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गणतंत्र दिवस पर जेल से तीन कैदियों को मिलेगी आजादी

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Published : Jan 25, 2021, 2:32 PM IST

गोरखपुर कारागार से इस वर्ष 26 जनवरी को तीन कैदियों की रिहाई होने जा रही है. इसके साथ ही रोजगार प्रशिक्षण लेने के लिए इच्छुक बंदियों की सूची तैयार की जा रही है. ऐसे बंदी जो प्रशिक्षण के बाद जेल से रिहा होंगे. उन्हें और उनके परिवार को रोजगार शुरू करने के लिए आर्थिक सहायता भी दिलाई जाएगी.

तीन कैदियों को मिलेगी आजादी.
तीन कैदियों को मिलेगी आजादी.

गोरखपुर : गणतंत्र दिवस पर जेलों में बंद कुछ कैदियों को छोड़े जाने की परंपरा राज्य सरकार पिछले कई सालों से निभाते चली आ रही है. इसी कड़ी में इस वर्ष 26 जनवरी को गोरखपुर मंडलीय कारागार से तीन कैदियों की रिहाई होने जा रही है. इसके साथ ही जेल से रिहाई पा चुके कैदियों पर निगरानी करते हुए जिला प्रशासन उन्हें जहां हुनरमंद बनाते हुए कमाई का गुण सिखाएगा. वहीं जेल में बंद कैदियों के लिए भी कौशल विकास मिशन के तहत, कैदियों को प्रशिक्षित किया जाएगा. इस व्यवस्था की निगरानी जिले के मुख्य विकास अधिकारी इंद्रजीत सिंह के हवाले होगी. तो वहीं प्रबंधन की जिम्मेदारी जेल अधीक्षक डॉ. रामधनी निभाएंगे. हालांकि इस समय गोरखपुर जेल में क्षमता से अधिक कैदी बंद हैं.

रोजगार शुरु करने में बंदियों की मदद करेगा प्रशासन
गोरखपुर मंडलीय कारागार की क्षमता अधिकतम 12 सौ कैदियों की है. लेकिन मौजूदा समय में यहां 1700 से अधिक कैदी बंद हैं. जेल अधीक्षक डॉक्टर रामधनी की माने तो रोजगार प्रशिक्षण लेने के लिए इच्छुक बंदियों की सूची तैयार की जा रही है. जिन्हें 27 प्रकार के व्यवसायिक ट्रेड में प्रशिक्षण दिए जाने का प्लान तैयार किया गया है. ऐसे बंदी जो प्रशिक्षण के बाद जेल से रिहा होंगे. उन्हें और उनके परिवार को रोजगार शुरू करने के लिए आर्थिक सहायता भी दिलाई जाएगी. जिसकी जिम्मेदारी जिला प्रशासन लेगा. प्रशिक्षण के दौरान पुरुष और महिला बंदियों को ब्यूटी एंड वैलनेस, कृषि, खाद्य पदार्थ, लकड़ी, कपड़ा, जूता चप्पल आदि के निर्माण में तकनीकी जानकारी तो दी ही जाएगी, इन्हें प्रमाण पत्र भी उपलब्ध कराया जाएगा. जिससे स्वरोजगार के लिए इन्हें बैंकों से मदद लेने में सहायता मिलेगी.

60 साल से ऊपर के बंदी होते हैं रिहा
गणतंत्र दिवस पर बंदियों की रिहाई की बात करें तो वर्ष 2019 में ऐसे बंदियों की संख्या आठ थी. इसमें एक महिला भी शामिल थी. जिनके जुर्माने की धनराशि को शहर के व्यापारियों ने भरकर इन्हें जेल से बाहर निकालने में अपना योगदान दिया था. रिहाई पाने वाले वह कैदी होते हैं, जिनकी उम्र 60 साल से अधिक होती है या फिर वह 10 साल से ज्यादा की सजा जेल में काट चुके होते हैं. लेकिन मामूली जमानत राशि को जमा न कर पाने की वजह से छूट नहीं पाते. इसी प्रकार वर्ष 2020 में चार कैदियों को रिहाई मिली थी. यह कुशीनगर और देवरिया जिले के थे और गोरखपुर में सालों से बंद थे. इनकी रिहाई में बीजेपी विधायक जटाशंकर त्रिपाठी और मानव सेवा संस्थान के निदेशक की भूमिका अहम रही. जो इनके जुर्माने की धनराशि 5 से 15 हजार तक खुद जमा कर दिए थे.

