हमीरपुर: जनपद में बेतवा नदी इन दिनों उफान पर है और खतरे के निशान को पार कर गई हैं. बाढ़ की चपेट में आकर सैकड़ों की संख्या में घर तबाह हो गए हैं, वहीं हजारों बीघा फसल भी जलमग्न हो गई है. लोगों में दहशत है, लेकिन ऐसे में पुराना बेतवा घाट के पास एक टापू पर बने मैकेश्वर बाबा मंदिर में कुछ अजब गजब नजारा देखने को मिला. यहां पर लोग बुंदेली वीरगाथा 'आल्हा' की मस्ती में डूबे हैं और भगवान से नदी का पानी कम होने की प्रार्थना कर रहे हैं. यह टापू बेतवा के पानी से चारों तरफ से घिरा हुआ है.
हमीरपुर: बेतवा खतरे के मुहाने, बज रहे वीर रस के तराने
यूपी के हमीरपुर में बेतवा नदी इन दिनों उफान पर है. बाढ़ की चपेट में आकर सैकड़ों की संख्या में घर तबाह हो गए हैं. पुराना बेतवा घाट के पास एक टापू पर बने मैकेश्वर बाबा मंदिर में लोग बुंदेली वीरगाथा 'आल्हा' की मस्ती में डूबे हैं और भगवान से नदी का पानी कम होने की प्रार्थना कर रहे हैं.
हमीरपुर: जनपद में बेतवा नदी इन दिनों उफान पर है और खतरे के निशान को पार कर गई हैं. बाढ़ की चपेट में आकर सैकड़ों की संख्या में घर तबाह हो गए हैं, वहीं हजारों बीघा फसल भी जलमग्न हो गई है. लोगों में दहशत है, लेकिन ऐसे में पुराना बेतवा घाट के पास एक टापू पर बने मैकेश्वर बाबा मंदिर में कुछ अजब गजब नजारा देखने को मिला. यहां पर लोग बुंदेली वीरगाथा 'आल्हा' की मस्ती में डूबे हैं और भगवान से नदी का पानी कम होने की प्रार्थना कर रहे हैं. यह टापू बेतवा के पानी से चारों तरफ से घिरा हुआ है.
खतरे के मुहाने, बज रहे वीर रस के तराने
हमीरपुर। हमीरपुर में बेतवा नदी इन दिनों उफान पर है और खतरे के निशान को पार कर गई हैं। बाढ़ की चपेट में आकर सैकड़ों की संख्या में घर तबाह हो गए हैं वहीं हजारों बीघा फसल भी जलमग्न हो गई है और लोगों दहशत में हैं। लेकिन ऐसे में पुराना बेतवा घाट के पास एक टापू पर बने मैकेश्वर बाबा मंदिर में कुछ अजब गजब नजारा देखने को मिला। यहां पर लोग बुंदेली वीरगाथा "आल्हा" की मस्ती में डूबे हैं और भगवान से नदी का पानी कम होने की प्रार्थना कर रहे हैं। यह टापू बेतवा के पानी से चारों तरफ से घिरा हुआ है।
Body:मैकेश्वर मंदिर के पुजारी सियाराम बताते हैं कि बेतवा नदी का जलस्तर बढ़ने से टापू पूरी तरह से पानी से घिर गया है। ऐसे में सभी भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं कि नदी का जलस्तर जल्द से जल्द कम हो। मछली का शिकार कर अपने परिवार का पालन करने वाले राकेश बताते हैं कि इस वर्ष नदी में काफी बाढ़ आ गई है जिस कारण वह शिकार करने नदी में नहीं जा सकते। ऐसे में वह टापू पर आल्हा सुनकर मनोरंजन कर रहे हैं और भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं कि नदी का पानी जल्द से जल्द कम हो ताकि वह अपनी रोजी रोटी के लिए फिर से नदी से मछली निकाल सकें। कुछ ऐसा ही कहना सेवक नारायण का भी है।
Conclusion:बताते चलें कि बेतवा नदी में माताटीला बांध से चार लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है जबकि यमुना नदी में कोटा बैराज बांध से तीन लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। जिसके चलते दोनों नदियां उफान पर हैं और जिले में भारी तबाही मचा रही हैं।
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नोट : पहली बाइट पुजारी सियाराम की है। दूसरी बाइट स्थानीय निवासी राकेश की एवं तीसरी बाइट सेवक नारायण की है।