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Lockdown Effect: हमीरपुर में औने-पौने दाम पर सब्जी बेचने को मजबूर हैं किसान - औने-पौने दाम पर सब्जियों की बिक्री

उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में नदी के किनारे सब्जियां उगाने वाले किसानों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. लॉकडाउन के कारण किसान एक जिले से दूसरे जिले में जाकर भारी मात्रा में सब्जियों को औने-पौने दामों पर बेचने के लिए मजबूर हैं.

किसान सस्ते दामों पर बेच रहे सब्जियां.
किसान सस्ते दामों पर बेच रहे सब्जियां.
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Published : May 8, 2020, 7:58 PM IST

हमीरपुर: जिले से गुजरने वाली यमुना और बेतवा के किनारे सब्जियां उगाकर अपने परिवार का पेट पालने वालों पर लॉकडाउन बहुत भारी पड़ रहा है. एक तरफ जहां तापमान बढ़ने के साथ ही सब्जियों के सड़ने का सिलसिला शुरू हो चुका है तो वहीं दूसरी तरफ लॉकडाउन के कारण किसानों को भारी मशक्कत के बाद सब्जियां दूसरे जिले में ले जाने के बाद भी औने-पौने दामों पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.

किसान सस्ते दामों पर बेच रहे सब्जियां.

ऐसा ही कुछ हाल स्थानीय बाजारों का भी है. यहां के हालात इतने बदतर हो चले हैं कि अब किसानों को अपनी लागत निकालने के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ रही है. ऐसे में इनके परिवार के सामने एक और नया संकट खड़ा हो रहा है.

औने-पौने दामों में बेचनी पड़ रही सब्जियां
बेतवा नदी के किनारे सब्जी उगाकर अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले किसान रमन दोहरे बताते हैं कि लॉकडाउन के कारण उनके परिवार के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. भारी मशक्कत के बाद वह हरी सब्जियां बेचने के लिए लखनऊ और कानपुर ले जाते हैं, लेकिन वहां भी उनको इन सब्जियों को औने-पौने दामों में बेचना पड़ता है.

रमन दोहरे बताते हैं कि दिन रात मेहनत करने के बाद फसल की लागत तो दूर उन्हें वाहन का किराया भी घर से देना पड़ रहा है. वह बताते हैं कि गर्मी बढ़ने के साथ ही अब सब्जियों के सड़ने का सिलसिला भी शुरू हो चुका है. लौकी, कद्दू, करेला और टमाटर भारी मात्रा में सड़ने लगे हैं. जिस सब्जी के सहारे वे अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे, उसके बर्बाद होने से उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

रोजी-रोटी का है संकट
वहीं किसान आशीष बताते हैं कि लॉकडाउन की वजह से नदी किनारे सब्जी उगाने वालों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. स्थानीय बाजारों में सब्जी की बहुतायत होने के कारण उसे बेहद सस्ते दामों में बेचना पड़ता है. वहीं लॉकडाउन की बंदिशों के चलते दूसरे जिलों में बड़ी मुश्किल से सब्जी पहुंचाने के बाद हालात वहां भी ऐसे ही देखने को मिलते हैं. बढ़ते तापमान की वजह से भारी मात्रा में कद्दू सड़ने लगा है, जिससे उनके सामने रोजी-रोटी का एक नया संकट खड़ा हो गया है.

हमीरपुर: जिले से गुजरने वाली यमुना और बेतवा के किनारे सब्जियां उगाकर अपने परिवार का पेट पालने वालों पर लॉकडाउन बहुत भारी पड़ रहा है. एक तरफ जहां तापमान बढ़ने के साथ ही सब्जियों के सड़ने का सिलसिला शुरू हो चुका है तो वहीं दूसरी तरफ लॉकडाउन के कारण किसानों को भारी मशक्कत के बाद सब्जियां दूसरे जिले में ले जाने के बाद भी औने-पौने दामों पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.

किसान सस्ते दामों पर बेच रहे सब्जियां.

ऐसा ही कुछ हाल स्थानीय बाजारों का भी है. यहां के हालात इतने बदतर हो चले हैं कि अब किसानों को अपनी लागत निकालने के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ रही है. ऐसे में इनके परिवार के सामने एक और नया संकट खड़ा हो रहा है.

औने-पौने दामों में बेचनी पड़ रही सब्जियां
बेतवा नदी के किनारे सब्जी उगाकर अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले किसान रमन दोहरे बताते हैं कि लॉकडाउन के कारण उनके परिवार के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. भारी मशक्कत के बाद वह हरी सब्जियां बेचने के लिए लखनऊ और कानपुर ले जाते हैं, लेकिन वहां भी उनको इन सब्जियों को औने-पौने दामों में बेचना पड़ता है.

रमन दोहरे बताते हैं कि दिन रात मेहनत करने के बाद फसल की लागत तो दूर उन्हें वाहन का किराया भी घर से देना पड़ रहा है. वह बताते हैं कि गर्मी बढ़ने के साथ ही अब सब्जियों के सड़ने का सिलसिला भी शुरू हो चुका है. लौकी, कद्दू, करेला और टमाटर भारी मात्रा में सड़ने लगे हैं. जिस सब्जी के सहारे वे अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे, उसके बर्बाद होने से उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

रोजी-रोटी का है संकट
वहीं किसान आशीष बताते हैं कि लॉकडाउन की वजह से नदी किनारे सब्जी उगाने वालों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. स्थानीय बाजारों में सब्जी की बहुतायत होने के कारण उसे बेहद सस्ते दामों में बेचना पड़ता है. वहीं लॉकडाउन की बंदिशों के चलते दूसरे जिलों में बड़ी मुश्किल से सब्जी पहुंचाने के बाद हालात वहां भी ऐसे ही देखने को मिलते हैं. बढ़ते तापमान की वजह से भारी मात्रा में कद्दू सड़ने लगा है, जिससे उनके सामने रोजी-रोटी का एक नया संकट खड़ा हो गया है.

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