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बीएचयू इंटरनेशनल सम्मेलन; प्रोफेसर कार्तिक बोले- यूपी व बिहार में सबसे अधिक जहरीले सांप

प्रोफेसर कार्तिक ने कहा-आंकड़े बताते हैं दुनिया में प्रतिदिन 6 लोग सांप काटने से मर रहे हैं. भारत स्नैक बाइट का कैपिटल है.

फॉरेंसिक साइंस का इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस एडनेट
फॉरेंसिक साइंस का इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस एडनेट (Photo credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 2 hours ago

वाराणसी : काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में जेनेटिक और फॉरेंसिक साइंस का सबसे बड़ा इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस एडनेट चल रहा है. इस कॉन्फ्रेंस में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंगलुरु के प्रोफेसर कार्तिक ने अपना प्रजेंटेशन दिया. उन्होंने कहा कि भारत स्नैक बाइट का कैपिटल है. पूरे विश्व में आधे से अधिक मृत्यु यहीं पर होती है. 50 प्रतिशत लोग जो सांप काटने की वजह से मर रहे हैं, वह भी रिकॉर्ड भारत के ही पास है. यूपी, बिहार, छत्तीसगढ़ और झारखंड में सबसे ज्यादा जहरीले सांप पाए जाते हैं.

इस इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में 12 देशों के 300 से अधिक जीन वैज्ञानिक और डॉक्टर्स अपने-अपने देशों में प्रचलित तकनीक और रिसर्च साझा कर रहे हैं. यह कार्यक्रम BHU के विज्ञान संकाय स्थित सेमिनार कॉम्पलेक्स में चल रहा है. इसी दौरान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंगलुरु के प्रोफेसर कार्तिक ने अपना प्रजेंटेशन दिया. उन्होंने कहा कि हम लोगों ने रिसर्च के लिए सरकारों को प्रपोजल भेजे हैं, जिससे हम सभी प्रकार के सापों का एक एंटी-डोज बना सकें.

इन राज्यों में सबसे अधिक जहरीले सांप: इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंगलुरु प्रोफेसर कार्तिक ने बताया कि ईस्टर्न इंडिया उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ और झारखंड में सबसे ज्यादा जहरीले सांप पाए जाते हैं. इन पर कोई बड़ा शोध अभी तक नहीं हुआ है. हम लोगों ने इन सभी राज्यों में रिसर्च करने के लिए यहां की सरकारों को प्रपोजल भेजा है, जिससे हम सभी प्रकार के सापों का एक एंटी-डोज बना सकें. हमारे रिसर्च का एक उद्देश्य यह जानना है कि सांप का विष अलग-अलग जगहों पर किस तरह से होता है. अब तक हमने रिसर्च में पाया है कि एक राज्य से दूसरे राज्य में सांप के विष की प्रकृति बदल जाती है.

बदलता है रीजन-टू-रीजन सांप का विष : उन्होंने बताया कि रिसर्च के माध्यम से यह जानना चाहते हैं कि कैसे रीजन-टू-रीजन सांप का विष बदल जाता है. हम फिर एंटी-डोज तैयार करते हैं, जिससे जिस भी व्यक्ति को सांप ने काटा हो उसका इलाज किया जा सके. कई जगहों पर ऐसा भी पाया गया है कि एंटी-डोज ठीक तरीके से काम नहीं करता है. ऐसे में सांप के काटने से लोगों की मृत्यु भी हो जाती है. प्रोफेसर कार्तिक ने बताया कि रसल वाइपर के काटने से अधिकतर लोग मर रहे हैं.

भारत स्नैक बाइट का कैपिटल: प्रोफेसर कार्तिक ने बताया कि आंकड़े बताते हैं दुनिया में प्रतिदिन 6 लोग सांप काटने की वजह से मर रहे हैं. भारत स्नैक बाइट का कैपिटल है. पूरे विश्व में आधे से अधिक मृत्यु यहीं पर होती है. 50 प्रतिशत लोग जो सांप काटने की वजह से मर रहे हैं, वह भी रिकॉर्ड भारत के ही पास है. इसके बाद भी भारत में सांप से काटने पर मृत्यु दर कम करने के लिए बहुत अधिक शोध नहीं हुआ है. उन्होंने बताया कि हमने विभिन्न राज्यों में काम किया है, लेकिन अभी ईस्ट इंडिया में काम करना बाकी है.

