प्रयागराजः यूपी लोकसेवा आयोग की पीसीएस 2024 प्री परीक्षा और आरओ एआरओ भर्ती परीक्षा 2023 को दो दिन में अलग-अलग पालियों में करवाने के फैसले के विरोध में हजारों छात्र लोकसेवा आयोग के बाहर धरना देने पहुंचे. छात्रों ने आयोग के बाहर पुलिस की बैरिकेडिंग को तोड़ दिया और प्रदर्शन किया. वहीं. इस मामले में सपा मुखिया अखिलेश यादव न सरकार को घेरा है. वहीं, आक्रोशित छात्र सोमवार रात भी आयोग के दफ्तर के बाहर डटे रहे और नारेबाजी करते रहे. छात्रों का कहना है कि जब तक उनकी मांग नहीं मानी जाएगी तब तक वह नहीं हटेंगे.
स्टूडेंट्स के विरोध के मद्देनजर मौके पर भारी संख्या में फोर्स तैनात है. पुलिस बैरियर को धकेलते हुए प्रदर्शकारी आयोग के गेट तक पहुंच गए, जहां जवानों ने लाठियां फटकारते हुए उन्हें खदेड़ा. उधर, पुलिस लाठीचार्ज के कुछ फुटेज पोस्ट कर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने सरकार पर हमला बोला है.
लोक सेवा आयोग के गेट के पहले पुलिस ने बैरिकेड करके छात्रों को रोक दिया था लेकिन, लगातार छात्रों की भीड़ बढ़ती जा रही थी और भीड़ बेकाबू हो गयी. छात्र छात्राओं की भीड़ ने पुलिस को धकेलते हुए बैरीकेडिंग को तोड़ दिया और पुलिस पीएसी और आरएएफ की टीम को धकेलते हुए छात्रों की भोड़ लोक सेवा आयोग के गेट तक पहुंच गई.
छात्रों की यहां पुलिस से धक्कामुक्की भी हो रही है. मौके पर बड़ी संख्या में छात्र जमा हैं. भगदड़ जैसे हालात बन गए. आयोग के गेट पर पहुंचकर छात्रों ने अपना विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है. आयोग के खिलाफ नारेबाजी चल रही है.
आंदोलन कर रहे छात्रों का कहना है कि जब तक आयोग अपना फैसला वापस नहीं लेगा तब तक छात्र आयोग के बाहर इसी तरह से अनवरत बैठकर आंदोलन करते रहेंगे. इस दौरान आयोग के बाहर जुटे प्रतियोगी छात्रों ने ईटीवी भारत से बातचीत में अपनी मांगों को बताया.
सड़क पर जुटी हजारों की भीड़ में शामिल छात्रों का कहना है कि उनकी मांग मानकर जब तक दो दिन में होने वाली परीक्षाओं को एक दिन एक-एक पाली में करवाने की घोषणा नहीं कि जाती तब तक वो आयोग के बाहर विरोध प्रदर्शन करेंगे.
इन छात्रों का कहना है कि अलग अलग दिन और पालियों में पीसीएस और आरओ एआरओ जैसी परीक्षा होगी तो उसमें में नॉर्मलाइजेशन लागू होगा जिसका खामियाजा छात्रों को ही भुगतना पड़ेगा. इस कारण वो दो दिन में परीक्षा करवाने के फैसले को वापस लिए जाने तक आंदोलन जारी रखेंगे.
युवा विरोधी भाजपा का छात्राओं और छात्रों पर लाठीचार्ज बेहद निंदनीय कृत्य है।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) November 11, 2024
इलाहाबाद में UPPSC में धांधली को रोकने के लिए अभ्यर्थियों ने जो जब माँग बुलंद की तो भ्रष्ट भाजपा सरकार हिंसक हो उठी। हम फिर दोहराते हैं : नौकरी भाजपा के एजेंडे में है ही नहीं।
हम युवाओं के साथ हैं।… pic.twitter.com/YbTlaBSAgG
नॉर्मलाइजेशन का विरोध कर रहे हैं प्रतियोगी छात्र: प्रतियोगी छात्र राजन त्रिपाठी और युगल पांडेय ने बताया कि एक ही भर्ती परीक्षा को अलग अलग दिन में आयोजित किया जाएगा तो यूपी लोकसेवा आयोग को वहां नॉर्मलाइजेशन (मानकीकरण) लागू करने का मौका मिलेगा. जिससे इन परीक्षाओं में धांधली करने का अवसर बढ़ जाएगा.
जिसको देखते हुए छात्रों की तरफ से मांग की जा रही है कि दोनों परीक्षाओं को दो-दो दिन और अलग पालियों की जगह एक दिन और एक पाली में करवाया जाए. जिस तरह से पहले परीक्षा करवाई जाती थी, उसी तरह से अब भी परीक्षा करवाई जाए.
दो दिन परीक्षा होने पर दोनों दिनों के पेपर में अलग अलग सवाल पूंछे जाएंगे. ऐसे में अलग अलग दिन के अलग अलग पेपर में पूछे गए सवालों में कौन सा सवाल आसान है और कौन सा कठिन है उसका फैसला कैसे किया जा सकता है. इसके लिए ही नॉर्मलाइजेशन लागू किया जाएगा, जिसका छात्र विरोध कर रहे हैं.
