गोरखपुरः जान बचाने के लिए ऑक्सीजन चाहिए, और ऑक्सीजन पाने के लिए जान लगानी पड़ रही है. किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि ऑक्सीजन लेने के लिए इस तरह मारामारी मचेगी, लेकिन कोरोना महामारी ने ये दिन भी दिखा दिया. अगर उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल की बात की जाए तो लगभग पूरा क्षेत्र गोरखपुर पर ही निर्भर है. यहां के औद्योगिक विकास प्राधिकरण क्षेत्र (गीडा) में ऑक्सीजन के तीन प्लांट हैं. यहां पर लोग देवरिया, बलिया, कुशीनगर, सिद्धार्थनगर यहां तक की लखनऊ से भी ऑक्सीजन लेने पहुंच रहे हैं. उन्हें सुबह 6 बजे से कतार में लगने के बाद ऑक्सीजन लेने में 10-10 घंटे लग जा रहे हैं. ऑक्सीजन का संकट इसलिए भी बढ़ा हुआ है क्योंकि तमाम मरीज अस्पतालों में भर्ती हैं. इनमें नॉन कोविड के भी मरीज हैं, उन्हें भी ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है. ऑक्सीजन प्लांट के मालिक, प्लांट पर खुद अपनी निगरानी बनाए हुए हैं. जिला प्रशासन की तरफ से सिटी मजिस्ट्रेट बतौर नोडल अफसर लगातार प्लांटों का चक्कर काट रहे हैं. वह यहां कतारबद्ध लोगों को भी सहूलियत उपलब्ध कराने में जुटे हुए हैं.
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तीन प्लांट से 20 हजार क्यूबिक मीटर ऑक्सीजन का उत्पादन
गीडा के वर्तमान तीनों प्लांटों को पूरी क्षमता पर संचालित किया जा रहा है. जिसमें मोदी केमिकल्स के दोनों प्लांट की क्षमता बढ़कर इस समय 2600 सिलेंडर की हो गई है. इसमें से प्रत्येक सिलेंडर में करीब 6 क्यूबिक मीटर गैस भरी जा रही है. ऑक्सीजन की बढ़ती मांग को देखते हुए गीडा के तीनों प्लांटों में दिन-रात काम हो रहा है. प्लांट 20 से 22 घंटे लगातार चल रहे हैं. सिर्फ भोजन अवकाश के समय ही प्लांट बंद हो रहा है. करीब 32 सौ ऑक्सीजन सिलेंडर का उत्पादन इस समय किया जा रहा है. इसकी क्षमता करीब 19224 क्यूबिक मीटर है. इसके अतिरिक्त डेढ़ क्यूबिक मीटर वाले छोटे सिलेंडर की रिफिलिंग भी हो रही है, जो गणना में नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि तमाम जरूरतमंदों को यह मुफ्त में भी दे दिया जा रहा है. अन्नपूर्णा गैस के शुरू होने से यहां पर अब 15 सौ सिलेंडर भरने की व्यवस्था हो जाएगी. जिससे कुल मिलाकर करीब 2500 क्यूबिक मीटर गैस का उत्पादन होगा.