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हमीरपुर में अब तक नहीं खुल सका है 'वन स्टॉप सेंटर'

केंद्र सरकार एक तरफ जहां हर जिले में 'वन स्टॉप सेंटर' के खुल जाने के दावे कर रही है तो वहीं उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में 'वन स्टॉप सेंटर' खुलना सपना हो चला है. अधिकारियों की उदासीनता का शिकार हो रहे इस जिले में 'वन स्टॉप सेंटर' के लिए जमीन तक का चिन्हीकरण नहीं हो सका है.

one stop center
वन स्टॉप सेंटर
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Published : Mar 16, 2020, 12:54 PM IST

Updated : Mar 16, 2020, 1:07 PM IST

हमीरपुर: केंद्र सरकार की ओर से प्रत्येक जिले में 'वन स्टॉप सेंटर' को बनाए जाने का ऐलान कई साल पहले ही हो गया था, लेकिन जिले में सेंटर का संचालन का सपना दूर की कौड़ी साबित हो रहा है. हाल ऐसा है कि अधिकारियों की उदासीनता के चलते 'वन स्टॉप सेंटर' की पत्रावलियों पर धूल की मोटी परत जम चुकी है.

जानकारी देते जिला प्रोबेशन अधिकारी.

'वन स्टॉप सेंटर' के तहत सरकार की मंशा थी कि वह किसी भी प्रकार की हिंसा से पीड़ित महिलाओं और बच्चियों को चिकित्सीय सहायता, पुलिस की मदद, कानूनी सहायता और आश्रय जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराएगी. वहीं अगर जिले के हालात को देखते हुए बात की जाए तो 'वन स्टॉप सेंटर' को लेकर अधिकारी कितने गंभीर हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जिले में अभी तक सेंटर नहीं खुल सका है.

अधिकारियों का हाल ऐसा है कि सरकारी आदेश उन्हें लगभग दो वर्ष से अधिक समय पहले प्राप्त हो गए थे, बावजूद इसके जिले में सेंटर के लिए जमीन का चिन्हाकन तक नहीं हो सका है. दूसरी ओर सच्चाई पर पर्दा डालते हुए जिला प्रोबेशन अधिकारी बताते हैं कि 'वन स्टॉप सेंटर' के लिए जमीन जेल तालाब के पास चिन्हित कर ली गई है और कर्मचारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया भी चल रही है, लेकिन हकीकत में ऐसा कुछ भी नहीं है.

बताते चलें कि 'वन स्टॉप सेंटर' में हिंसा पीड़ित महिलाओं और बच्चियों की देखभाल के लिए 11 कर्मचारियों की नियुक्ति की जानी है, जिसमें एक सेंटर मैनेजर, एक परामर्शदाता, तीन नर्स, एक कंप्यूटर ऑपरेटर, तीन चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी और दो काउंसलर भर्ती किए जाने हैं. हालांकि जहां पर 'वन स्टॉप सेंटर' के निर्माण को लेकर ही अनिश्चितता के बादल छाए हों, वहां पर कर्मचारियों की नियुक्तियों की बात करना बेमानी ही साबित होगा.

इसे भी पढ़ें- यूपी में केंद्र की योजना फेल, सिर्फ कागजों में चल रहे वन स्टॉप सेंटर

हमीरपुर: केंद्र सरकार की ओर से प्रत्येक जिले में 'वन स्टॉप सेंटर' को बनाए जाने का ऐलान कई साल पहले ही हो गया था, लेकिन जिले में सेंटर का संचालन का सपना दूर की कौड़ी साबित हो रहा है. हाल ऐसा है कि अधिकारियों की उदासीनता के चलते 'वन स्टॉप सेंटर' की पत्रावलियों पर धूल की मोटी परत जम चुकी है.

जानकारी देते जिला प्रोबेशन अधिकारी.

'वन स्टॉप सेंटर' के तहत सरकार की मंशा थी कि वह किसी भी प्रकार की हिंसा से पीड़ित महिलाओं और बच्चियों को चिकित्सीय सहायता, पुलिस की मदद, कानूनी सहायता और आश्रय जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराएगी. वहीं अगर जिले के हालात को देखते हुए बात की जाए तो 'वन स्टॉप सेंटर' को लेकर अधिकारी कितने गंभीर हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जिले में अभी तक सेंटर नहीं खुल सका है.

अधिकारियों का हाल ऐसा है कि सरकारी आदेश उन्हें लगभग दो वर्ष से अधिक समय पहले प्राप्त हो गए थे, बावजूद इसके जिले में सेंटर के लिए जमीन का चिन्हाकन तक नहीं हो सका है. दूसरी ओर सच्चाई पर पर्दा डालते हुए जिला प्रोबेशन अधिकारी बताते हैं कि 'वन स्टॉप सेंटर' के लिए जमीन जेल तालाब के पास चिन्हित कर ली गई है और कर्मचारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया भी चल रही है, लेकिन हकीकत में ऐसा कुछ भी नहीं है.

बताते चलें कि 'वन स्टॉप सेंटर' में हिंसा पीड़ित महिलाओं और बच्चियों की देखभाल के लिए 11 कर्मचारियों की नियुक्ति की जानी है, जिसमें एक सेंटर मैनेजर, एक परामर्शदाता, तीन नर्स, एक कंप्यूटर ऑपरेटर, तीन चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी और दो काउंसलर भर्ती किए जाने हैं. हालांकि जहां पर 'वन स्टॉप सेंटर' के निर्माण को लेकर ही अनिश्चितता के बादल छाए हों, वहां पर कर्मचारियों की नियुक्तियों की बात करना बेमानी ही साबित होगा.

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Last Updated : Mar 16, 2020, 1:07 PM IST
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