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जज्बे को सलाम! 65 की उम्र में पंक्चर बनाकर 'रामबाई' पाल रही परिवार - 65 years old woman fixes punctures

हमीरपुर जिले के सरीला क्षेत्र की रहने वाली 65 वर्षीय रामबाई पंक्चर बनाने का काम करती हैं. घर की आर्थिक हालत ठीक ना होने के चलते रामबाई पंक्चर बनाने का काम करती हैं.

पंक्चर बनाती महिला
पंक्चर बनाती महिला
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Published : Oct 25, 2021, 12:41 PM IST

हमीरपुर: मां शब्द सुनते ही एक ओर जहां जहन में प्रेम और ममता का भाव आता है तो वहीं वो संघर्ष भी नजर आता है जो एक मां अपने परिवार और बच्चों के लिए करती है. आज हम आपको एक ऐसी ही महिला के बारे में बताएंगे जिसके संघर्ष की कहानी समाज की अन्य महिलाओं के लिए एक मिसाल है.

जिले के सरीला तहसील क्षेत्र में स्थित ममना गांव की रहने वाली 65 वर्षीय महिला रामबाई पिछले 30 वर्षों से अपने पति के साथ मिलकर वाहनों के पंक्चर बनाने का काम कर रही हैं. पंक्चर के साथ साथ लोहे के उपकरण में बिल्डिंग का काम भी करती हैं. रामबाई का कहना है कि वह यह काम गृह-गृहस्थी चलाने के लिए करती हैं.

पंक्चर बनाती महिला



सरीला क्षेत्र की रहने वाली रामबाई की शादी 35 साल पहले ममना गांव के गरीबा से हुई थी. शादी के पांच वर्ष बाद ही गरीबा की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई. जिसके बाद रामबाई ने पंक्चर की दुकान की कमान संभाल ली. तीस वर्ष से आजतक ये सिलसिला चला आ रहा है. आज रामबाई ट्रक ट्रैक्टर सहित अन्य वाहनों के पंक्चर बगैर किसी तकनीकी उपकरण के खुद ही बनाती हैं. इतना ही नहीं लोहे की बिल्डिंग के साथ साथ नए नए उपकरण जैसे दरवाजा, जंगला भी बनाती हैं. साथ ही कृषि यंत्रों की टूटफूट को भी रिपेयर करती हैं.



जलालपुर कदौरा मार्ग पर ममना गांव में रामबाई की पंक्चर की दुकान है. रामबाई के तीन लड़की व दो लड़के हैं जिनकी शादी इसी पंक्चर की दुकान के बदौलत कर दी. रामबाई बताती हैं कि पति काम मे हाथ नहीं बटाते जो बन पड़े कर देते हैं अन्यथा वही सारा काम करती हैं. रामबाई के पास कोई हाई टेक औजार नहीं है. वो हाथ से ही हर काम करती हैं.

रामबाई के इस काम को लेकर गांव की महिलाओं का कहना है कि वो अक्सर रामबाई की दुकान के सामने से गुजरती हैं तो रामबाई को इस उम्र भी काम करते हुए देखती हैं रामबाई के जुनून को देखकर लगता है कि महिलाओं के लिए कोई काम असंभव नहीं है.



रामबाई ने बताया कि वह कभी नहीं सोचती कि वह एक महिला हैं, बस रोजी-रोटी कमाने के लिए रात दिन मेहनत करती हैं. हालांकि यह काम इतना भी आसान नहीं था कुछ दिन तक गांव के ही लोगों ने ताना मारा, लेकिन बिना उनकी परवाह किए अपने परिवार की जिम्मेदारी निभाती रहीं. रामबाई ने बताया कि मैने पिछले 30 साल से टायर पंचर बनाने का काम कर रही हूं. इस सफर में अपने पांच बच्चों की शादी की है, लेकिन आजतक मुझे कोई सरकारी मदद नहीं मिली.

इसे भी पढ़ें-...तो अमिताभ बच्चन के लिए जया के अलावा ये शख्स भी रखता है करवा चौथ का व्रत

हमीरपुर: मां शब्द सुनते ही एक ओर जहां जहन में प्रेम और ममता का भाव आता है तो वहीं वो संघर्ष भी नजर आता है जो एक मां अपने परिवार और बच्चों के लिए करती है. आज हम आपको एक ऐसी ही महिला के बारे में बताएंगे जिसके संघर्ष की कहानी समाज की अन्य महिलाओं के लिए एक मिसाल है.

जिले के सरीला तहसील क्षेत्र में स्थित ममना गांव की रहने वाली 65 वर्षीय महिला रामबाई पिछले 30 वर्षों से अपने पति के साथ मिलकर वाहनों के पंक्चर बनाने का काम कर रही हैं. पंक्चर के साथ साथ लोहे के उपकरण में बिल्डिंग का काम भी करती हैं. रामबाई का कहना है कि वह यह काम गृह-गृहस्थी चलाने के लिए करती हैं.

पंक्चर बनाती महिला



सरीला क्षेत्र की रहने वाली रामबाई की शादी 35 साल पहले ममना गांव के गरीबा से हुई थी. शादी के पांच वर्ष बाद ही गरीबा की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई. जिसके बाद रामबाई ने पंक्चर की दुकान की कमान संभाल ली. तीस वर्ष से आजतक ये सिलसिला चला आ रहा है. आज रामबाई ट्रक ट्रैक्टर सहित अन्य वाहनों के पंक्चर बगैर किसी तकनीकी उपकरण के खुद ही बनाती हैं. इतना ही नहीं लोहे की बिल्डिंग के साथ साथ नए नए उपकरण जैसे दरवाजा, जंगला भी बनाती हैं. साथ ही कृषि यंत्रों की टूटफूट को भी रिपेयर करती हैं.



जलालपुर कदौरा मार्ग पर ममना गांव में रामबाई की पंक्चर की दुकान है. रामबाई के तीन लड़की व दो लड़के हैं जिनकी शादी इसी पंक्चर की दुकान के बदौलत कर दी. रामबाई बताती हैं कि पति काम मे हाथ नहीं बटाते जो बन पड़े कर देते हैं अन्यथा वही सारा काम करती हैं. रामबाई के पास कोई हाई टेक औजार नहीं है. वो हाथ से ही हर काम करती हैं.

रामबाई के इस काम को लेकर गांव की महिलाओं का कहना है कि वो अक्सर रामबाई की दुकान के सामने से गुजरती हैं तो रामबाई को इस उम्र भी काम करते हुए देखती हैं रामबाई के जुनून को देखकर लगता है कि महिलाओं के लिए कोई काम असंभव नहीं है.



रामबाई ने बताया कि वह कभी नहीं सोचती कि वह एक महिला हैं, बस रोजी-रोटी कमाने के लिए रात दिन मेहनत करती हैं. हालांकि यह काम इतना भी आसान नहीं था कुछ दिन तक गांव के ही लोगों ने ताना मारा, लेकिन बिना उनकी परवाह किए अपने परिवार की जिम्मेदारी निभाती रहीं. रामबाई ने बताया कि मैने पिछले 30 साल से टायर पंचर बनाने का काम कर रही हूं. इस सफर में अपने पांच बच्चों की शादी की है, लेकिन आजतक मुझे कोई सरकारी मदद नहीं मिली.

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