गोरखपुर: शहर को विशेष पहचान देने और पर्यटन केंद्र का बड़ा हब बनने की ओर अग्रसर 'रामगढ़ ताल' लोगों को खुशहाली और आनंद का माहौल का दे रहा है. इस ताल ने गोरखपुर विकास प्राधिकरण यानी जीडीए के खजाने में भी रंगत ला दी है. साल 2019 से ठीक पहले इस ताल से मछली निकालने के लिए दिए गए पट्टे से जीडीए को जहां 5 साल के लिए महज 2 करोड़ 26 लाख 70 हजार की आमदनी हुई थी. वहीं मौजूदा साल से लेकर अगले 5 साल तक यह ताल अब जीडीए को 22 करोड़ 70 लाख से अधिक का लाभ कराने जा रहा है. जबकि मत्स्य पालन और विक्रय के इस पट्टे में कई बार विवाद और भ्रष्टाचार की चर्चा भी जमकर हुई थी.
रामगढ़ ताल मछली व्यवसाय के नाम पर उगल रहा सोना
रामगढ़ ताल से 5 साल में मछली निकालने के हुए टेंडर में 22 करोड़ रुपए से ज्यादा की आमदनी यह बताती है, कि पिछले 5 सालों में इसमें 10 गुना का इजाफा हुआ है. यह ताल मछली व्यवसाय के नाम पर सोना उगल रहा है. क्योंकि 5 सालों में कोई कारोबार 10 गुना की वृद्धि कर जाए यह अपने आप में हैरानी भरी बात है. यही वजह है कि इसके ठेके को हथियाने के लिए जीडीए के एक चपरासी का बेटा भी कूट रचित दस्तावेजों के सहारे सफल हो चुका था, लेकिन जैसे ही इसकी शिकायत सार्वजनिक हुई पट्टे की नीलामी रद्द कर दी गई. दोबारा हुए पट्टा में इसका आवंटन अब मत्स्य जीवी सहकारी समिति के खाते में हो चली है. जीडीए के सचिव राम सिंह गौतम इस आमदनी को निश्चित रूप से जीडीए के खजाने में बड़ी आमदनी मानते हैं.
यह ताल मुंबई के जुहू चौपाटी को दे रहा टक्कर
रामगढ़ ताल 1987 से ही गोरखपुर के विकास की धुरी बना हुआ है. इसे पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह एक झील के रूप में विकसित करने के साथ पर्यटन का केंद्र बनाने की ओर बढ़ चले थे, लेकिन उनकी आकस्मिक मृत्यु से इसका विकास बाधित हो गया था. मौजूदा समय में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इसके विकास पर ज्यादा जोर दिए हैं. आज यह मुंबई के जुहू चौपाटी का लोगों को मजा दे रहा है. जहां देर शाम इसके पर्यटन केंद्र पर चहल कदमी और बोटिंग के साथ तरह-तरह का आनंद लेने लोग दूर-दूर से पहुंच रहे हैं.