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गोरखपुरः सड़क पर महिलाओं को खींचना पड़ा स्‍ट्रेचर, अस्पताल कर्मचारियों ने किया मना - बच्चे ने खींचा स्ट्रेचर

यूपी के गोरखपुर जिला अस्पताल में परिजनों द्वारा स्ट्रेचर खींचने का मामला सामने आया है. परिजनों का आरोप है कि वार्ड बॉय से जब कहा जाता है तो वह सुनते ही नहीं हैं. वहीं जिला चिकित्सालय के प्रमुख अधीक्षक डॉ. एसके श्रीवास्तव ने बताया कि सारी सुविधाओं के बारे में तो सीएमओ ही बता पाएंगे.

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स्ट्रेचर खींचती महिलाएं.
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Published : Jul 22, 2020, 10:10 PM IST

गोरखपुरः अजीब विडंबना कहें या सरकारी अस्पताल के कर्मचारियों की अनदेखी, जिसकी वजह से मरीज के परिजनों को ही स्ट्रेचर खीचना पड़ रहा है. सरकारी अस्‍पताल में इलाज और सुविधाओं का सरकार लाख दावा करे, लेकिन हकीकत की बानगी हर रोज अलग ही देखने को मिलती है. मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के शहर गोरखपुर के सरकारी अस्‍पताल में तो महिलाओं को बीमार का स्ट्रेचर खींचना पड़ रहा है. सड़क पर जब मरीज को अस्पताल में जाते समय काऊ कैचर में स्‍ट्रेचर के पहिए फंस गए, तो एक पुलिसवाला मददगार बनकर सामने आ गया.

स्ट्रेचर खींचती महिलाएं.

महराजगंज जिले के श्‍यामदेउरवा मोहम्‍मदा की रहने वाली अर्चना नाम की 15 साल की युवती के पैर में रॉड पड़ी थी. जिसे ऑपरेशन के बाद निकाला गया है. पैर में स्वेलिंग होने के बाद भी डॉक्टर बार-बार बुलाने पर नहीं पहुंचे, तो उसके साथ आई बच्‍ची की मां गीता और नानी ने वार्ड बॉय को डॉक्टर के केबिन तक ले जाने के लिए कहा. परिजनों का कहना है कि वार्ड बॉय ने स्ट्रेचर खींचने से मना कर दिया. इसके बाद गीता और नानी कुंवरी उसे स्‍ट्रेचर पर लादकर ओपीडी में डॉक्‍टर के पास जाने के लिए निकलीं. पीड़िता की मां का कहना है कि वार्ड बॉय स्ट्रेचर खींचने के नाम पर सुनते ही नहीं हैं.

गोरखपुर जिला चिकित्‍सालय तीन भागों में बंटा हुआ है. एक ओर ओपीडी है, तो सड़क के दूसरी ओर इमरजेंसी वार्ड. ओपीडी से इमरजेंसी में ऑपरेशन के लिए जाना हो तो बीच में सड़क को पार करना पड़ता है. जिला चिकित्‍सालय के प्रमुख अधीक्षक डॉ. एसके श्रीवास्‍तव ने बताया कि सारी सुविधाओं के बारे में तो सीएमओ ही बता पाएंगे. वैसे जो भी सुविधाएं हैं, बेड से लेकर स्‍ट्रेचर तक की वो मरीजों को मुहैया कराई जा रही है. अब ऐसे में उनके दावे की पोल खोलती ये तस्‍वीर बहुत कुछ कहती है.

इससे पहले भी आ चुके हैं मामले

पिछले दिनों देवरिया जिले से दिल को झकझोर देने वाला एक वीडियो सामने आया था. वीडियो में महज 6 साल का बच्चा स्‍ट्रेचर को धक्‍का देकर मरीज को ले जाते हुए नजर आ रहा था. स्ट्रेचर पर मौजूद मरीज बच्चे का नाना है. बच्चे का गुनाह सिर्फ इतना है कि उसकी मां ने अस्पताल के कर्मचारियों को स्ट्रेचर खींचने के लिए रिश्वत नहीं दी. इस लिए 6 साल के शिवम यादव को स्‍ट्रेचर को धक्का लगाना पड़ रहा था.

इसे भी पढ़ें- देवरिया: रिश्‍वत नहीं दी तो 6 साल के बच्चे को खींचना पड़ा स्‍ट्रेचर

वहीं इटावा जिला अस्पताल में भी कुछ ऐसी ही तस्वीरें देखने को मिली थी. यहां मरीज को लेकर पहुंची महिला परिजनों को खुद ही एंबुलेंस से मरीज को उतार कर इमरजेंसी वार्ड तक ले जाना पड़ा था. महिला का कहना था कि अस्पताल पहुंचने के बाद महिलाओं ने एंबुलेंस से जब मरीज को उतारने के लिए वहां के कर्मचारियों से कहा तो उन्होंने खुद ही महिला मरीज को इमरजेंसी वार्ड तक ले जाने के लिए कह दिया था. जिसके बाद महिला मरीज के परिजनों ने स्ट्रेचर लिया और 108 एंबुलेंस से महिला मरीज को उतारकर इमरजेंसी वार्ड की तरफ ले गईं.

