंग देने का वादा भी सरकार ने किया था.

संतोष ने बताया कि तमाम कारीगर लखनऊ में आयोजित होने वाली प्रदर्शनियों में हिस्सा लेने के लिए जाते रहे, लेकिन अब सभी कारीगर हताश और निराश हैं. वहीं प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना पर जब जिले के जिम्मेदार अधिकारियों से सवाल किया गया तो उन्होंने कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.

Intro:खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे ओडीओपी के चयनित लाभार्थी

हमीरपुर। प्रदेश की योगी सरकार ने दम तोड़ रहे जिला स्तर पर विख्यात उद्योगों में जान फूंकने के लिए एक जनपद एक उत्पाद (ओडीओपी) कार्यक्रम की शुरुआत की थी। ओडीओपी के तहत जब जिले के सुमेरपुर कस्बे में बनने वाली प्रसिद्ध नागरा जूती उद्योग का चयन किया गया तो इस उद्योग से जुड़े कारीगरों में खुशी की लहर दौड़ गई थी लेकिन कारीगरों की एक खुशी काफूर होने में ज्यादा समय नहीं लगा। सरकार द्वारा किए गए ज्यादातर वादे हवा हवाई ही साबित हुए हैं जिस कारण जूती उद्योग से जुड़े कारीगर अब खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।


Body:जूती उद्योग से जुड़े कारीगर संतोष कहते हैं कि सरकार द्वारा जब ओडीओपी कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी तब इस उद्योग से जुड़े कारीगरों में उम्मीद जगी थी कि उनके अच्छे दिन आएंगे लेकिन सरकार द्वारा किए गए ज्यादातर वादे कागजी शोभा बढ़ाने तक ही सीमित रह गए। संतोष बताते हैं कि ओडीओपी कार्यक्रम के तहत 19 लाभार्थियों का चयन जिला स्तरीय चयन समिति द्वारा किया गया था। उन्होंने बताया कि जिला स्तरीय चयन समिति ने सभी 19 कारीगरों का पांच-पांच लाख का लोन भी स्वीकृत किया लेकिन बैंकों ने महज सात लोगों को मात्र एक से दो लाख तक लोन दिया और बाकी के चयनित लाभार्थियों से किनारा कर लिया। संतोष बताते हैं कि ओडीओपी के तहत चयनित लाभार्थियों को पक्की दुकानें, आधुनिक टूल किट, व ट्रेनिंग देने का वादा भी सरकार ने किया था लेकिन जिला प्रशासन की उदासीनता के चलते यह सारे वादे हवा-हवाई साबित हुए।


Conclusion:संतोष बताते हैं कि जूती उद्योग से जुड़े हैं तमाम कारीगर लखनऊ में आयोजित होने वाली प्रदर्शनियों में हिस्सा लेने के लिए जाते रहे लेकिन अब सभी कारीगर हताश एवं निराश है। वहीं प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना की दुर्दशा पर जब जिले के जिम्मेदार अधिकारियों से सवाल किया गया तो उन्होंने कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया। बताते चलें कि संकट का सामना कर रहे जूती उद्योग में जान फूंकने के लिए इससे जुड़े कारीगरों को पक्की दुकानें उपलब्ध कराने का वादा जिला प्रशासन द्वारा किया गया था। लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के चलते इन कारीगरों की दुकानों के लिए भूमि चिन्हित करने का कार्य सरकारी कागजों में उलझ कर रह गया है।
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