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बच्चों पर कोरोना करेगा वार तो इंसेफेलाइटिस के अनुभव से निपटेगी योगी सरकार

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Published : May 22, 2021, 4:53 PM IST

इंसेफलाइटिस की तर्ज पर कोरोना से निपटने की जो तैयारी होगी उसमें जिले के सभी पीएचसी और सीएचसी सेंटर पर आईसीयू युक्त वार्ड बनाया जाएंगा. यहां पर तैनात डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ को पूरी तरह प्रशिक्षित किया जाएगा.

कोरोना बच्चों पर करेगा वार तो इंसेफेलाइटिस के अनुभव से निपटेगी योगी सरकार
कोरोना बच्चों पर करेगा वार तो इंसेफेलाइटिस के अनुभव से निपटेगी योगी सरकार

गोरखपुर : कोरोना की महामारी के बीच इसके थर्ड फेज को लेकर सरकार और स्वास्थ्य महकमा कई तरह की तैयारियों में जुटा हुआ है. कोरोना के इस फेज को बच्चों के लिए काफी खतरनाक बताया जा रहा है. यही वजह है कि योगी सरकार ने जिन अस्पतालों में अभी तक जो भी संसाधन उपलब्ध हैं, उनको दोगुने से भी ज्यादा करने पर जोर देना शुरू कर दिया है. इस क्रम में योगी सरकार ने उन डॉक्टरों की सेवा लेने की तैयारी भी की है जिन्होंने पूर्वांचल की इंसेफलाइटिस जैसी महामारी को लगभग पूरी तरह से समाप्त करने में अपना अमूल्य योगदान दिया है.

कोरोना बच्चों पर करेगा वार तो इंसेफेलाइटिस के अनुभव से निपटेगी योगी सरकार

स्वच्छता-सफाई पर होगा जोर, घर-घर चलेगा जागरूकता अभियान

इंसेफलाइटिस की महामारी गोरखपुर समेत पूरे पूर्वांचल में करीब 4 दशक तक कायम रही. इसकी वजह से 15 हजार से अधिक बच्चों ने अपनी जान गंवाई. लेकिन प्रदेश में 2017 में स्थापित योगी सरकार ने इस महामारी को दूर करने के लिए स्वच्छता और सफाई अभियान पर जोर देने के साथ घर-घर दस्तक अभियान चलाकर इसके बचाव के उपायों पर जोर दिया. इससे यह बीमारी मात्र 10 प्रतिशत ही रह गयी. यही नहीं, इंसेफलाइटिस को उन्मूलन के लिए पुणे के वायरोलॉजिकल लैब के सहयोग से बीआरडी मेडिकल कॉलेज में स्थापित शोध केंद्र और इससे तैयार वैक्सीन से भी इंसेफेलाइटिस को रोकने में कामयाबी मिली.

उन डाक्टरों का इस्तेमाल जिन्होंने इंसेफलाइटिस के बच्चों को ठीक किया

योगी सरकार कोरोना के थर्ड फेज में बच्चों को इससे बचाने के लिए इंसेफलाइटिस में अपनाए गए स्वच्छता और सफाई अभियान पर तो जोर देगी ही, उन डाक्टरों के अनुभवों का भी इस्तेमाल करेगी जिन्होंने इंसेफलाइटिस से ग्रसित बच्चों को ठीक किया. ऑक्सीजन सप्लाई से लेकर अन्य व्यवस्थाओं पर पूरी निगरानी भी बरती. आईसीसीयू और एनआइसीयू के संचालन के साथ वेंटिलेटर संचालन में जिन्होंने अपना अच्छा योगदान दिया. गोरखपुर के सीएमओ डॉ. सुधाकर पांडेय ने ईटीवी भारत से बताया कि यही वजह है कि थर्ड फेस से निपटने के लिए डॉक्टरों के साथ पैरामेडिकल स्टाफ के भी प्रशिक्षण का दौर शुरू हो गया है. इस काम में बीआरडी मेडिकल काॅलेज के साथ इस बार एम्स जैसी संस्था और वहां के डॉक्टरों का उपयोग भी होगा. इससे महामारी पर नियंत्रण स्थापित किया जा सकेगा.