सवाल यह उठता है कि चंद रुपयों की लालच में सरकारी मुलाजिम सरकार की किरकिरी करने में जुटे हैं. ये सिस्‍टम का फाल्‍ट है या फिर चिकित्‍सा व्‍यवस्‍था की बदइंतजामी का.

इसे भी पढ़ें- इटावा: मरीज को खुद इमरजेंसी वार्ड में लेकर पहुंचे परिजन, नदारद दिखे कर्मचारी

गोरखपुरः अजीब विडंबना कहें या सरकारी अस्पताल के कर्मचारियों की अनदेखी, जिसकी वजह से मरीज के परिजनों को ही स्ट्रेचर खीचना पड़ रहा है. सरकारी अस्‍पताल में इलाज और सुविधाओं का सरकार लाख दावा करे, लेकिन हकीकत की बानगी हर रोज अलग ही देखने को मिलती है. मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के शहर गोरखपुर के सरकारी अस्‍पताल में तो महिलाओं को बीमार का स्ट्रेचर खींचना पड़ रहा है. सड़क पर जब मरीज को अस्पताल में जाते समय काऊ कैचर में स्‍ट्रेचर के पहिए फंस गए, तो एक पुलिसवाला मददगार बनकर सामने आ गया.

स्ट्रेचर खींचती महिलाएं.

महराजगंज जिले के श्‍यामदेउरवा मोहम्‍मदा की रहने वाली अर्चना नाम की 15 साल की युवती के पैर में रॉड पड़ी थी. जिसे ऑपरेशन के बाद निकाला गया है. पैर में स्वेलिंग होने के बाद भी डॉक्टर बार-बार बुलाने पर नहीं पहुंचे, तो उसके साथ आई बच्‍ची की मां गीता और नानी ने वार्ड बॉय को डॉक्टर के केबिन तक ले जाने के लिए कहा. परिजनों का कहना है कि वार्ड बॉय ने स्ट्रेचर खींचने से मना कर दिया. इसके बाद गीता और नानी कुंवरी उसे स्‍ट्रेचर पर लादकर ओपीडी में डॉक्‍टर के पास जाने के लिए निकलीं. पीड़िता की मां का कहना है कि वार्ड बॉय स्ट्रेचर खींचने के नाम पर सुनते ही नहीं हैं.

गोरखपुर जिला चिकित्‍सालय तीन भागों में बंटा हुआ है. एक ओर ओपीडी है, तो सड़क के दूसरी ओर इमरजेंसी वार्ड. ओपीडी से इमरजेंसी में ऑपरेशन के लिए जाना हो तो बीच में सड़क को पार करना पड़ता है. जिला चिकित्‍सालय के प्रमुख अधीक्षक डॉ. एसके श्रीवास्‍तव ने बताया कि सारी सुविधाओं के बारे में तो सीएमओ ही बता पाएंगे. वैसे जो भी सुविधाएं हैं, बेड से लेकर स्‍ट्रेचर तक की वो मरीजों को मुहैया कराई जा रही है. अब ऐसे में उनके दावे की पोल खोलती ये तस्‍वीर बहुत कुछ कहती है.

इससे पहले भी आ चुके हैं मामले

पिछले दिनों देवरिया जिले से दिल को झकझोर देने वाला एक वीडियो सामने आया था. वीडियो में महज 6 साल का बच्चा स्‍ट्रेचर को धक्‍का देकर मरीज को ले जाते हुए नजर आ रहा था. स्ट्रेचर पर मौजूद मरीज बच्चे का नाना है. बच्चे का गुनाह सिर्फ इतना है कि उसकी मां ने अस्पताल के कर्मचारियों को स्ट्रेचर खींचने के लिए रिश्वत नहीं दी. इस लिए 6 साल के शिवम यादव को स्‍ट्रेचर को धक्का लगाना पड़ रहा था.

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वहीं इटावा जिला अस्पताल में भी कुछ ऐसी ही तस्वीरें देखने को मिली थी. यहां मरीज को लेकर पहुंची महिला परिजनों को खुद ही एंबुलेंस से मरीज को उतार कर इमरजेंसी वार्ड तक ले जाना पड़ा था. महिला का कहना था कि अस्पताल पहुंचने के बाद महिलाओं ने एंबुलेंस से जब मरीज को उतारने के लिए वहां के कर्मचारियों से कहा तो उन्होंने खुद ही महिला मरीज को इमरजेंसी वार्ड तक ले जाने के लिए कह दिया था. जिसके बाद महिला मरीज के परिजनों ने स्ट्रेचर लिया और 108 एंबुलेंस से महिला मरीज को उतारकर इमरजेंसी वार्ड की तरफ ले गईं.

सवाल यह उठता है कि चंद रुपयों की लालच में सरकारी मुलाजिम सरकार की किरकिरी करने में जुटे हैं. ये सिस्‍टम का फाल्‍ट है या फिर चिकित्‍सा व्‍यवस्‍था की बदइंतजामी का.

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