गोरखपुर: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजेश सिंह ने कहा है कि आज की बाजार आधारित अर्थव्यवस्था में, शिक्षा जगत में उपलब्धियों की शोकेसिंग करना बहुत महत्वपूर्ण है. गोरखपुर यूनिवर्सिटी 66 साल पुरानी है. यह समय की मांग है कि हम 66 साल की उपलब्धियों की शोकेसिंग करें और अपने अस्तित्व को बनाए रखने में कामयाब हों. वर्ष 2023 के आगाज पर शिक्षकों, अधिकारियों से संवाद के साथ वह पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे.
संवाद भवन में आयोजित कार्यक्रम में कुलपति ने कहा कि उनके कार्यकाल में 70 से 80 नए स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं. इससे विश्वविद्यालय अपने संसाधन पैदा कर रहा है. विश्वविद्यालय ने नए पाठ्यक्रमों के साथ-साथ नए संकायों की भी स्थापना की है जिसमें फर्टिलिटी ऑफ एग्रीकल्चर, फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग, फैकल्टी ऑफ रूरल साइंस, फैकल्टी ऑफ वोकेशनल स्टडीज शामिल है. ये नए पाठ्यक्रम और नई ब्रांच ही शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण की मांग के अनुरूप हैं.
कुलपति ने विश्वविद्यालय के हर विभाग को नए स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रम बनाने और अपने संसाधन जुटाने की आवश्यकता पर भी जोर देने को कहा है. उन्होंने कहा कि नए वर्ष में हर शिक्षक का एक प्रोजेक्ट व पब्लिकेशन हो. हर शिक्षक एक ऐसी शैक्षिक सामग्री तैयार करें जिसको विश्वविद्यालय शोकेस कर सके. हर शिक्षक स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रम को संचालित करने में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करे जिससे विश्वविद्यालय की ख्याति बढ़े.
कुलपति ने कहा कि एक साल से हम नैक मूल्यांकन के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं जिसमें सभी शिक्षकों और अधिकारियों की महत्वपूर्ण रही है. खुशी यह है कि हम सब मिलकर एक टीम की तरह काम कर रहे हैं जिससे परिणाम सार्थक आएगा. उन्होंने कहा कि इसीलिए विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह इस वर्ष आगे बढ़ गया है जिसके फरवरी 2023 में आयोजित होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय आगामी 10 साल का एक विजन डॉक्यूमेंट तैयार कर रहा है. इसके लिए प्रत्येक विभाग को 10 साल की कार्ययोजना प्रस्तुत करनी है. विभाग को बताना है कि कौन से नए स्ववित्तपोषित कोर्स संचालित करने जा रहे हैं. इस दौरान विश्वविद्यालय से जुड़े आउटसोर्स कर्मियों के मानदेय भुगतान का भी मुद्दा उठा. इस पर कुलपति ने कहा कि समीक्षा के आधार पर कर्मचारियों के हित लाभ के अनुसार, भुगतान की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा रहा है इससे कोई वंचित नहीं होगा.
कुलपति ने कहा कि महायोगी गुरु गोरखनाथ शोधपीठ में नवनाथ की मूर्तियां स्थापित की जाएंगी और 7 हजार स्क्वायर फीट में एक संग्रहालय स्थापित किया जाएगा. संग्रहालय में नाथपंथ के इतिहास तथा दर्शन को दर्शाया जाएगा. इसके साथ ही डिजिटल लाइब्रेरी शुरू की जाएगी. शुरुआती चरण में शोधपीठ में आठ रिसर्च एसोसिएट और एक ओएसडी कार्य प्रारंभ करेंगे. कुलपति ने सभी विभागों और शिक्षकों से कहा कि वो शोधपीठ से जुड़े. वहां हो रहे शोध कार्यों में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करें. संवाद भवन में आयोजित कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के सभी अधिष्ठातागण, विभागाध्यक्षगण और शिक्षकों सहित कुलसचिव विशेश्वर प्रसाद, परीक्षा नियंत्रक राकेश कुमार, वित्त अधिकारी संत प्रकाश सिंह मौजूद रहे.
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