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पूरे पूर्वांचल को ऑक्सीजन दे रहा गोरखपुर, सुबह 6 बजे से लग रही कतार

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में औद्योगिक विकास प्राधिकरण के प्लांटों में लगातार ऑक्सीजन का उत्पादन किया जा रहा है. यहां तमाम अन्य जिलों से लोग ऑक्सीजन लेने आ रहे हैं.

गोरखपुर
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Published : May 8, 2021, 8:08 PM IST

गोरखपुरः जान बचाने के लिए ऑक्सीजन चाहिए, और ऑक्सीजन पाने के लिए जान लगानी पड़ रही है. किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि ऑक्सीजन लेने के लिए इस तरह मारामारी मचेगी, लेकिन कोरोना महामारी ने ये दिन भी दिखा दिया. अगर उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल की बात की जाए तो लगभग पूरा क्षेत्र गोरखपुर पर ही निर्भर है. यहां के औद्योगिक विकास प्राधिकरण क्षेत्र (गीडा) में ऑक्सीजन के तीन प्लांट हैं. यहां पर लोग देवरिया, बलिया, कुशीनगर, सिद्धार्थनगर यहां तक की लखनऊ से भी ऑक्सीजन लेने पहुंच रहे हैं. उन्हें सुबह 6 बजे से कतार में लगने के बाद ऑक्सीजन लेने में 10-10 घंटे लग जा रहे हैं. ऑक्सीजन का संकट इसलिए भी बढ़ा हुआ है क्योंकि तमाम मरीज अस्पतालों में भर्ती हैं. इनमें नॉन कोविड के भी मरीज हैं, उन्हें भी ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है. ऑक्सीजन प्लांट के मालिक, प्लांट पर खुद अपनी निगरानी बनाए हुए हैं. जिला प्रशासन की तरफ से सिटी मजिस्ट्रेट बतौर नोडल अफसर लगातार प्लांटों का चक्कर काट रहे हैं. वह यहां कतारबद्ध लोगों को भी सहूलियत उपलब्ध कराने में जुटे हुए हैं.

गोरखपुर में ऑक्सीजन
10-10 घंटे लाइन में लग रहे लोग ऑक्सीजन की मारामारी के ताजा हालात को ईटीवी भारत ने कवर किया. जिन ऑक्सीजन प्लांट से लोगों को ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध हो रहे हैं, वहां पर लंबी-लंबी कतारें देखी जा रही हैं. यहां कई तरह की अनियमितता की बात भी सामने आ रही है. ईटीवी भारत ने जब बात की तो कतार में खड़े लोगों ने आरोप लगाया कि कुछ लोग प्लांट पर पहुंचते नहीं, लेकिन उन तक ऑक्सीजन पहुंच जाती है. वहीं, कुछ लोगों को 10-10 घंटे कड़ी मशक्कत करने के बाद भी ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही. इस भीड़ में ऐसे भी परिवार थे, जिसमें परिवार के एक सदस्य को बचाने के लिए तीन-तीन लोग ऑक्सीजन के लिए लाइन में थे. गीडा के सेक्टर-13 में मोदी केमिकल और गीडा सेक्टर- 15 में आरके ऑक्सीजन फैक्ट्री पर लोगों की लंबी कतार देखी जा रही है. प्लांट के अंदर भी लोग बड़ी संख्या में घुसे रहते हैं. इस जद्दोजहद को थामने के लिए पुलिस और प्रशासन के लोग भी मौजूद रहते हैं. बहुत जल्द अन्नपूर्णा गैसेज में भी ऑक्सीजन का उत्पादन शुरू हो जाएगा. यह प्लांट वर्ष 2015 से बंद पड़ा था लेकिन अब यहां से प्रतिदिन 1500 सिलिंडर भरे जाएंगे. इससे अस्पताल में 300 बेड को बढ़ाने की स्थिति बनेगी. प्लांट पर आए लोगों की पीड़ा अपनी जगह थी लेकिन प्लांट के संचालक प्रवीण मोदी का कहना है कि मुख्यमंत्री के इस शहर में उनके जैसे अनुभवी लोग ऑक्सीजन की कमी होने नहीं दे रहे हैं. जब चारों तरफ हाहाकार है, तब भी यहां की स्थिति संभली हुई है. हां, यह जरूर है कि गोरखपुर पर तमाम अन्य जिलों का भी दबाव बढ़ने से समय से मांग को पूरा करना कठिन हो रहा है.

इसे भी पढ़ेंः यूपी में बदलेगी होम आइसोलेशन की गाइडलाइन

तीन प्लांट से 20 हजार क्यूबिक मीटर ऑक्सीजन का उत्पादन
गीडा के वर्तमान तीनों प्लांटों को पूरी क्षमता पर संचालित किया जा रहा है. जिसमें मोदी केमिकल्स के दोनों प्लांट की क्षमता बढ़कर इस समय 2600 सिलेंडर की हो गई है. इसमें से प्रत्येक सिलेंडर में करीब 6 क्यूबिक मीटर गैस भरी जा रही है. ऑक्सीजन की बढ़ती मांग को देखते हुए गीडा के तीनों प्लांटों में दिन-रात काम हो रहा है. प्लांट 20 से 22 घंटे लगातार चल रहे हैं. सिर्फ भोजन अवकाश के समय ही प्लांट बंद हो रहा है. करीब 32 सौ ऑक्सीजन सिलेंडर का उत्पादन इस समय किया जा रहा है. इसकी क्षमता करीब 19224 क्यूबिक मीटर है. इसके अतिरिक्त डेढ़ क्यूबिक मीटर वाले छोटे सिलेंडर की रिफिलिंग भी हो रही है, जो गणना में नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि तमाम जरूरतमंदों को यह मुफ्त में भी दे दिया जा रहा है. अन्नपूर्णा गैस के शुरू होने से यहां पर अब 15 सौ सिलेंडर भरने की व्यवस्था हो जाएगी. जिससे कुल मिलाकर करीब 2500 क्यूबिक मीटर गैस का उत्पादन होगा.

