गोरखपुर: देश में इस समय देखा जाए तो कोई भी सेक्टर महंगाई की मार से अछूता नहीं है. पेट्रोलियम पदार्थों की महंगाई से जहां चौतरफा हाहाकार मचा है. वहीं खाद्य पदार्थों का दाम भी आसमान छू रहा है. मौजूदा समय में देश में बिजली उत्पादन को कोयले से जोड़कर हाहाकार मचा हुआ है. माना जा रहा है कहीं यह हाहाकार बिजली के दामों में और भी बढ़ोतरी न कर दे. इसके साथ ही ईटीवी भारत आज आपको एक ऐसी खबर से रुब-रुब करा रहा है जो कपड़े के कारोबार से जुड़ा हुआ है. यह कारोबार मौजूदा समय में ट्रिपल 'के' की महंगाई से बुरी तरह चौपट हो रहा है. ट्रिपल के का मतलब यहां कोयला, कलर और केमिकल से है. जिनके दामों में हुई बढ़ोतरी ने कपड़ा कारोबार को काफी प्रभावित किया है. गोरखपुर के थोक कपड़ा मंडी में इस महंगाई का खासा असर दिखाई दे रहा है. इस व्यवसाय से जुड़े हुए व्यापारी काफी परेशान हैं. यही वजह है कि थोक वस्त्र व्यवसाई वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष राजेश नेभानी ने ईटीवी भारत के साथ बातचीत में उन बिंदुओं को साझा किया है जिसकी वजह से कपड़ा कारोबार और व्यापारी दोनों तबाही झेलने को मजबूर हैं.
राजस्थान, गुजरात, पंजाब और महाराष्ट्र की कुछ कपड़ा मिलों ने उत्पादन किया बंद
नेभानी ने बताया कि यार्न, कोयला, केमिकल और कलर में आई तेजी की वजह से राजस्थान और गुजरात की अधिकांश कपड़ा मिलों को मिल मालिकों ने नवंबर तक बंद रखने का निर्णय लिया है. वह पुराना स्टाफ क्लियर कर नए माल की डिमांड व्यापारियों से लेना चाह रहे हैं और ले भी रहे हैं. जो बढ़े हुए दाम पर ऑर्डर हो रहा है. त्यौहार और लगन को देखते हुए व्यापारी आर्डर भी दे रहे हैं. क्योंकि दुकान पर आने वाले ग्राहक को कपड़े की आपूर्ति करनी ही है भले ही बढ़ी हुई महंगाई की मार व्यापारी उठाए या फिर उपभोक्ता, लेकिन कपड़े की बाजार पूरी तरह इन उत्पादों के दामों में बढ़ोतरी से काफी गर्म हो चुकी है. पंजाब और महाराष्ट्र के कपड़ा मिल मालिकों की भी गणित गड़बड़ा गई है. जिसका साइड इफेक्ट गोरखपुर के भी कपड़ा व्यापार पर पड़ रहा है. व्यापारी महंगाई की लिस्ट देखकर परेशान हैं. प्रोसेस और डाई हाउस के मालिकों को भी जॉब रेट बढ़ाना पड़ा है. जिससे कपड़े की कीमत में जबरदस्त तेजी आई है.
कीमत में 20 से 25 फीसदी का उछाल, त्योहारी सीजन में व्यापारी परेशान
राजेश नेभानी ने कहा कि गुजरात और राजस्थान के कपड़ा मिल मालिकों ने पूरा नवंबर छुट्टी कर दिया है. वह इस उम्मीद में हैं कि शायद यार्न, कलर, कोयला और केमिकल के दाम में शायद कुछ कमी आ जाए. विद्युत संकट की वजह से चीन से आने वाले यह उत्पाद महंगे हो चले हैं. इन उत्पादों के महंगे होने से डाइंग, प्रिंटिंग और जाब-चार्ज में 20 से 25 फीसदी महंगाई आ गई है. जिसकी वजह से कपड़े के कारोबार में महंगाई आई है. सूटिंग, शर्टिंग, साड़ी, बेडसीट, कंबल, रजाई, लेडीज सूट और धोती तक की कीमत में 5 से 25 फीसदी की महंगाई दर्ज की गई है.
उन्होंने कहा कि यही हाल रहा तो त्योहार और लगन में सबका बजट गड़बड़ा जाएगा. उपभोक्ता और रेगुलर उनसे जुड़े छोटे कारोबारी इस कमियों को नहीं जानते. ऐसे में उन्हें जब पहले की अपेक्षा महंगा माल मिलेगा तो थोक व्यापारियों की क्रेडिट भी खराब होगी.
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