गोरखपुर: कोरोना की महामारी के बीच चारों तरफ रोजगार का संकट पैदा हो रहा है. पूर्वोत्तर रेलवे संस्थान में विभिन्न विभागों में खाली हो रहे 2000 पदों को पूरी तरह समाप्त कर दिया जा रहा है. आने वाले समय में इन पदों पर भर्ती की प्रक्रिया नहीं की जाएगी. रेलवे बोर्ड के निर्देश पर विभागवार पदों की गणना होने लगी है. निर्धारित रिक्त पदों पर जुलाई माह में ही बस काम होगा. ऐसे पदों का यह आखिरी माह होगा. रेलवे बोर्ड की ओर से जारी फरमान का कर्मचारी संगठनों ने विरोध भी शुरू कर दिया है, लेकिन सूत्रों की मानें तो बोर्ड ने जो फैसला लिया है, वह अब बदलने वाला नहीं है.
समाप्त होंगे 2000 पद
बोर्ड के दिशा निर्देश के बाद पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने विभागवार पहले से चल रहे रिक्त पदों को सरेंडर करना शुरू कर दिया है. पदों की छटनी की यही गति रही तो जुलाई में 2000 पद समाप्त हो जाएंगे. सूत्रों की मानें तो रेलवे के विभिन्न भागों में लगभग 4000 पद रिक्त चल रहे हैं.
क्या कहते हैं जानकार
जानकारों का कहना है कि वाणिज्य विभाग में ही करीब डेढ़ सौ पद रिक्त हैं, जिसमें पहले से ही करीब 40 पद सरेंडर किए जा चुके हैं. सबसे खराब दशा यांत्रिक कारखाने की है. पूर्वोत्तर रेलवे कर्मचारी संघ के प्रवक्ता एके सिंह कहते हैं कि बिना दिशा निर्देश के ही कारखाना प्रबंधन ने पिछले वर्ष 600 पदों को सरेंडर कर दिया था, जिसको लेकर संगठन का विरोध प्रदर्शन अभी भी जारी है.
बोर्ड के समक्ष रखा जाएगा मुद्दा
एनई रेलवे मजदूर यूनियन के महामंत्री केएल गुप्ता के अनुसार प्रत्येक माह रेलवे कर्मियों की सेवानिवृत्ति हो रही है. भंडार डिपो में ही 50 से 60 पद रिक्त हैं. पदों पर भर्ती हो नहीं रही और न ही पदोन्नति. जनरल विभागीय परीक्षा में ही सैकड़ों पदों पर कर्मियों की पदोन्नति होनी है. ऐसे में पद सरेंडर हो जाएंगे तो रेल कर्मियों की तैनाती कहां होगी. ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन जल्द ही इस मुद्दे को बोर्ड के समक्ष रखेगा.
उन्होंने बताया कि बहुत जल्द गोरखपुर से लेकर दिल्ली तक प्रदर्शन होगा, क्योंकि पदों के सरेंडर से विभिन्न विभागों में काम का दबाव बढ़ेगा. पहले से ही विभागों में कर्मचारियों की कमी है. ऐसे में पदों को समाप्त कर देना कहीं से भी न्याय उचित और रेलवे के हित में नहीं है.