गोरखपुर : गणतंत्र दिवस पर जेलों में बंद कुछ कैदियों को छोड़े जाने की परंपरा राज्य सरकार पिछले कई सालों से निभाते चली आ रही है. इसी कड़ी में इस वर्ष 26 जनवरी को गोरखपुर मंडलीय कारागार से तीन कैदियों की रिहाई होने जा रही है. इसके साथ ही जेल से रिहाई पा चुके कैदियों पर निगरानी करते हुए जिला प्रशासन उन्हें जहां हुनरमंद बनाते हुए कमाई का गुण सिखाएगा. वहीं जेल में बंद कैदियों के लिए भी कौशल विकास मिशन के तहत, कैदियों को प्रशिक्षित किया जाएगा. इस व्यवस्था की निगरानी जिले के मुख्य विकास अधिकारी इंद्रजीत सिंह के हवाले होगी. तो वहीं प्रबंधन की जिम्मेदारी जेल अधीक्षक डॉ. रामधनी निभाएंगे. हालांकि इस समय गोरखपुर जेल में क्षमता से अधिक कैदी बंद हैं.

रोजगार शुरु करने में बंदियों की मदद करेगा प्रशासन
गोरखपुर मंडलीय कारागार की क्षमता अधिकतम 12 सौ कैदियों की है. लेकिन मौजूदा समय में यहां 1700 से अधिक कैदी बंद हैं. जेल अधीक्षक डॉक्टर रामधनी की माने तो रोजगार प्रशिक्षण लेने के लिए इच्छुक बंदियों की सूची तैयार की जा रही है. जिन्हें 27 प्रकार के व्यवसायिक ट्रेड में प्रशिक्षण दिए जाने का प्लान तैयार किया गया है. ऐसे बंदी जो प्रशिक्षण के बाद जेल से रिहा होंगे. उन्हें और उनके परिवार को रोजगार शुरू करने के लिए आर्थिक सहायता भी दिलाई जाएगी. जिसकी जिम्मेदारी जिला प्रशासन लेगा. प्रशिक्षण के दौरान पुरुष और महिला बंदियों को ब्यूटी एंड वैलनेस, कृषि, खाद्य पदार्थ, लकड़ी, कपड़ा, जूता चप्पल आदि के निर्माण में तकनीकी जानकारी तो दी ही जाएगी, इन्हें प्रमाण पत्र भी उपलब्ध कराया जाएगा. जिससे स्वरोजगार के लिए इन्हें बैंकों से मदद लेने में सहायता मिलेगी.

60 साल से ऊपर के बंदी होते हैं रिहा
गणतंत्र दिवस पर बंदियों की रिहाई की बात करें तो वर्ष 2019 में ऐसे बंदियों की संख्या आठ थी. इसमें एक महिला भी शामिल थी. जिनके जुर्माने की धनराशि को शहर के व्यापारियों ने भरकर इन्हें जेल से बाहर निकालने में अपना योगदान दिया था. रिहाई पाने वाले वह कैदी होते हैं, जिनकी उम्र 60 साल से अधिक होती है या फिर वह 10 साल से ज्यादा की सजा जेल में काट चुके होते हैं. लेकिन मामूली जमानत राशि को जमा न कर पाने की वजह से छूट नहीं पाते. इसी प्रकार वर्ष 2020 में चार कैदियों को रिहाई मिली थी. यह कुशीनगर और देवरिया जिले के थे और गोरखपुर में सालों से बंद थे. इनकी रिहाई में बीजेपी विधायक जटाशंकर त्रिपाठी और मानव सेवा संस्थान के निदेशक की भूमिका अहम रही. जो इनके जुर्माने की धनराशि 5 से 15 हजार तक खुद जमा कर दिए थे.

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