फरवरी में आरओ एआरओ की परीक्षा हुई थी निरस्त: 8 महीने पहले 11 फरवरी को समीक्षा अधिकारी और सहायक समीक्षा अधिकारी 2023 की भर्ती परीक्षा के दौरान पेपर लीक हो गया था. जिसके बाद छात्रों के आंदोलन के कारण उस भर्ती परीक्षा निरस्त करना पड़ा था. इसके साथ ही पीसीएस 2024 की प्रारंभिक परीक्षा को भी बाद में टाल दिया गया था.
जिसको करवाने के लिए अब यूपी लोकसेवा आयोग की तरफ से 7 और 8 दिसम्बर की तारीख तय की गई है, जबकि आरओ एआरओ की भर्ती परीक्षा को करवाने के लिए 22 और 23 दिसम्बर की डेट घोषित की गयी है. पीसीएस 2024 की प्री परीक्षा में शामिल होने के लिए 5 लाख 76 हजार से अधिक अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है जबकि आरओ व एआरओ भर्ती परीक्षा 2023 में 10 लाख से ज्यादा अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था.
तारीख की घोषणा के बाद से ही शुरू हुआ विरोध: यूपी लोक सेवा आयोग की तरफ से पीसीएस प्री और आरओ एआरओ परीक्षाओं को करवाने के लिए आयोग की तरफ से चार अलग अलग दिन तय किए गए हैं. जिसमें 7 और 8 दिसम्बर को पीसीएस प्री परीक्षा और 22 व 23 दिसम्बर को आरओ एआरओ परीक्षा को अलग अलग पालियों में करवाने की घोषणा की है.
आयोग की तरफ से इन दोनों परीक्षाओं की तिथि घोषित करने के बाद से ही प्रतियोगी छात्रों की तरफ से विरोध करना शुरू कर दिया गया था. अब छात्रों ने रणनीति बनाकर इस फैसले को वापस न लिए जाने तक के लिए आयोग के बाहर आंदोलन शुरू कर दिया है. इस आंदोलन में यूपी उत्तराखंड के साथ ही बिहार और मध्य प्रदेश के प्रतियोगी छात्र आकर शामिल हुए हैं.
इन दोनों परीक्षाओं में 16 लाख से अधिक प्रतियोगी छात्र छात्राएं शामिल होंगे. एक ही परीक्षा के अलग अलग दिन में आयोजित होने से आयोग नॉर्मलाइजेशन लागू करेगा जिसका नुकसान हजारों छात्रों को उठाना पड़ेगा. इसी कारण हजारों की संख्या में प्रतियोगी छात्र आयोग के बाहर विरोध प्रदर्शन में शामिल होकर अपनी मांग उठा रहे हैं.
छात्राओं ने भी किया प्रदर्शन: विरोध प्रदर्शन कर रही छात्राओं का कहना है कि आयोग अपनी मनमानी करके तानाशाही फैसला लागू कर चुका है और जब तक आयोग अलग-अलग दो दिन में परीक्षा करवाने के फैसले के वापस न होने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा. अगर आयोग उनकी मांग नहीं सुनेगा तो सरकार तक बात पहुंचाई जाएगी. वो छात्रों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आंदोलन में उतरी हैं और मांगे न माने जाने तक आंदोलन को सफल बनाने में जुटी रहेंगी.
प्रतियोगी छात्रों का प्रदर्शन रात में भी चला: यूपी लोक सेवा आयोग के बाहर प्रतियोगी छात्रों का विरोध प्रदर्शन देर रात तक चलता रहा और छात्रों ने पूरी रात इसी तरह से आयोग के बाहर बैठ कर आंदोलन जारी रखने का एलान किया है.प्रतियोगी छात्र वन डे वन शिफ्ट में एक्जाम कराए जाने की मांग न माने जाने तक इसी तरह से सड़क पर बैठकर आंदोलन करते रहते रहेंगे. रात होने के बाद भी हजारों की संख्या में प्रतियोगी छात्र आयोग के सड़क से लेकर डिवाइडर और फुटपाथ तक पर बैठकर आयोग के खिलाफ नारेबाजी करते हुए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.आयोग के गेट के बाहर ज्यादा रोशनी न होने की वजह से बीच बीच मे मोबाइल की लाइट जलाकर प्रतियोगी छात्र आयोग के खिलाफ नारेबाजी करते हुए वन डे वन शिफ्ट और बिना नॉर्मलाइजेशन के परीक्षा करवाने की मांग पर अड़े हुए हैं.
75 जिले में क्यों नहीं करवाई जा रही परीक्षा
प्रतियोगी छात्र शिवेंद्र प्रताप व सत्यम कुशवाहा ने बताया कि प्रतियोगी छात्रों का आरोप है कि आयोग 41 जिलों में पीसीएस प्री 2024 की परीक्षा आयोजित करने जा रहा है जबकि इसे प्रदेश के सभी 75 जिलों में आयोजित करवाया जा सकता था. इससे परीक्षा एक ही दिन होती लेकिन आयोग ने ऐसा नहीं किया. दो दिन में परीक्षा करवाने से आयोग को नॉर्मलाइजेशन करने की जरूरत पड़ेगी.प्रतियोगी छात्रों का तर्क है कि एक बार भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियमों में बदलाव नहीं किया जा सकता है. प्रतियोगी छात्रों का कहना है कि जब तक आयोग से उन्हें लिखित आश्वासन नहीं मिल जाता तब तक वह पीछे नहीं हटेंगे और आयोग के बाहर डटे रहेंगे.