यह भी पढ़ें : सपा नेता का आरोप, सरैया चीनी मिल पर भूमाफियों की टेढ़ी नजर

सीएचसी-पीएचसी के डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ को दी जा रही ट्रेनिंग

इंसेफलाइटिस की तर्ज पर कोरोना से निपटने की जो तैयारी होगी उसमें जिले के सभी पीएचसी और सीएचसी सेंटर पर आईसीयू युक्त वार्ड बनाया जाएंगा. यहां पर तैनात डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ को पूरी तरह प्रशिक्षित किया जाएगा. ऑक्सीजन की उपलब्धता के साथ कंसंट्रेटर की भी व्यवस्था उपलब्ध होगी. साथ ही एंबुलेंस को भी एक्टिव रखा जाएगा जिससे गंभीर हालत में मरीज को सीधे हायर सेंटर ले जाया जा सके. सीएमओ ने कहा कि ग्रामीण इलाकों के लोड को देखते हुए चौरी चौरा, गोला और गगहा पीएचसी को अपग्रेड किया जा रहा है.

बच्चों को कोरोना की तीसरी लहर से बचाने के लिए होने वाले खास उपाय..

मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार हर मंडल पर 100 बेड का पीडियाट्रिक आईसीयू बनाने पर जोर है. बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बने 500 बेड के अस्पताल में पर दो तल तीसरी लहर के लिए आरक्षित करने की तैयारी है. इसके अतिरिक्त 23 सीएचसी में से 20 में इस तरह की व्यवस्था बनाई गई है. जनप्रतिनिधियों के माध्यम से ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट भी सीएचसी पर लगाए जा रहे हैं. तीन सीएचसी पर ऑक्सीजन प्लांट लगाने की मंजूरी भी मिल गई है. इसके साथ ही हर सीएचसी पर 50-50 बेड के कोविड-19 वार्ड बनाने की भी योजना है. जिले में 200 बेड के शुरू होने वाले दो अस्पताल भी तीसरी लहर से निपटने में काफी कारगर होंगे. इनमें एक गुरु गोरक्षनाथ चिकित्सा विश्वविद्यालय और दूसरा दक्षिणांचल का राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज है.

गोरखपुर : कोरोना की महामारी के बीच इसके थर्ड फेज को लेकर सरकार और स्वास्थ्य महकमा कई तरह की तैयारियों में जुटा हुआ है. कोरोना के इस फेज को बच्चों के लिए काफी खतरनाक बताया जा रहा है. यही वजह है कि योगी सरकार ने जिन अस्पतालों में अभी तक जो भी संसाधन उपलब्ध हैं, उनको दोगुने से भी ज्यादा करने पर जोर देना शुरू कर दिया है. इस क्रम में योगी सरकार ने उन डॉक्टरों की सेवा लेने की तैयारी भी की है जिन्होंने पूर्वांचल की इंसेफलाइटिस जैसी महामारी को लगभग पूरी तरह से समाप्त करने में अपना अमूल्य योगदान दिया है.

कोरोना बच्चों पर करेगा वार तो इंसेफेलाइटिस के अनुभव से निपटेगी योगी सरकार

स्वच्छता-सफाई पर होगा जोर, घर-घर चलेगा जागरूकता अभियान

इंसेफलाइटिस की महामारी गोरखपुर समेत पूरे पूर्वांचल में करीब 4 दशक तक कायम रही. इसकी वजह से 15 हजार से अधिक बच्चों ने अपनी जान गंवाई. लेकिन प्रदेश में 2017 में स्थापित योगी सरकार ने इस महामारी को दूर करने के लिए स्वच्छता और सफाई अभियान पर जोर देने के साथ घर-घर दस्तक अभियान चलाकर इसके बचाव के उपायों पर जोर दिया. इससे यह बीमारी मात्र 10 प्रतिशत ही रह गयी. यही नहीं, इंसेफलाइटिस को उन्मूलन के लिए पुणे के वायरोलॉजिकल लैब के सहयोग से बीआरडी मेडिकल कॉलेज में स्थापित शोध केंद्र और इससे तैयार वैक्सीन से भी इंसेफेलाइटिस को रोकने में कामयाबी मिली.

