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हमीरपुर: नागरा जूती कारोबारियों के लिए संकट बना कोरोना, सरकार से मदद की आस - nagra juti industry

यूपी का हमीरपुर जिला प्रसिद्ध नागरा जूती उद्योग को लेकर ओडीओपी के तौर पर चुना गया है. वहीं अब कोरोना संकट में नागरा जूती की ब्रिक्री ना होने से कारोबारी बेहद हताश हैं. नागरा के उद्योग से जुड़े कारीगरों की हालत दिन पर दिन बदतर होती चली जा रही है.

नागरा जूती के कारोबारी परेशान
नागरा जूती के कारोबारी परेशान
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Published : Jun 13, 2020, 12:42 PM IST

हमीरपुर: देशभर में लॉकडाउन हटाए जाने के बाद व्यवसायिक गतिविधियां अब धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही हैं. क्योंकि अनलॉक में काफी हद तक कमर्शियल सेक्टर में ढील दी गई हैं. लेकिन जनपद हमीरपुर स्थित सुमेरपुर के बुंदेलखंड क्षेत्र में प्रसिद्ध नागरा जूती बनाने वाले कारीगरों को अभी भी बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है.

अनलॉक में बाजार तो खुल गए हैं, लेकिन नागरा जूती की डिमांड ना होने के चलते इस उद्योग से जुड़े कारीगरों के सामने रोजी-रोटी का संकट बरकरार है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट "एक जनपद, एक उत्पाद" (ओडीओपी) के लिए चयनित है. जहां नागरा जूती उद्योग से जुड़े कारीगर खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. कारीगर संकट के इस घड़ी में अब सरकार से राहत की आस लगाए बैठे हैं. आइए जानते है क्या कहना है इन कारोबारियों का-

लॉकडाउन के चलते नागरा जूती के कारोबारी परेशान

अब बाजारों में नागरा जूतियों की मांग नहीं रह गई
नागरा जूती बनाने वाले कारीगर वंश गोपाल बताते हैं कि मार्च से जून के बीच में नागरा जूतियों की खासा मांग रहती है. लेकिन लॉकडाउन के चलते इन दिनों कारोबार एकदम ठप है. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद अब बाजार जरूर खुल गया है, लेकिन व्यापारी नहीं आ रहे हैं. इसके चलते बाजार में इन प्रसिद्ध जूतियों की मांग नहीं रह गई है. ऐसे में हमारे सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

डिमांड ना होने से दुकान नागरा जूतियों से पटा

एक और कारीगर संतोष कुमार बताते हैं कि बाजार में मांग ना होने के कारण दुकान नागरा जूतियों से भर गया है. जूती बेचने के सीजन लॉकडाउन के भेंट चढ़ गए. अब बरसात का मौसम शुरू हो चुका है. बरसात में वैसे भी नागरा जूतियों की मांग ना के बराबर रहती है. अब दुकानों का किराया देना भी मुश्किल हो गया है. जबकि मालिक किराया देने का दबाव बना रहे हैं.

कारीगर संतोष ने बताया कि पिछले 3 सालों से उद्योग विभाग के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन ओडीओपी में चयनित होने के बावजूद जूती उद्योग के कारीगरों को ना के बराबर सहूलियत मिली हैं. अगर सरकार की तरफ से जल्द कोई राहत कदम नहीं उठाए गए, तो बुंदेलखंड क्षेत्र की प्रसिद्ध नागरा जूतियों का यह उद्योग बंद हो जाएगा.

लॉकडाउन से कारीगरों पर कहर

कुछ ऐसा ही कहना है जूती उद्योग से जुड़े कारीगर सरवन कुमार का. सरवन बताते हैं कि लॉकडाउन जूती उद्योग के कारीगरों पर किसी कहर से कम नहीं है. बाजार में नागरा जूतियों की मांग नहीं रह गई है. ऐसे में घर चलाना मुश्किल हो रहा है.

हमीरपुर: देशभर में लॉकडाउन हटाए जाने के बाद व्यवसायिक गतिविधियां अब धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही हैं. क्योंकि अनलॉक में काफी हद तक कमर्शियल सेक्टर में ढील दी गई हैं. लेकिन जनपद हमीरपुर स्थित सुमेरपुर के बुंदेलखंड क्षेत्र में प्रसिद्ध नागरा जूती बनाने वाले कारीगरों को अभी भी बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है.

अनलॉक में बाजार तो खुल गए हैं, लेकिन नागरा जूती की डिमांड ना होने के चलते इस उद्योग से जुड़े कारीगरों के सामने रोजी-रोटी का संकट बरकरार है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट "एक जनपद, एक उत्पाद" (ओडीओपी) के लिए चयनित है. जहां नागरा जूती उद्योग से जुड़े कारीगर खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. कारीगर संकट के इस घड़ी में अब सरकार से राहत की आस लगाए बैठे हैं. आइए जानते है क्या कहना है इन कारोबारियों का-

लॉकडाउन के चलते नागरा जूती के कारोबारी परेशान

अब बाजारों में नागरा जूतियों की मांग नहीं रह गई
नागरा जूती बनाने वाले कारीगर वंश गोपाल बताते हैं कि मार्च से जून के बीच में नागरा जूतियों की खासा मांग रहती है. लेकिन लॉकडाउन के चलते इन दिनों कारोबार एकदम ठप है. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद अब बाजार जरूर खुल गया है, लेकिन व्यापारी नहीं आ रहे हैं. इसके चलते बाजार में इन प्रसिद्ध जूतियों की मांग नहीं रह गई है. ऐसे में हमारे सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

डिमांड ना होने से दुकान नागरा जूतियों से पटा

एक और कारीगर संतोष कुमार बताते हैं कि बाजार में मांग ना होने के कारण दुकान नागरा जूतियों से भर गया है. जूती बेचने के सीजन लॉकडाउन के भेंट चढ़ गए. अब बरसात का मौसम शुरू हो चुका है. बरसात में वैसे भी नागरा जूतियों की मांग ना के बराबर रहती है. अब दुकानों का किराया देना भी मुश्किल हो गया है. जबकि मालिक किराया देने का दबाव बना रहे हैं.

कारीगर संतोष ने बताया कि पिछले 3 सालों से उद्योग विभाग के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन ओडीओपी में चयनित होने के बावजूद जूती उद्योग के कारीगरों को ना के बराबर सहूलियत मिली हैं. अगर सरकार की तरफ से जल्द कोई राहत कदम नहीं उठाए गए, तो बुंदेलखंड क्षेत्र की प्रसिद्ध नागरा जूतियों का यह उद्योग बंद हो जाएगा.

लॉकडाउन से कारीगरों पर कहर

कुछ ऐसा ही कहना है जूती उद्योग से जुड़े कारीगर सरवन कुमार का. सरवन बताते हैं कि लॉकडाउन जूती उद्योग के कारीगरों पर किसी कहर से कम नहीं है. बाजार में नागरा जूतियों की मांग नहीं रह गई है. ऐसे में घर चलाना मुश्किल हो रहा है.

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