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ट्रामा सेंटर बनने की राह में पेड़ बने रोड़ा, DFO का चक्कर लगा रहा स्वास्थ्य विभाग

गोरखपुर को योगी सरकार की तरफ से ट्रामा सेंटर निर्माण के लिए अनुमति और बजट दोनों मिल चुका है. लेकिन जिस जगह पर इसका निर्माण अबतक शुरू हो जाना चाहिए था, उस जगह पर खड़े पेड़ों को काटने की अनुमति वन विभाग नहीं दे रहा है. इसकी वजह से ट्रामा सेंटर का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पा रहा है.

ट्रामा सेंटर बनने की राह में पेड़ बने रोड़ा
ट्रामा सेंटर बनने की राह में पेड़ बने रोड़ा
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Published : Jun 2, 2021, 5:06 PM IST

गोरखपुर : स्वास्थ्य के क्षेत्र में जिले को प्रदेश सरकार की तरफ से एक बड़ी सौगात मिली है. दरअसल, योगी सरकार जिले में ट्रामा सेंटर के निर्माण के लिए अनुमति और बजट दोनों दे चुकी है. लेकिन इसके निर्माण की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पा रही है. इसकी वजह ये है कि जिस जगह पर ट्रामा सेंटर का निर्माण होना है वहीं पेड़ खड़े हैं. और इन पेड़ों को काटने की अनुमति डीएफओ की तरफ से नहीं मिल रही है. जिला अस्पताल के एसआईसी कई बार इसके लिए डीएफओ को पत्र लिख चुके हैं, लेकिन अभी तक कार्यवाही फाइलों में दबी पड़ी है.

नहीं शुरू हो पा रहा ट्रामा सेंटर का निर्माण

जिला अस्पताल के एसआईसी डॉ एसपी श्रीवास्तव की मानें तो शासन ने ट्रामा सेंटर निर्माण के लिए करीब एक करोड़ 20 लाख रुपए आवंटित कर दिया है. लेकिन जिस जगह पर ट्रामा सेंटर को बनाया जाना है वहां पर दर्जन भर पेड़ खडे़ हैं, जिसको काटने की अनुमति वन विभाग नहीं दे रहा. अस्पताल परिसर की खाली पड़ी 9 हजार वर्गफीट जमीन ट्रामा सेंटर के लिए चुनी गई है. यह भवन दो मंजिला बनाया जाना है. इस भवन का नक्शा भी पास हो गया है. इसका निर्माण भी अब तक शुरू हो जाना चाहिए था, लेकिन वन विभाग की हठधर्मिता की वजह से यह प्रोजेक्ट रुका पड़ा है. अब जिला अस्पताल के एसआईसी ने इस मामले को जिला प्रशासन के हवाले कर दिया है, जिससे मुख्यमंत्री की प्राथमिकता वाले इस कार्य में आने वाली अड़चनों को जिला प्रशासन दूर कराए. क्योंकि स्वास्थ्य के क्षेत्र में किसी भी परियोजना के लटकने या अधूरे रहने की यह सरकार गोरखपुर में कोई गुंजाइश नहीं देखना चाहती.

ट्रामा सेंटर बनने की राह में पेड़ बने रोड़ा
ट्रामा सेंटर बनने की राह में पेड़ बने रोड़ा

वन विभाग ने बताई ये बात

इस मामले में वन विभाग के डीएफओ अविनाश कुमार का कहना है कि जमीन पर खड़े पेड़ों को कटवाने के लिए सरकारी नीलामी होती है. जिसके नाम नीलामी होती है पेड़ वह कटवाता है. इन सभी प्रक्रियाओं में वक्त लगता है. उन्होंने कहा कि ट्रामा सेंटर से जुड़ी फाइल और पत्राचार कहां तक पहुंचा है, फिलहाल उसको देखना होगा. शासन की मंशा के अनुरूप ही उनका विभाग कार्य कर रहा है. विभाग किसी भी योजना के निर्माण में बाधा नहीं बनने वाला है.

ट्रामा सेंटर बनने की राह में पेड़ बने रोड़ा
ट्रामा सेंटर बनने की राह में पेड़ बने रोड़ा

ट्रामा सेंटर की गोरखपुर में क्यों पड़ी जरूरत
गोरखपुर समित पूर्वांचल के करीब 10 जिलों समेत पश्चिमी बिहार और नेपाल के लोग, बड़ी संख्या में इलाज के लिए गोरखपुर पर निर्भर हैं. यहां पर सिर्फ बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ही ट्रामा सेंटर है. जिला अस्पताल इस सुविधा से वंचित है. यहां पर ट्रामा सेंटर खुल जाने से लोगों को बड़ी राहत मिलेगी. क्योंकि दुर्घटना में घायल होने, ब्रेन हेमरेज, हार्ट अटैक या किसी भी तरह के गंभीर मरीजों का इलाज जिला अस्पताल में नहीं हो पाता. जबकि यह शहर के बीचोबीच स्थित है. मेडिकल कॉलेज पहुंचने में मरीजों का आधे से 1 घंटे का समय बढ़ जाता है. इसी को देखते हुए योगी सरकार ने जिला अस्पताल में ट्रामा सेंटर खोलने का फैसला लिया है. इसके खुल जाने से मरीजों को जल्दी इलाज मिल जाएगा और उनके जान बचने की संभावना बढ़ जाएगी.