उन डाक्टरों का इस्तेमाल जिन्होंने इंसेफलाइटिस के बच्चों को ठीक किया

योगी सरकार कोरोना के थर्ड फेज में बच्चों को इससे बचाने के लिए इंसेफलाइटिस में अपनाए गए स्वच्छता और सफाई अभियान पर तो जोर देगी ही, उन डाक्टरों के अनुभवों का भी इस्तेमाल करेगी जिन्होंने इंसेफलाइटिस से ग्रसित बच्चों को ठीक किया. ऑक्सीजन सप्लाई से लेकर अन्य व्यवस्थाओं पर पूरी निगरानी भी बरती. आईसीसीयू और एनआइसीयू के संचालन के साथ वेंटिलेटर संचालन में जिन्होंने अपना अच्छा योगदान दिया. गोरखपुर के सीएमओ डॉ. सुधाकर पांडेय ने ईटीवी भारत से बताया कि यही वजह है कि थर्ड फेस से निपटने के लिए डॉक्टरों के साथ पैरामेडिकल स्टाफ के भी प्रशिक्षण का दौर शुरू हो गया है. इस काम में बीआरडी मेडिकल काॅलेज के साथ इस बार एम्स जैसी संस्था और वहां के डॉक्टरों का उपयोग भी होगा. इससे महामारी पर नियंत्रण स्थापित किया जा सकेगा.

यह भी पढ़ें : सपा नेता का आरोप, सरैया चीनी मिल पर भूमाफियों की टेढ़ी नजर

सीएचसी-पीएचसी के डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ को दी जा रही ट्रेनिंग

इंसेफलाइटिस की तर्ज पर कोरोना से निपटने की जो तैयारी होगी उसमें जिले के सभी पीएचसी और सीएचसी सेंटर पर आईसीयू युक्त वार्ड बनाया जाएंगा. यहां पर तैनात डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ को पूरी तरह प्रशिक्षित किया जाएगा. ऑक्सीजन की उपलब्धता के साथ कंसंट्रेटर की भी व्यवस्था उपलब्ध होगी. साथ ही एंबुलेंस को भी एक्टिव रखा जाएगा जिससे गंभीर हालत में मरीज को सीधे हायर सेंटर ले जाया जा सके. सीएमओ ने कहा कि ग्रामीण इलाकों के लोड को देखते हुए चौरी चौरा, गोला और गगहा पीएचसी को अपग्रेड किया जा रहा है.

बच्चों को कोरोना की तीसरी लहर से बचाने के लिए होने वाले खास उपाय..

मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार हर मंडल पर 100 बेड का पीडियाट्रिक आईसीयू बनाने पर जोर है. बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बने 500 बेड के अस्पताल में पर दो तल तीसरी लहर के लिए आरक्षित करने की तैयारी है. इसके अतिरिक्त 23 सीएचसी में से 20 में इस तरह की व्यवस्था बनाई गई है. जनप्रतिनिधियों के माध्यम से ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट भी सीएचसी पर लगाए जा रहे हैं. तीन सीएचसी पर ऑक्सीजन प्लांट लगाने की मंजूरी भी मिल गई है. इसके साथ ही हर सीएचसी पर 50-50 बेड के कोविड-19 वार्ड बनाने की भी योजना है. जिले में 200 बेड के शुरू होने वाले दो अस्पताल भी तीसरी लहर से निपटने में काफी कारगर होंगे. इनमें एक गुरु गोरक्षनाथ चिकित्सा विश्वविद्यालय और दूसरा दक्षिणांचल का राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज है.

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