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लोकगीतों से आशा कार्यकर्ताओं का अनोखा प्रयास, देखिए वीडियो - वैक्सीनेशन को लेकर जागरूकता कार्यक्रम

ग्रामीण क्षेत्र में बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच टीकाकरण के प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है. हमीरपुर में आशा कार्यकर्ता लोकगीतों के जरिए ग्रामीणों को टीकाकरण के लिए प्रेरित कर रही हैं.

आशा कार्यकर्ता.
आशा कार्यकर्ता.
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Published : May 19, 2021, 6:04 AM IST

Updated : May 19, 2021, 6:45 AM IST

हमीरपुरः बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच ग्रामीण इलाकों में टीकाकरण के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से बुंदेलखंडी लोक विधाओं का सहारा लिया जा रहा है. सुप्रसिद्ध लोक कलाविद डॉ. रामभजन सिंह (बिवांर) के लिखित लोकगीतों के माध्यम से बांदा जनपद में इसकी शुरुआत हुई थी. चित्रकूट के समाजसेवी भी इन्हीं गीतों के जरिए अपने बीहड़ के इलाकों में लोगों को टीकाकरण के प्रति जागरूक कर रहे थे.

लोकगीत गाकर जागरूक करती आशा कार्यकर्ता.

टीकाकरण के प्रति जागरूकता फैलाने की अनोखी मुहिम

जिले के मटौंध पीएचसी के अंतर्गत आने वाले गांवों में इस वक्त आंगनबाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं की टोली ‘घर-घर बुलावे आंगनबाड़ी चला भैया कोरोना का टीका लगवावा’ जैसे गीतों को गाते हुए घूम रही हैं. इस गीत को जिले के बिवांर निवासी सुप्रसिद्ध बुंदेलखण्ड लोक कलाविद डॉ. रामभजन सिंह ने लिखा है. डॉ. सिंह ने बताया कि मटौंध पीएचसी के डॉ. देव सिंह के निवेदन पर उन्होंने इस गीत को लिखा. इस विधा के गीत बुंदेलखंड के ग्रामीण अंचलों में शादी-ब्याह के मौके पर गाए जाते हैं, जिन्हें लोक कला की भाषा में ‘गारी’ बोला जाता है. शुभ मौकों पर गाए जाने वाले इन्हीं गारी को उन्होंने आज मानवता को बचाने के लिए जारी मुहिम से जोड़ दिया है, ताकि लोग कोरोना टीकाकरण के प्रति जागरूक हों.

इसे भी पढ़ें- पत्नी ने पहले जुटाई RTI से जानकारी, फिर DGP के सामने खोली दारोगा की पोल सारी

डॉ. सिंह लंबे अरसे से बुंदेलखंड लोककला विधाओं के संरक्षण में लगे हैं. उन्होंने इन विधाओं पर शोध भी किया हुआ है. बिवांर में उन्होंने एक एकेडमी भी खोल रखी है, जहां बुंदेली लोककलाओं को संवारा और निखारा जाता है. उनके साथ कलाकारों की बाकायदा टीम है जो बुंदेलखंड की लोक कलाओं के संरक्षण के साथ-साथ जन समस्याओं से जुडे़ सरोकारों पर कार्य करती हैं.

हमीरपुरः बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच ग्रामीण इलाकों में टीकाकरण के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से बुंदेलखंडी लोक विधाओं का सहारा लिया जा रहा है. सुप्रसिद्ध लोक कलाविद डॉ. रामभजन सिंह (बिवांर) के लिखित लोकगीतों के माध्यम से बांदा जनपद में इसकी शुरुआत हुई थी. चित्रकूट के समाजसेवी भी इन्हीं गीतों के जरिए अपने बीहड़ के इलाकों में लोगों को टीकाकरण के प्रति जागरूक कर रहे थे.

लोकगीत गाकर जागरूक करती आशा कार्यकर्ता.

टीकाकरण के प्रति जागरूकता फैलाने की अनोखी मुहिम

जिले के मटौंध पीएचसी के अंतर्गत आने वाले गांवों में इस वक्त आंगनबाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं की टोली ‘घर-घर बुलावे आंगनबाड़ी चला भैया कोरोना का टीका लगवावा’ जैसे गीतों को गाते हुए घूम रही हैं. इस गीत को जिले के बिवांर निवासी सुप्रसिद्ध बुंदेलखण्ड लोक कलाविद डॉ. रामभजन सिंह ने लिखा है. डॉ. सिंह ने बताया कि मटौंध पीएचसी के डॉ. देव सिंह के निवेदन पर उन्होंने इस गीत को लिखा. इस विधा के गीत बुंदेलखंड के ग्रामीण अंचलों में शादी-ब्याह के मौके पर गाए जाते हैं, जिन्हें लोक कला की भाषा में ‘गारी’ बोला जाता है. शुभ मौकों पर गाए जाने वाले इन्हीं गारी को उन्होंने आज मानवता को बचाने के लिए जारी मुहिम से जोड़ दिया है, ताकि लोग कोरोना टीकाकरण के प्रति जागरूक हों.

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डॉ. सिंह लंबे अरसे से बुंदेलखंड लोककला विधाओं के संरक्षण में लगे हैं. उन्होंने इन विधाओं पर शोध भी किया हुआ है. बिवांर में उन्होंने एक एकेडमी भी खोल रखी है, जहां बुंदेली लोककलाओं को संवारा और निखारा जाता है. उनके साथ कलाकारों की बाकायदा टीम है जो बुंदेलखंड की लोक कलाओं के संरक्षण के साथ-साथ जन समस्याओं से जुडे़ सरोकारों पर कार्य करती हैं.

Last Updated : May 19, 2021, 6:45 AM IST
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