नवजात रसेल वाइपर का जहर कहीं अधिक जहरीला: उन्होंने बताया कि जब कोई सांप का बच्चा पैदा होता है तो उसका विष उसकी मां से भी दोगुना जहरीला होता है. भारतीय विज्ञान संस्थान के नए शोध से पता चलता है कि रसेल वाइपर और चश्माधारी कोबरा में विष की शक्ति उनके जीवनकाल में भिन्न होती है. नवजात रसेल वाइपर का जहर कहीं अधिक जहरीला होता है. यह छिपकलियों जैसे छोटे सरीसृपों को निशाना बनाता है. जैसे-जैसे वे बूढ़े होते जाते हैं, उनका जहर स्तनधारियों के खिलाफ अधिक प्रभावी होता जाता है. शोधकर्ता नए एंटीवेनम समाधानों की खोज कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें: वाराणसी BHU एक सप्ताह में शुरू हो सकती है पीएचडी एडमिशन की प्रक्रिया, NTA भेजेगा डेटा

वाराणसी : काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में जेनेटिक और फॉरेंसिक साइंस का सबसे बड़ा इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस एडनेट चल रहा है. इस कॉन्फ्रेंस में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंगलुरु के प्रोफेसर कार्तिक ने अपना प्रजेंटेशन दिया. उन्होंने कहा कि भारत स्नैक बाइट का कैपिटल है. पूरे विश्व में आधे से अधिक मृत्यु यहीं पर होती है. 50 प्रतिशत लोग जो सांप काटने की वजह से मर रहे हैं, वह भी रिकॉर्ड भारत के ही पास है. यूपी, बिहार, छत्तीसगढ़ और झारखंड में सबसे ज्यादा जहरीले सांप पाए जाते हैं.

इस इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में 12 देशों के 300 से अधिक जीन वैज्ञानिक और डॉक्टर्स अपने-अपने देशों में प्रचलित तकनीक और रिसर्च साझा कर रहे हैं. यह कार्यक्रम BHU के विज्ञान संकाय स्थित सेमिनार कॉम्पलेक्स में चल रहा है. इसी दौरान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंगलुरु के प्रोफेसर कार्तिक ने अपना प्रजेंटेशन दिया. उन्होंने कहा कि हम लोगों ने रिसर्च के लिए सरकारों को प्रपोजल भेजे हैं, जिससे हम सभी प्रकार के सापों का एक एंटी-डोज बना सकें.

इन राज्यों में सबसे अधिक जहरीले सांप: इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंगलुरु प्रोफेसर कार्तिक ने बताया कि ईस्टर्न इंडिया उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ और झारखंड में सबसे ज्यादा जहरीले सांप पाए जाते हैं. इन पर कोई बड़ा शोध अभी तक नहीं हुआ है. हम लोगों ने इन सभी राज्यों में रिसर्च करने के लिए यहां की सरकारों को प्रपोजल भेजा है, जिससे हम सभी प्रकार के सापों का एक एंटी-डोज बना सकें. हमारे रिसर्च का एक उद्देश्य यह जानना है कि सांप का विष अलग-अलग जगहों पर किस तरह से होता है. अब तक हमने रिसर्च में पाया है कि एक राज्य से दूसरे राज्य में सांप के विष की प्रकृति बदल जाती है.

बदलता है रीजन-टू-रीजन सांप का विष : उन्होंने बताया कि रिसर्च के माध्यम से यह जानना चाहते हैं कि कैसे रीजन-टू-रीजन सांप का विष बदल जाता है. हम फिर एंटी-डोज तैयार करते हैं, जिससे जिस भी व्यक्ति को सांप ने काटा हो उसका इलाज किया जा सके. कई जगहों पर ऐसा भी पाया गया है कि एंटी-डोज ठीक तरीके से काम नहीं करता है. ऐसे में सांप के काटने से लोगों की मृत्यु भी हो जाती है. प्रोफेसर कार्तिक ने बताया कि रसल वाइपर के काटने से अधिकतर लोग मर रहे हैं.

भारत स्नैक बाइट का कैपिटल: प्रोफेसर कार्तिक ने बताया कि आंकड़े बताते हैं दुनिया में प्रतिदिन 6 लोग सांप काटने की वजह से मर रहे हैं. भारत स्नैक बाइट का कैपिटल है. पूरे विश्व में आधे से अधिक मृत्यु यहीं पर होती है. 50 प्रतिशत लोग जो सांप काटने की वजह से मर रहे हैं, वह भी रिकॉर्ड भारत के ही पास है. इसके बाद भी भारत में सांप से काटने पर मृत्यु दर कम करने के लिए बहुत अधिक शोध नहीं हुआ है. उन्होंने बताया कि हमने विभिन्न राज्यों में काम किया है, लेकिन अभी ईस्ट इंडिया में काम करना बाकी है.

नवजात रसेल वाइपर का जहर कहीं अधिक जहरीला: उन्होंने बताया कि जब कोई सांप का बच्चा पैदा होता है तो उसका विष उसकी मां से भी दोगुना जहरीला होता है. भारतीय विज्ञान संस्थान के नए शोध से पता चलता है कि रसेल वाइपर और चश्माधारी कोबरा में विष की शक्ति उनके जीवनकाल में भिन्न होती है. नवजात रसेल वाइपर का जहर कहीं अधिक जहरीला होता है. यह छिपकलियों जैसे छोटे सरीसृपों को निशाना बनाता है. जैसे-जैसे वे बूढ़े होते जाते हैं, उनका जहर स्तनधारियों के खिलाफ अधिक प्रभावी होता जाता है. शोधकर्ता नए एंटीवेनम समाधानों की खोज कर रहे हैं.

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