इसे भी पढ़ें- धर्म छुपाकर 10वीं की छात्रा से शादी करने वाला आरोपी गिरफ्तार

ट्रामा सेंटर में होंगी ये सुविधाएं

ट्रामा सेंटर में 6 बेड का वार्ड होगा. जहां इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर के अलावा हड्डी और सर्जरी के डॉक्टर, नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ 24 घंटे मौजूद रहेंगे. यहां पहुंचने वाले मरीज को तत्काल इलाज तो मिलेगा ही उनका ऑपरेशन भी किया जा सकेगा. ट्रामा सेंटर में ऑपरेशन थिएटर, एक्सरे रूम, पैथोलॉजी भी बनाई जाएगी. इसके अलावा दो नर्सिंग स्टेशन और एक रिकार्ड रूम भी बनाया जाएगा.

गोरखपुर : स्वास्थ्य के क्षेत्र में जिले को प्रदेश सरकार की तरफ से एक बड़ी सौगात मिली है. दरअसल, योगी सरकार जिले में ट्रामा सेंटर के निर्माण के लिए अनुमति और बजट दोनों दे चुकी है. लेकिन इसके निर्माण की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पा रही है. इसकी वजह ये है कि जिस जगह पर ट्रामा सेंटर का निर्माण होना है वहीं पेड़ खड़े हैं. और इन पेड़ों को काटने की अनुमति डीएफओ की तरफ से नहीं मिल रही है. जिला अस्पताल के एसआईसी कई बार इसके लिए डीएफओ को पत्र लिख चुके हैं, लेकिन अभी तक कार्यवाही फाइलों में दबी पड़ी है.

नहीं शुरू हो पा रहा ट्रामा सेंटर का निर्माण

जिला अस्पताल के एसआईसी डॉ एसपी श्रीवास्तव की मानें तो शासन ने ट्रामा सेंटर निर्माण के लिए करीब एक करोड़ 20 लाख रुपए आवंटित कर दिया है. लेकिन जिस जगह पर ट्रामा सेंटर को बनाया जाना है वहां पर दर्जन भर पेड़ खडे़ हैं, जिसको काटने की अनुमति वन विभाग नहीं दे रहा. अस्पताल परिसर की खाली पड़ी 9 हजार वर्गफीट जमीन ट्रामा सेंटर के लिए चुनी गई है. यह भवन दो मंजिला बनाया जाना है. इस भवन का नक्शा भी पास हो गया है. इसका निर्माण भी अब तक शुरू हो जाना चाहिए था, लेकिन वन विभाग की हठधर्मिता की वजह से यह प्रोजेक्ट रुका पड़ा है. अब जिला अस्पताल के एसआईसी ने इस मामले को जिला प्रशासन के हवाले कर दिया है, जिससे मुख्यमंत्री की प्राथमिकता वाले इस कार्य में आने वाली अड़चनों को जिला प्रशासन दूर कराए. क्योंकि स्वास्थ्य के क्षेत्र में किसी भी परियोजना के लटकने या अधूरे रहने की यह सरकार गोरखपुर में कोई गुंजाइश नहीं देखना चाहती.

ट्रामा सेंटर बनने की राह में पेड़ बने रोड़ा
ट्रामा सेंटर बनने की राह में पेड़ बने रोड़ा

वन विभाग ने बताई ये बात

इस मामले में वन विभाग के डीएफओ अविनाश कुमार का कहना है कि जमीन पर खड़े पेड़ों को कटवाने के लिए सरकारी नीलामी होती है. जिसके नाम नीलामी होती है पेड़ वह कटवाता है. इन सभी प्रक्रियाओं में वक्त लगता है. उन्होंने कहा कि ट्रामा सेंटर से जुड़ी फाइल और पत्राचार कहां तक पहुंचा है, फिलहाल उसको देखना होगा. शासन की मंशा के अनुरूप ही उनका विभाग कार्य कर रहा है. विभाग किसी भी योजना के निर्माण में बाधा नहीं बनने वाला है.

ट्रामा सेंटर बनने की राह में पेड़ बने रोड़ा
ट्रामा सेंटर बनने की राह में पेड़ बने रोड़ा

ट्रामा सेंटर की गोरखपुर में क्यों पड़ी जरूरत
गोरखपुर समित पूर्वांचल के करीब 10 जिलों समेत पश्चिमी बिहार और नेपाल के लोग, बड़ी संख्या में इलाज के लिए गोरखपुर पर निर्भर हैं. यहां पर सिर्फ बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ही ट्रामा सेंटर है. जिला अस्पताल इस सुविधा से वंचित है. यहां पर ट्रामा सेंटर खुल जाने से लोगों को बड़ी राहत मिलेगी. क्योंकि दुर्घटना में घायल होने, ब्रेन हेमरेज, हार्ट अटैक या किसी भी तरह के गंभीर मरीजों का इलाज जिला अस्पताल में नहीं हो पाता. जबकि यह शहर के बीचोबीच स्थित है. मेडिकल कॉलेज पहुंचने में मरीजों का आधे से 1 घंटे का समय बढ़ जाता है. इसी को देखते हुए योगी सरकार ने जिला अस्पताल में ट्रामा सेंटर खोलने का फैसला लिया है. इसके खुल जाने से मरीजों को जल्दी इलाज मिल जाएगा और उनके जान बचने की संभावना बढ़ जाएगी.


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ट्रामा सेंटर में होंगी ये सुविधाएं

ट्रामा सेंटर में 6 बेड का वार्ड होगा. जहां इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर के अलावा हड्डी और सर्जरी के डॉक्टर, नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ 24 घंटे मौजूद रहेंगे. यहां पहुंचने वाले मरीज को तत्काल इलाज तो मिलेगा ही उनका ऑपरेशन भी किया जा सकेगा. ट्रामा सेंटर में ऑपरेशन थिएटर, एक्सरे रूम, पैथोलॉजी भी बनाई जाएगी. इसके अलावा दो नर्सिंग स्टेशन और एक रिकार्ड रूम भी बनाया जाएगा.

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