गोरखपुरः जान बचाने के लिए ऑक्सीजन चाहिए, और ऑक्सीजन पाने के लिए जान लगानी पड़ रही है. किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि ऑक्सीजन लेने के लिए इस तरह मारामारी मचेगी, लेकिन कोरोना महामारी ने ये दिन भी दिखा दिया. अगर उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल की बात की जाए तो लगभग पूरा क्षेत्र गोरखपुर पर ही निर्भर है. यहां के औद्योगिक विकास प्राधिकरण क्षेत्र (गीडा) में ऑक्सीजन के तीन प्लांट हैं. यहां पर लोग देवरिया, बलिया, कुशीनगर, सिद्धार्थनगर यहां तक की लखनऊ से भी ऑक्सीजन लेने पहुंच रहे हैं. उन्हें सुबह 6 बजे से कतार में लगने के बाद ऑक्सीजन लेने में 10-10 घंटे लग जा रहे हैं. ऑक्सीजन का संकट इसलिए भी बढ़ा हुआ है क्योंकि तमाम मरीज अस्पतालों में भर्ती हैं. इनमें नॉन कोविड के भी मरीज हैं, उन्हें भी ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है. ऑक्सीजन प्लांट के मालिक, प्लांट पर खुद अपनी निगरानी बनाए हुए हैं. जिला प्रशासन की तरफ से सिटी मजिस्ट्रेट बतौर नोडल अफसर लगातार प्लांटों का चक्कर काट रहे हैं. वह यहां कतारबद्ध लोगों को भी सहूलियत उपलब्ध कराने में जुटे हुए हैं.

गोरखपुर में ऑक्सीजन
10-10 घंटे लाइन में लग रहे लोग ऑक्सीजन की मारामारी के ताजा हालात को ईटीवी भारत ने कवर किया. जिन ऑक्सीजन प्लांट से लोगों को ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध हो रहे हैं, वहां पर लंबी-लंबी कतारें देखी जा रही हैं. यहां कई तरह की अनियमितता की बात भी सामने आ रही है. ईटीवी भारत ने जब बात की तो कतार में खड़े लोगों ने आरोप लगाया कि कुछ लोग प्लांट पर पहुंचते नहीं, लेकिन उन तक ऑक्सीजन पहुंच जाती है. वहीं, कुछ लोगों को 10-10 घंटे कड़ी मशक्कत करने के बाद भी ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही. इस भीड़ में ऐसे भी परिवार थे, जिसमें परिवार के एक सदस्य को बचाने के लिए तीन-तीन लोग ऑक्सीजन के लिए लाइन में थे. गीडा के सेक्टर-13 में मोदी केमिकल और गीडा सेक्टर- 15 में आरके ऑक्सीजन फैक्ट्री पर लोगों की लंबी कतार देखी जा रही है. प्लांट के अंदर भी लोग बड़ी संख्या में घुसे रहते हैं. इस जद्दोजहद को थामने के लिए पुलिस और प्रशासन के लोग भी मौजूद रहते हैं. बहुत जल्द अन्नपूर्णा गैसेज में भी ऑक्सीजन का उत्पादन शुरू हो जाएगा. यह प्लांट वर्ष 2015 से बंद पड़ा था लेकिन अब यहां से प्रतिदिन 1500 सिलिंडर भरे जाएंगे. इससे अस्पताल में 300 बेड को बढ़ाने की स्थिति बनेगी. प्लांट पर आए लोगों की पीड़ा अपनी जगह थी लेकिन प्लांट के संचालक प्रवीण मोदी का कहना है कि मुख्यमंत्री के इस शहर में उनके जैसे अनुभवी लोग ऑक्सीजन की कमी होने नहीं दे रहे हैं. जब चारों तरफ हाहाकार है, तब भी यहां की स्थिति संभली हुई है. हां, यह जरूर है कि गोरखपुर पर तमाम अन्य जिलों का भी दबाव बढ़ने से समय से मांग को पूरा करना कठिन हो रहा है.

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तीन प्लांट से 20 हजार क्यूबिक मीटर ऑक्सीजन का उत्पादन
गीडा के वर्तमान तीनों प्लांटों को पूरी क्षमता पर संचालित किया जा रहा है. जिसमें मोदी केमिकल्स के दोनों प्लांट की क्षमता बढ़कर इस समय 2600 सिलेंडर की हो गई है. इसमें से प्रत्येक सिलेंडर में करीब 6 क्यूबिक मीटर गैस भरी जा रही है. ऑक्सीजन की बढ़ती मांग को देखते हुए गीडा के तीनों प्लांटों में दिन-रात काम हो रहा है. प्लांट 20 से 22 घंटे लगातार चल रहे हैं. सिर्फ भोजन अवकाश के समय ही प्लांट बंद हो रहा है. करीब 32 सौ ऑक्सीजन सिलेंडर का उत्पादन इस समय किया जा रहा है. इसकी क्षमता करीब 19224 क्यूबिक मीटर है. इसके अतिरिक्त डेढ़ क्यूबिक मीटर वाले छोटे सिलेंडर की रिफिलिंग भी हो रही है, जो गणना में नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि तमाम जरूरतमंदों को यह मुफ्त में भी दे दिया जा रहा है. अन्नपूर्णा गैस के शुरू होने से यहां पर अब 15 सौ सिलेंडर भरने की व्यवस्था हो जाएगी. जिससे कुल मिलाकर करीब 2500 क्यूबिक मीटर गैस का उत्पादन होगा.

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